*वाराणसी में व्‍यापारि‍यों की मांग – मांगलि‍क कार्यक्रमों की छूट है तो इससे जुड़ी दुकानों को भी खोलने की अनुमति मि‍ले*

*वाराणसी में व्‍यापारि‍यों की मांग – मांगलि‍क कार्यक्रमों की छूट है तो इससे जुड़ी दुकानों को भी खोलने की अनुमति मि‍ले*

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*श्रीनारद मीडिया / सुनील मिश्रा वाराणसी यूपी*

*वाराणसी* / भेलूपुर-दुर्गाकुण्ड व्यवसायिक संघ द्वारा वर्चुअल बैठक की गई, जिसमें की संघ के अध्यक्ष आनन्द श्रीवास्तव ने मांग की है कि‍ जब शासन द्वारा जारी आदेश के तहत मांगलि‍क कार्यक्रमों पर रोक नहीं है तो ऐसे में इनसे संबंधि‍त दुकानों को खोलने की भी छूट मि‍लनी चाहि‍ए। उन्‍होंने कहा कि भारत में शादियों को पर्व से भी ज्यादा महत्व दिया जाता है। हमारे देश में ये बहुत बड़ी इंडस्ट्री भी है। किसी एक घर में शादी तय हो जाने पर इसमें फ़िल्म इंडस्ट्रीज के कलाकारों से लेकर टेन्ट, माला-फूल, कैटरर, डिजाइनर, टेलर, नाई, ब्यूटी पार्लर, ड्राई क्लीनर, प्रेस वाला, धोबी, राशन, कपड़े, होजरी, ज्वेलरी, इलेक्ट्रॉनिक आइटम, फर्नीचर, बर्तन, जूते-चप्पल, गिफ्ट आइटम आदि की दुकानें एवं उनके सप्लायर या शादी से सम्बंधित अन्य सामानों को बेचने वाले प्रतिष्ठानों को रोजगार तो मिलता ही है, साथ ही साथ कई छोटे-बड़े, मध्यम वर्गीय लोगों तक को अपने आप रोजगार मिल जाता है। भेलूपुर-दुर्गाकुण्ड व्यवसायिक संघ से जुड़े संतोष अग्रवाल ने कहा केवल बनारस जिले में ही नही पूरे देश में लोग मांगलिक कार्यक्रमों के सीजन का इंतजार करते हैं। क्यूंकि मांगलिक कार्यक्रमों के सीजन में सैकड़ो-हजारों में नही बल्कि करोडों की संख्या में लोगो के लिए रोजगार उपलब्ध होते हैं। पूरे देश का बाजार शादियों-त्योहारों और पारिवारिक कार्यक्रमों के ऊपर ही आश्रित है। इन सीजनों पर बाजार की दिशा और दशा भी निर्भर करती है। इतना ही नही इन पर करोड़ो परिवारों की आजीविका भी निर्भर करती है। ब्रिजेश अग्रवाल ने कहा कि‍ शादियों-त्योहारों एवं बदलते ऋतुओं के सीजन को लेकर हर वर्ग का व्यापारी कई महीने से लगकर थोड़ा-थोड़ा रुपयों को जोड़कर माल खरीद कर संचय करता है, ताकि शादियों के समय उसे उचित मूल्य पर बेच कर मुनाफा कमाया जा सके। परन्तु पिछले एक साल में व्यापारी गर्मी के सीजन को लेकर तैयारी किया और लॉकडाउन लग गया। लम्बे अंतराल की बन्दी के बाद कुछ पाबंदियों के साथ बाजार खुला। बाजार खुलने के पश्चात व्यापार को सम्भलने में काफी समय लग गया, जिसमे की बारिशों का सीजन भी बीत गया। तभी कॅरोना के दूसरे स्ट्रेन की लहर ने धीरे-धीरे कर बाजार को सम्भलने का मौका ही नही दिया। जिसके कारण सर्दियों के सीजन और उसमें पड़ने वाले मांगलिक कार्यक्रमों का कोई फायदा नही मिल पाया। फिर पुनः व्यापारियों ने सोचा कि आने वाले 2021 के गर्मी की लगन बहुत अच्छी है इसमें माल बेचकर कुछ मुनाफा कमा लेंगे, जिससे लेन-देन करने में भी आसानी होगा। व्यापारी अपने तैयारी में लगा ही हुआ था कि, तब तक गर्मियां भी आ गयी और ये क्या …? कॅरोना के दूसरे स्ट्रेन को लेकर दुबारा फिर से लॉकडाउन लग गया। श्याम सुन्दर ने कहा कि एक तरफ तो शाशनादेश जारी कर मांगलिक कार्यक्रमों के लिए परमिशन का आदेश दिया जाता है। वहीं दूसरी तरफ मांगलिक कार्यक्रमों से सम्बंधित हर व्यक्ति को जो तैयारियां करनी होती है उन सभी बानो की दुकानो को बन्द रखने का आदेश भी दिया जाता है। जबकि मांगलिक कार्यक्रमों में सबसे ज्यादा उपयोगी वस्तुओं में कपड़े, होजरी, ज्वेलरी, इलेक्ट्रॉनिक आइटम, फर्नीचर, बर्तन, जुते-चप्पल, गिफ्ट आइटम आदि के सामानों की आवश्यकता होती है। परन्तु शाशन के आदेश से ये सभी बानो के प्रतिष्ठान एवं उनसे सम्बंधित सप्लायरों के गोदाम बन्द पड़े हैं तथा उसमें रखे लाखो-करोड़ो के सामानों पर अब तक धूल की मोटी परत जम भी चुकी होगी। दुकान, आफिस और गोदाम में कीड़े मकोड़ो ने अपना घर बना लिया होगा तथा दुकान ना खुल पाने के कारण पिछले बार दीमक लग जाने से लाखों-करोड़ों का नुकसान हुआ था जो कि लगता है इस बार भी होगा।तिलक बर्मन ने कहा इतना ही नही बाजार बन्द होने के पश्चात भी हम व्यापारियों को लाखों रुपये के लोन की किश्त, दुकान, गोदाम, ऑफिस का किराया, बिजली का बिल, टेलीफोन का बिल, टीडीएस, अपने घर के खर्चे, बच्चो के स्कूल की फीस आदि अन्य खर्चो को वहन करना अब मुश्किल हो गया है।रोहित सरावग़ी ने कहा की इस बार सरकार ने हम व्यापारियों को ना तो मोरटोरियम दिया ना ही किसी प्रकार की योजना। ना अभी तक बिजली व टेलीफोन के बिल में कोई छूट मिली। जिससे कि व्यापारी को थोड़ा राहत मिल सके।अमिताभ अग्रवाल ने कहा कि अगर सरकार जल्द ही व्यापारियों के आजीविका के बारे में नही सोचेगी तो व्यापारी कर्ज के बोझ के तले दबता जायेग और घुट-घुट के दम तोड़ देगा।कपिल गुप्ता ने कहा कि ऐसे नीति का क्या फायदा जिससे लाखों-करोडों परिवारों की आजीविका संकट में आ जाय। नीति ऐसी बनानी चाहिए जो सभी के हित में हो और दीर्घकालिक भी हो।बैठक में उपस्थित समस्त व्यापारियों ने शासन-प्रशासन से विनम्र अनुरोध किया है कि बाकी के बाजार खोलने का अदेश पारित कर घुट-घुट कर अपने मनोबल का दम तोड़ रहे व्यापारियों को ऑक्सीजन प्रदान करने की कृपा करें।बैठक में अरविंद अग्रवाल, आकाश पॉल, जय कृष्णचंदानी, मान्‍वेन्‍द्र चड्ढा, राहुल अग्रवाल, रोहित सराओगी, आलोक सिंह , राजेश धवन, रोहित, राजेश अग्रवाल, विपिन खनेजा, आदी, कार्तिक यादव, दिलीप केसरी, अरुण लखमानी, प्रतीक टेकमानी, संजीव खेमका आदि व्यापारी प्रमुख रूप से सम्मिलित थे।

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