तियानजिन में SCO समिट में भारत की कूटनीतिक जीत हुई है,कैसे?

तियानजिन में SCO समिट में भारत की कूटनीतिक जीत हुई है,कैसे?

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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चीन के तियानजिन में आयोजित SCO समिट में भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत हुई है। SCO के मंच से भारत ने पहलगाम आतंकवादी हमले का मुद्दा उठाया। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने भारत के इस रुख की पुष्टि की है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की एक महत्वपूर्ण प्राथमिकता बनी रहनी चाहिए।

तियानजिन में एससीओ-प्लस बैठक में अपने संबोधन में, मिसरी ने एससीओ भागीदारों के साथ सतत विकास के लिए अपनी विशेषज्ञता और पहलों को साझा करने की भारत की तत्परता पर भी प्रकाश डाला। “विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने 1 सितंबर 2025 को तियानजिन में एससीओ प्लस बैठक में भाग लिया और अपना भाषण दिया।

उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया और साथ ही इस बात की पुष्टि की कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई एससीओ की एक महत्वपूर्ण प्राथमिकता बनी रहनी चाहिए और एससीओ भागीदारों के साथ सतत विकास के लिए अपनी विशेषज्ञता और पहलों को साझा करने की भारत की तत्परता पर प्रकाश डाला।

पीएम मोदी ने आतंक के खिलाफ एक्शन पर दिया जोर

सोमवार को तियानजिन में एससीओ राष्ट्राध्यक्ष परिषद की 25वीं बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकी फंडिंग और कट्टरपंथ के खिलाफ एकजुट एक्शन की जरूरत पर भी जोर दिया था। एससीओ ढांचे के तहत सहयोग को मजबूत करने के भारत के दृष्टिकोण पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत तीन स्तंभों ‘सुरक्षा, संपर्क और अवसर’ (Safety, connectivity and opportunity) के तहत व्यापक कार्रवाई चाहता है।

शांति, सुरक्षा और स्थिरता प्रगति और समृद्धि की कुंजी- पीएम मोदी

इस बात पर जोर देते हुए कि शांति, सुरक्षा और स्थिरता प्रगति और समृद्धि की कुंजी हैं, उन्होंने सदस्य देशों से आतंकवाद के सभी रूपों से लड़ने के लिए दृढ़ और निर्णायक कार्रवाई करने का आह्वान किया। पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद सदस्य देशों की मजबूत एकजुटता के लिए धन्यवाद देते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने जोर देकर कहा कि आतंकवाद से निपटने में कोई दोहरा मापदंड नहीं होना चाहिए और समूह से सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने और उसका समर्थन करने वाले देशों को जवाबदेह ठहराने का आग्रह किया।

प्रधानमंत्री मोदी ने विकास को बढ़ावा देने और विश्वास निर्माण में संपर्क की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत चाबहार बंदरगाह और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (International North-South Transport Corridor) जैसी परियोजनाओं का पुरजोर समर्थन करता है। शिखर सम्मेलन में एससीओ विकास रणनीति, वैश्विक शासन में सुधार, आतंकवाद-निरोध, शांति और सुरक्षा, आर्थिक और वित्तीय सहयोग और सतत विकास पर सार्थक चर्चा हुई।

कौन-कौन देश हैं SCO के सदस्य?

बता दें कि एससीओ एक स्थायी अंतर-सरकारी अंतर्राष्ट्रीय संगठन है, इसकी स्थापना 15 जून, 2001 को शंघाई में हुई थी। इसमें सदस्य देश चीन, रूस, भारत, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, पाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, ईरान और बेलारूस। एससीओ के दो पर्यवेक्षक देश हैं, जिनमें अफगानिस्तान और मंगोलिया शामिल हैं। साथ ही 14 संवाद सहयोगी – तुर्की, कुवैत, अजरबैजान, आर्मेनिया, कंबोडिया, नेपाल, श्रीलंका, सऊदी अरब, मिस्र, कतर, बहरीन, मालदीव, म्यांमार और संयुक्त अरब अमीरात हैं।

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