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अगर बाबूजी जीवित होते तो आज 100 वर्ष के होते- डॉ. अमित कुमार श्रीवास्तव - श्रीनारद मीडिया

अगर बाबूजी जीवित होते तो आज 100 वर्ष के होते- डॉ. अमित कुमार श्रीवास्तव

अगर बाबूजी जीवित होते तो आज 100 वर्ष के होते- डॉ. अमित कुमार श्रीवास्तव

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सीवान के विभूति महेंद्र बाबू के शताब्दी जयंती पर विशेष आलेख

जन्म 24मार्च 1924,  मृत्यु 29मार्च2016

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

स्वतंत्रता सेनानी, पत्रकार, शिक्षाविद सीवान जिले के एक दर्जन शिक्षण संस्थानों के संस्थापक, 1952 के प्रथम विधान सभा चुनाव में भारतीय जन संघ से उम्मीदवार, भारतीय जन संघ के बिहार प्रदेश इकाई के संस्थापक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक के प्रचारक महेंद्र कुमार का जन्म 24 मार्च 1924 को सीवान जिले में रघुनाथपुर स्थित दिघवलिया ग्राम में हुआ था।

महेंद्र कुमार की प्रारंभिक शिक्षा दिघवलिया, वीएम हाई स्कूल, डीएवी कॉलेज सीवान, राजेंद्र कॉलेज छपरा, काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी से एमकॉम तथा आगरा विश्वविद्यालय से एम.ए की उपाधि प्राप्त किये। वह दिवालिया पंचायत के 23 वर्षों तक मुखिया रहे। तीन बार जेल की यात्रा कर चुके महेंद्र कुमार वीएमएचए में सहायक शिक्षक, टाउन डिग्री अब पीजी कॉलेज बलिया, तथा केपीएस कॉलेज दुबहर बलिया उत्तर प्रदेश में वाणिज्य विभाग में प्रोफेसर के साथ ही टीचर्स ट्रेंनिंग कॉलेज तुर्की मुजफ्फरपुर बिहार में भी प्रोफेसर रहे।

पचलखी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सीवान, बृजकिशोर उचतर माध्यमिक विद्यालय श्रीनगर सीवान, महावीर सरस्वती विद्या मंदिर के संस्थापक प्राचार्य भी रहे। जनता बीएड कॉलेज तथा विद्या भवन बीएड कॉलेज के संस्थापक प्रोफेसर भी रहे। महेंद्र कुमार ने किसान मजदूर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय टारी बाजार सीवान, सरस्वती शिशु सदन सीवान, बृजकिशोर मोंटेसरी स्कूल श्रीनगर की भी उन्होंने स्थापना की थी। हिंदुस्तान समाचार एजेंसी के सारण जिला से संवाददाता रहे तथा बिहार के औरंगाबाद, छपरा तथा पटना में प्रचारक भी रहे। सारण व सीवान के विभाग संघचालक रहे।

महेंद्र कुमार बाबू सीवान, छपरा, मुजफ्फरपुर सेंट्रल जेल तथा भागलपुर जेल में भी लगभग कई वर्ष तक रहे। डीएवी कॉलेज कानपुर में अटल बिहारी वाजपेई के बैचमेट रहे महेंद्र कुमार श्यामा प्रसाद मुखर्जी तथा पंडित दीनदयाल उपाध्याय के समकालीन कार्यकर्ता भी थे, वही अटल बिहारी वाजपेयी, कैलाशपति मिश्रा, पंडित तरकांत झा, जंगबनधु अधिकारी, मधुसूदन गोपाल देव, बाबूराव देशपांडे, लोखड़े जी, भास्कर राव, मधुकर देशपांडे, नाना भागवत, काशीनाथ मिश्रा, नवल किशोर प्रसाद, भोलानाथ झा, श्रीकृष्णा भावे, मनोहर राव तुलांकर, ऋषि मुनि सिंह जैसे संघ और जनसंघ से जुड़े लोगों के भी समकालीन थे।

दो संकायों से स्नातकोतर की उपाधि प्राप्त करने वाले महेंद्र कुमार प्रसिद्ध क्रांतिकारी योगेंद्र शुक्ला एवं जंग बहादुर सिंह के प्रिय रहे। 1942 में स्वतंत्रता आंदोलन में सेक्रेट सोसायटी के बने तले जिले में कई क्रांतिकारी गतिविधियों को अंजाम दिया था।

1942के अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले, सीवान में लगभग एक दर्जन शिक्षण संस्थाओं के संस्थापक रहे, भारतीय जनसंघ के बिहार प्रदेश के संस्थापक सदस्य, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक तथा प्रथम बिहारी जत्था में प्रचारक,1952के प्रथम आमचुनाव में सीवान जीरादेई संयुक्त विधानसभा चुनाव क्षेत्र से प्रत्याशी, रघुनाथपुर प्रखंड प्रमुख तथा दिघवलिया पंचायत के मुखिया रहे साथ ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के छपरा, सीवान विभाग संघचालक, हिन्दुस्थान समाचार एजेंसी के सीवान से संवाददाता भी रहे ।

महेंद्र कुमार के जन्म शताब्दी वर्ष पर डायट, सीवान,महाबीरी सरस्वती विद्या मंदिर आवासीय विद्यालय बरहन गोपाल, शहीद जगदेव बालिका विद्यालय गोबिंद नगर भाटा पोखर, पचलखी मिडिल स्कूल, हाई स्कूल सह राजकीय इंटर कालेज, अयोध्या अग्रवाल सनातन धर्म उच्च विद्यालय सह राजकीय इंटर कालेज बड़का गांव, किसान मजदूर उच्च विद्यालय सह राजकीय इंटर कालेज टारी रघुनाथपुर, दिघवलिया मिडिल स्कूल,हाई स्कूल सह राजकीय इंटर कालेज,सहुली उच्च विद्यालय सह राजकीय इंटर कालेज आदि विद्यालय में लगातार सालों भर कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें लगभग 47हजार छात्र छात्राओं, शिक्षक शिक्षिकाओं तथा शिक्षिकेत्तर कर्मचारीयों ने भाग लिया।

महेंद्र कुमार के पुत्र शिक्षाविद डॉ. अमित कुमार श्रीवास्तव उर्फ़ मुन्नू जी कहते हैं कि आज बाबूजी अगर होते तो 100 वर्ष के होते. उनकी उपलब्धियां पर सीवान को गर्व है और यही कारण है कि सीवान में उप विकास आयुक्त रहे शिक्षाविद डॉ. प्रभु नारायण विद्यार्थी और  और उनकी पत्नी डॉ. उर्मिला विद्यार्थी ने अपनी पुस्तकों में आपकी चर्चा की है।

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