सीवान में राजस्व विभाग का कर्मी जियाऊल हक अंसारी एक लाख रुपये घूस लेते रंगे हाथ गिरफ्तार.

सीवान में राजस्व विभाग का कर्मी जियाऊल हक अंसारी एक लाख रुपये घूस लेते रंगे हाथ गिरफ्तार.

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अपने को बिहार मुख्य सचिव के गांव का बताकर धौंस जमाता था

पिछले 12 वर्षों से सीवान सदर और समाहरणालय में सेटिंग से काम करता रहा

समझ रहे थे रंगदार, हकीकत सामने आते उड़े होश

किसी बात को सुनने को तैयार नहीं होता था

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

सीवान कलेक्ट्रेट से निगरानी विभाग की टीम ने राजस्व विभाग के कर्मी जियाऊल हक अंसारी को एक लाख रुपये घूस लेते रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तार करने के बाद टीम राजस्व कर्मी को अपने साथ पटना ले गयी. निगरानी विभाग की टीम को लीड कर रहे डिप्टी एसपी अरुणोदय पांडे ने बताया कि प्रेमशंकर सिंह ने निगरानी विभाग को एक आवेदन दिया गया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि राजस्व कर्मी ने जमीन की जमाबंदी में सुधार के लिए एक लाख रुपये रिश्वत की मांग की है. इसके बाद निगरानी ने प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई शुरू की.

कार्रवाई के बाद कलेक्ट्रेट में मचा हड़कंप

शुक्रवार को सीवान पहुंची निगरानी की टीम ने दोपहर बाद 1:45 बजे जाल बिछाना शुरू किया. डिप्टी एसपी ने बताया कि निगरानी विभाग की ओर से उपलब्ध करायी गयी राशि को जैसे ही प्रेम शंकर सिंह ने कार्यालय में जाकर राजस्व कर्मी जियाऊल हक अंसारी को दिया, वैसे ही निगरानी की टीम ने उसे धर दबोचा. इसके बाद निगरानी की टीम जैसे ही कर्मी को लेकर राजस्व कार्यालय से बाहर निकली, पूरे कलेक्ट्रेट में हड़कंप मच गया. कर्मी को लेकर निगरानी विभाग की टीम पटना चली गयी, जहां न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने के बाद उसे जेल भेजा जायेगा. मौके पर निगरानी विभाग के सुजीत कुमार सागर, विकास जायसवाल, इंस्पेक्टर मेहंदी इकबाल, ईश्वर प्रसाद, सिकंदर मंडल, एएसआई जय प्रकाश, कांस्टेबल अभिषेक, राजेश व मणिकांत उपस्थित रहे.

निगरानी के छापे के बाद कलेक्ट्रेट में चला सतर्कता अभियान

सीवान में शुक्रवार को दोपहर दो बजे के आसपास निगरानी द्वारा राजस्व विभाग के सीनियर कर्मी जियाउल हक को भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार किये जाने के बाद समाहरणालय परिसर में हड़कंप मच गया. यह खबर जैसे ही कर्मियों के माध्यम से वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंची, प्रशासनिक हलके में भी हड़कंप मच गया. निगरानी की कार्रवाई के दो घंटे बाद उपविकास आयुक्त दीपक सिंह, ओएसडी सह जिला पंचायती राज पदाधिकारी राजकुमार गुप्ता और एसडीएम रामबाबू बैठा प्रशासनिक खंड के सभी कार्यालयों में गये और वहां उपस्थित कर्मियों को निर्देश जारी किया.

उन्होंने कहा कि वे अनावश्यक रूप से बाहर नहीं टहलें, कार्यालय के कार्य से ही बाहर जाएं, आगंतुकों को ज्यादा देर तक कार्यालय में नहीं बिठाएं, यहां तक कि उन्हें बैठने के लिए जगह भी नहीं दें, खड़े-खड़े काम के बारे में पूछें और काम नहीं होने वाला हो तो उन्हें नीयत तारीख पर बुलाएं. ज्ञात हो कि कलेक्ट्रेट के रेवेन्यू कार्यालय में हुई छापेमारी के बाद कई तरह की बातें कही जा रही हैं. यह तो निगरानी अधिकारी ही बताएंगे कि उनके पास इस छापेमारी के दौरान मिले साक्ष्य कितना पुख्ता है. कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि आरोपित कर्मी को मारते-पीटते कार्यालय से बाहर तक लाया गया.

सरकारी कार्यालयों में तो रिश्वत कल्चर सांप की तरह कुंडली मारकर बैठा हुआ है। कितनी बार इसकी फन कुचलने की कोशिश की गई मगर हर बार आमलोगों को डंस ही लेता है। 100-200 से लेकर लाख-दो लाख तक वसूलने में सरकारी कर्मचारी बाज नहीं आते हैं। सिवान कलेक्ट्रेट में एक राजस्व कर्मचारी एक लाख रुपए बतौर घूस ले रहा था, तभी उसे निगरानी की टीम ने रंगेहाथ धर दबोचा। विजिलेंस डिपार्टमेंट के कर्मचारी जियाउल हक को गिरफ्तार कर सीधे पटना के लिए निकल गए।

जमीन से जुड़े मामले में मांगी थी एक लाख की रिश्वत
सिवान समाहरणालय के राजस्व विभाग का रिश्वतखोर हेड क्लर्क जियाउल हक शुक्रवार को पकड़ा गया। पटना से आई निगरानी विभाग की टीम ने जियाउल हक को एक लाख रुपए का रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ लिया। इसके बाद निगरानी की टीम उसे लेकर पटना चली गई। बताया जा रहा है कि जमीन संबंधी मामले के निपटारे के लिए जियाउल ने पीड़ित व्यक्ति से एक लाख रूपए की डिमांड की थी। जिसकी शिकायत पीड़ित ने पटना स्थित निगरानी विभाग के कार्यालय में किया था। निगरानी विभाग के जांच में मामला सही पाया गया। इसके बाद निगरानी की टीम ने अपना जाल बिछाया। जिसमें जियाउल हक पकड़ा गया।

सादे लिबास में निगरानी की टीम को कर्मचारियों ने समझा रंगदार

प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि निगरानी विभाग के अधिकारी जब जियाउल हक को पकड़ कर अपने साथ ले जाना चाहे तो वो धक्कामुक्की करने लगा। क्लर्क के पक्ष में बाकी कर्मचारी भी आ गए। दरअसल, उन्हें लगा कि लेनदेन के विवाद के बाद कोई जियाउल हक को जबरन उठा कर ले जा रहा है। लेकिन जैसे ही निगरानी विभाग के अधिकारियों ने अपना आईडी कार्ड दिखाया अन्य कर्मचारी वहां से हट गए। जिसके बाद टीम उसे लेकर पटना चली गई।

 

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