भोपाल में शिक्षकों के नवाचार से पठन-पाठन रोचक हुआ है,कैसे?

भोपाल में शिक्षकों के नवाचार से पठन-पाठन रोचक हुआ है,कैसे?

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.25.09 PM
WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.25.09 PM
previous arrow
next arrow
WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.25.09 PM
WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.25.09 PM
previous arrow
next arrow

सरकारी स्कूलों में पठन-पाठन के माहौल पर सवाल होते रहते हैं, इन सबके बीच बदलाव की सुखद तस्वीर भोपाल के निशातपुरा सांदीपनी विद्यालय से आई है। इस सरकारी स्कूल में शिक्षकों ने अपने नवाचार से न केवल शिक्षण को मजेदार बना दिया है, बल्कि स्कूल का परिणाम भी सुधरा है।

स्कूल ने नवाचार के तौर पर प्रत्येक कक्षा में सबसे कमजोर और सबसे तेज विद्यार्थियों को चिह्नित कर उनका एक-दूसरे के साथ जोड़ा बना दिया है। इस जोड़े का तेज विद्यार्थी अपने कमजोर सहपाठी की पाठ को समझने और सीखने में मदद करता है तो कमजोर विद्यार्थी के सवालों से उसकी विषय को गहराई से समझने की क्षमता बढ़ती है। इससे दोनों विद्यार्थियों के सीखने की रफ्तार बढ़ गई है।

स्कूल की प्रत्येक कक्षा में हर सप्ताह एक विद्यार्थी और एक शिक्षक को ‘स्टार ऑफ द वीक’ चुना जाता है। यह चुनाव उसकी नियमितता, टेस्ट के परिणाम, अनुशासन और खेल भावना के अंकों के आधार पर होता है। इस स्टार विद्यार्थी और शिक्षक की तस्वीर सप्ताह भर कक्षा के बाहर बोर्ड पर लगती है। इससे विद्यार्थियों और शिक्षकों में प्रतिस्पर्धा की भावना बढ़ी है। इस तरह के कई प्रयोगों से स्कूल का परीक्षा परिणाम लगातार सुधर रहा है। वहीं विद्यार्थियों की संख्या भी पांच साल में 700 से बढ़कर 1300 हो गई है।

100 फीसद उपस्थिति बढ़ाने के लिए की गई पहल

प्राचार्य आरसी जैन बताते हैं कि जब 2022 में वे इस स्कूल में आए तो हर कक्षा में 68 प्रतिशत बच्चे ही आते थे। आधे समय के बाद वे भी गायब हो जाते थे। इसके बाद यहां पर बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने और उनके व्यवहार में बदलाव लाने के लिए उन्होंने कई प्रयोग किए। प्रत्येक कक्षा में हर माह पांच अटेंडेंस स्टार्स की सूची जारी होती है, जिनकी फोटो सितारे के साथ कक्षा में प्रदर्शित किया जाता है। साथ ही उन्हें पुरस्कार भी दिए जाते हैं। वहीं स्कूल में प्रत्येक कक्षा में एक माह में जन्मदिवस वाले बच्चों का फोटो और नाम प्रदर्शित किए जाते हैं। कक्षा में उन्हें बधाई भी दी जाती है। इस पहल से स्कूल में उपस्थिति 100 प्रतिशत बढ़ी। उसके बाद शिक्षण गुणवत्ता के दूसरे प्रयोग शुरू हुए।

विद्यार्थियों की काउंसलिंग की जाती है

इस स्कूल में काउंसलिंग सेंटर शुरू हुआ। वहां पर मनोविज्ञानी ओंकुश वर्मा विद्यार्थियों को जीवन के सूत्र भी सिखाने लगे। इस केंद्र में अब तक 10 हजार बच्चों की काउंसलिंग की जा चुकी है। इसमें 100 से अधिक बच्चों को आत्मघाती कदम उठाने से भी बचाया गया है। अब ये विद्यार्थी सफल और सुखमय जीवन जी रहे हैं और करियर में भी आगे बढ़ रहे हैं।

सर्वश्रेष्ठ विद्यार्थी को स्टार में किया जाता है शामिल

बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के साथ नैतिकता का पाठ पढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए प्रत्येक कक्षा में व्यवहार से संबंधित चार्ट लगाए गए हैं। जिस विद्यार्थी का प्रदर्शन चाहे अनुशासन, व्यवहार या पढ़ाई में अच्छा होता है, उसकी तस्वीर के साथ सितारे लगाए जाते हैं। मानव जीवन में भावों का बहुत महत्व होता है। इसी बात को समझाने के लिए स्कूल में भाव का एक चार्ट लगाया गया है, जिसमें मानवता,आत्मविश्वास, प्रेम, आत्म संयम से संबंधित सुझाव विद्यार्थी द्वारा पत्र के माध्यम में दी जाती है।

इस तरह 10वीं व 12वीं का सुधरा परिणाम

  • वर्ष              10वीं        12वीं
  • 2024-25 -95 फीसद -94 फीसद
  • 2023-24 -74 फीसद -72 फीसद
  • 2022-23 -71 फीसद -65 फीसद
  • वर्ष                  नौवीं     11वीं
  • 2024-25 -62 फीसद -76 फीसद
  • 2023-24 -58 फीसद -74 फीसद
  • 20222-23 -54 फीसद -66 फीसद

इस तरह बढ़ी विद्यार्थियों की संख्या

  • 2022-872
  • 2023-949
  • 2024-1028
  • 2025-1300

आरसी जैन, प्राचार्य, शासकीय सांदीपनि विद्यालय, निशातपुरा ने बताया कि स्कूल में बच्चों को प्रेरित करने के लिए कई नई चीजें शुरू की गई हैं। इससे बच्चों में उपस्थिति बढ़ी है। उनके व्यवहार और सीखने की दर में सकारात्मक बदलाव दिखने लगे हैं। इसका असर विद्यालय के परीक्षा परिणाम में भी दिख रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!