आधार को 12वें मान्य दस्तावेज़ के रूप में शामिल करे- कोर्ट
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
अदालत ने कहा कि आधार कार्ड को अधिकारियों द्वारा “बारहवें दस्तावेज” के रूप में माना जाएगा। हालांकि, यह भी स्पष्ट किया गया कि अधिकारी आधार कार्ड की प्रामाणिकता और वास्तविकता की जांच करने के लिए अधिकृत होंगे। आधार को नागरिकता का प्रमाण नहीं माना जाएगा। चुनाव आयोग को इस संबंध में आज ही निर्देश जारी करने होंगे।
ध्यान रहे कि 10 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार चुनाव आयोग को निर्देश दिया था कि आधार कार्ड को राशन कार्ड और मतदाता फोटो पहचान पत्र (EPIC) के साथ मतदाता सूची में नाम शामिल करने के लिए स्वीकार किया जाए। इसके बाद, 22 अगस्त के आदेश में अदालत ने यह अनुमति दी थी कि ड्राफ्ट सूची से बाहर किए गए व्यक्ति, पुनः नाम दर्ज कराने के लिए आवेदन आधार कार्ड या अन्य ग्यारह दस्तावेज़ों के साथ जमा कर सकते हैं।
आधार नागरिकता का प्रमाण नहीं..: सुप्रीम कोर्ट
जस्टिस सूर्यकांत की अगुवाई वाली बेंच ने स्पष्ट किया कि आधार नागरिकता का प्रमाण नहीं है, और आयोग मतदाता सूची में नाम जोड़ने के लिए मतदाता द्वारा दिए गए आधार नंबर की प्रामाणिकता की जाँच कर सकता है।
कोई नहीं चाहता कि अवैध प्रवासी मतदाता सूची में आएं
बेंच ने कहा कि कोई नहीं चाहता कि अवैध प्रवासियों के नाम मतदाता सूची में आएं। इसलिए यह साफ होना चाहिए कि केवल असली नागरिकों को ही वोट डालने की अनुमति होगी और जो लोग फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर असली नागरिक होने का दावा करेंगे, उन्हें सूची से बाहर रखा जाएगा। अदालत ने आयोग से कहा कि वह दिन में ही आवश्यक निर्देश जारी करे ताकि पहचान प्रमाण के लिए आधार स्वीकार किया जा सके। साथ ही अदालत ने चुनाव अधिकारियों को मतदाताओं का आधार कार्ड न मानने पर जारी किए गए कारण बताओ नोटिसपर भी चुनाव आयोग से स्पष्टीकरण मांगा।
अदालत ने कहा कि आधार अधिनियम के अनुसार आधार नागरिकता का प्रमाण नहीं है, लेकिन जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 23(4) को ध्यान में रखते हुए आधार पहचान स्थापित करने के लिए एक मान्य दस्तावेज़ है। अदालत ने चुनाव आयोग के उस बयान को रिकॉर्ड में लिया कि आधार कार्ड को पहचान प्रमाण के रूप में स्वीकार किया जाएगा।
आधार को अकेले दस्तावेज के रूप में नहीं स्वीकार कर रहा आयोग: याची
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिसजॉयमाल्याबागची की पीठ ने यह आदेश RJD और अन्य याचिकाकर्ताओं की दलीलों पर सुनवाई के बाद पारित किया। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के अधिकारी आधार कार्ड को अकेले दस्तावेज़ के रूप में स्वीकार नहीं कर रहे थे और SIR अधिसूचना में बताए गए ग्यारह दस्तावेज़ों में से ही एक प्रस्तुत करने पर ज़ोर दे रहे थे।
11 दस्तावेज में पासपोर्ट और जन्मप्रमाण पत्र छोड़कर कोई नागरिकता का प्रमाण नहीं
ECI (चुनाव आयोग) की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने दलील दी कि आधार को नागरिकता का प्रमाण नहीं माना जा सकता। द्विवेदी ने आगे बताया कि चुनाव आयोग ने मीडिया में विज्ञापन प्रकाशित किए हैं, ताकि मतदाताओं को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बारे में जानकारी दी जा सके कि आधार को पहचान प्रमाण के रूप में स्वीकार किया जाएगा। इस पर जस्टिस बागची ने टिप्पणी की कि चुनाव आयोग द्वारा बताए गए 11 दस्तावेज़ों में से, पासपोर्ट और जन्म प्रमाण पत्र को छोड़कर कोई भी नागरिकता का प्रमाण नहीं है।
उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि आप स्पष्ट करें। अगर आप उन 11 दस्तावेज़ों को देखें, तो पासपोर्ट और जन्म प्रमाण पत्र को छोड़कर कोई भी नागरिकता का निर्णायक प्रमाण नहीं है। हमने स्पष्ट किया है कि आधार को भी शामिल किया जाए। इस दौरान अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय (जिन्होंने सभी राज्यों में राष्ट्रीय स्तर पर SIR लागू करने की अलग याचिका दायर की है) ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति के पास 11 दस्तावेज़ों में से कोई नहीं है तो आधार स्वीकार नहीं किया जा सकता।
वैसे दस्तावेज कोई भी जाली हो सकता है: सुप्रीम कोर्ट
इस पर न्यायमूर्ति बागची ने कहा कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम (RP Act) में खुद आधार कार्ड का उल्लेख किया गया है। वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने स्पष्ट किया कि यह RP Act की धारा 23(4) है, जिसमें आधार को पहचान प्रमाण के रूप में मान्यता दी गई है। जब उपाध्याय ने कहा कि कई आधार कार्ड जाली भी होते हैं, तो न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि कोई भी दस्तावेज़ जाली हो सकता है।
पीठ ने स्पष्ट कर दिया कि आधार को कम से कम पहचान प्रमाण के रूप में स्वीकार करना ही होगा। इसके बाद द्विवेदी ने आश्वासन दिया कि ऐसा किया जाएगा। याचिकाकर्ताओं ने तब अदालत से आग्रह किया कि आदेश में यह स्पष्ट कर दिया जाए कि आधार को “बारहवें दस्तावेज़” के रूप में स्वीकार किया जाएगा।
वरिष्ठ अधिवक्ता शंकरनारायणन ने कहा कि इस संबंध में आदेश होना चाहिए अन्यथा आदेश ज़मीनी स्तर तक नहीं पहुँचेगा और यह पहले दिए गए तीन आदेशों की तरह ही रह जाएगा।”जजों ने आपस में संक्षिप्त चर्चा के बाद आदेश में यह स्पष्ट कर दिया कि आधार को ‘बारहवें दस्तावेज़’ के रूप में स्वीकार किया जाएगा।
आधार पहचान के लिए अहम दस्तावेज
अदालत ने यह भी कहा कि संक्षिप्त मुद्दा आधार कार्ड की स्वीकार्यता और उसकी स्थिति से जुड़ा है। आधार अधिनियम के तहत आधार नागरिकता का प्रमाण नहीं है। लेकिन RP Act की धारा 23(4) को ध्यान में रखते हुए, आधार पहचान स्थापित करने के लिए एक दस्तावेज़ है। चुनाव आयोग के वरिष्ठ अधिवक्ता का कहना है कि आधार कार्ड को बिहार की संशोधित मतदाता सूची में नाम शामिल/हटाने के लिए पहचान प्रमाण के रूप में माना जाएगा।
चुनाव आयोग की ओर से अधिवक्ता ने क्या कहा?
चुनाव आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने बताया कि ड्राफ्ट सूची में शामिल 7.24 करोड़ मतदाताओं में से 99.6 प्रतिशत ने दस्तावेज़ जमा कर दिए हैं, इसलिए याचिकाकर्ताओं की यह मांग कि आधार को 12वाँ दस्तावेज़ माना जाए, किसी व्यावहारिक उद्देश्य की पूर्ति नहीं करती। पीठ ने आधार अधिनियम 2016 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम का हवाला देते हुए कहा कि आधार नागरिकता का प्रमाण नहीं है, लेकिन इसे पहचान प्रमाण के रूप में स्वीकार किया जा सकता है।