युद्ध से भारत को सावधान रहने की आवश्यकता है,क्यों?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हमले के बाद इजरायल और ईरान के बीच तनाव और बढ़ गया है। इसको लेकर भारत के नजरिए की भी चर्चा हो रही है। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के पूर्व डीन प्रोफेसर अश्विनी कुमार महापात्रा ने इस बारे में अपने विचार साझा किए कि भारत इस जटिल स्थिति से कैसे निपट सकता है।
एएनआई से बात करते हुए प्रोफेसर अश्विनी कुमार महापात्रा ने इस बात पर जोर दिया कि भारत को सावधानी से आगे बढ़ना चाहिए, जल्दबाजी में फैसले लेने से बचना चाहिए और संतुलित विदेश नीति बनाए रखनी चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि भारत इजरायल और ईरान को बातचीत में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करके और बातचीत के जरिए समाधान को बढ़ावा देकर भूमिका निभा सकता है।
‘भारत को करना चाहिए इंतजार’
महापात्रा ने कहा, “हमें कुछ समय तक इंतजार करना होगा और उसके बाद उचित अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत को शांतिपूर्ण समाधान के लिए अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी और अंतरराष्ट्रीय प्रयासों को क्षेत्र में शांति और स्थिरता स्थापित करने पर केंद्रित करना होगा।” उन्होंने कहा कि ऐसा करने से भारत को फायदा होगा, क्योंकि हमारे पास भारत-मध्य पूर्व आर्थिक गलियारा जैसी बड़ी योजनाएं हैं और उत्पादक आर्थिक संबंध हैं।
इजरायल-ईरान युद्ध से आईएमईसी को खतरा?
इजरायल और ईरान के बीच चल रहे संघर्ष की वजह से आईएमईसी को जोखिम का सामना करना पड़ रहा है। इसकी प्रोग्रेस खतरे में पड़ सकती है और द्विपक्षीय व्यापार प्रभावित हो सकता है। इसके अलावा, लाल सागर और इसके आसपास के जलक्षेत्रों में शिपिंग व्यवधानों की वजह से देरी, शिपिंग लागत में इजाफा और वैश्विक व्यापार के रास्तों में अस्थिरता आ सकती है।
प्रोफेसर महापात्रा ने इस बात पर जोर दिया कि क्षेत्रीय संघर्ष में उलझे रहने के बजाय हम क्षेत्र में शांति और स्थिरता की आशा कर सकते हैं ताकि क्षेत्र में संघर्षों को नियंत्रित किया जा सके और उनके विस्फोट या विस्तार को रोका जा सके।
भारत की एनर्जी सिक्योरिटी पर कितना होगा असर?
यह संघर्ष वैश्विक तेल बाजारों के लिए चुनौती बन सकता है, जिसका असर भारत की ऊर्जा सुरक्षा पर पड़ सकता है। महापात्रा ने सुझाव दिया कि ये चुनौतियां संभव हैं, लेकिन यह इस बात पर निर्भर करेगा कि स्थिति कैसी होती है।
क्या भारत कर सकता है इजरायल-ईरान संघर्ष की मध्यस्थता?
यह पूछे जाने पर कि क्या भारत इजरायल-ईरान संघर्ष में मध्यस्थ हो सकता है? इस पर प्रोफेसर महापात्रा ने बताया कि यह संभव है; हालांकि, भारत अकेले मध्यस्थ के रूप में कार्य नहीं कर सकता है, बल्कि मध्यस्थता के लिए यूरोपीय संघ जैसे अन्य तटस्थ साझेदारों को भी इसमें शामिल कर सकता है।
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