इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC814 का 24 दिसंबर 1999 को अपहरण किया गया था

इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC814 का 24 दिसंबर 1999 को अपहरण किया गया था

कंधार अपहरण कांड की बरसी पर विशेष

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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भारत के खिलाफ पाक‍िस्‍तान प्रायोजित आतंकवाद की यह सबसे मुखर अभिव्‍यक्ति थी, ज‍िसमें एक पाक‍िस्‍तानी आतंकवादी सिर्फ एक अध‍िकारी नहीं, पूरे भारत देश को चैलेंज करता दिखा। पाकिस्तान वैसे तो आतंकियों का सबसे महफूज पनाहगाह है, इस बात से तो पूरी दुनिया वाकिफ है।

लेकिन जब बारी बदला लेने की हो तो भारत कई मौकों पर इजरायल को भी पीछे छोड़ता नजर आया। ऐसे में आज आपको कंधार अपहण की कहानी सुनाते हैं और साथ में बताते हैं कि विमान अपरहरण को अंजाम देने वाले आतंकियों में से कितनों से भारत ने बदला ले लिया हैं।

24 दिसंबर 1999 नेपाल की राजधानी काठमांडू का त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा क्रिसमस से एक दिन पहले की सर्द शाम को इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC814 दिल्ली के लिए रवाना होने के लिए तैयार हो रही थी। दूसरी ओर आतंकवादी समूह हरकत उल मुजाहदीन के पांच सदस्य इब्राहिम अथहर, शाहिद अख्तर सईद, सन्नी अहमद काजी, मिस्त्री जहूर इब्राहिम और शकीर काठमांडू हवाई अड्डे पर इस फ्लाइट के लिए चेक इन कर रहे थे। इन अपहरणकर्ताओं ने खुद के लिए चीफ, डॉक्टर, बर्गर, भोला और शंकर जैसे कोड नामों का इस्तेमाल किया था।

इंडियन एयरलाइंस के इस विमान में 11 चालक दल के सदस्यों समेत 190 यात्री सवार थे। फ्लाइट के कैप्टन थे देवी शरण और उनके साथ थे फर्स्ट ऑफिसर राजेंद्र कुमार और फ्लाइट इंजीनियर अनिल कुमार जागिया। इन अपहरणकर्ताओं के लिए टिकट तीन अलग-अलग टूर एजेंसियों के जरिए झूठे नामों के तहत बुक किए गए थे और 13 दिसंबर को बुकिंग बदल दी गई थी। अपनी 1 घंटा 20 मिनट की एक छोटी सी उड़ान में जी विमान दिल्ली पहुंचने वाला था।

विमान ने भारतीय समय अनुसार 4:00 बजे काठमांडू हवाई अड्डे से उड़ान भरी। लगभग 39 मिनट बाद जब विमान इंडियन एयर स्पेस में दाखिल हुआ और विमान में ड्रिंक्स परोसी जा रही थी। ठीक तभी मास्क पहने हुआ एक शख्स अपने हाथ में रिवाल्वर और ग्रेनेड लिए हुए कॉकपिट में दाखिल हुआ। कुछ ही समय में इन अपहरणकर्ताओं ने विमान के पायलटों समेत पूरे विमान में यात्रियों को काबू कर लिया।

उन्होंने फ्लाइट में पुरुष यात्रियों को महिलाओं से अलग करना शुरू कर दिया और फ्लाइट में यात्री एक दूसरे से अलग हो गए। इस बीच पायलट ने अपहरणकर्ताओं से नजर बचाकर एक इमरजेंसी ट्रांसपाउंडर दबाया। जिससे 4:56 पर दिल्ली के एयर ट्रैफिक कंट्रोल तक यह जानकारी पहुंच गई कि काठमांडू से दिल्ली आने वाली इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट संख्या IC814 में कुछ गड़बड़ी है।

तीन आतंकियों को करना पड़ा रिहा

अपहरणकर्ताओं की शुरुआती मांग तो काफी लंबी-चौड़ी थी, लेकिन आखिर में वे भारत की जेल में बंद तीन प्रमुख आतंकवादियों- मसूद अजहर, अहमद उमर सईद शेख और मुश्ताक अहमद जरगर की रिहाई पर मान गए। आठ दिनों की तनावपूर्ण वार्ता के बाद भारत सरकार ने इन तीनों को रिहा कर दिया, जिसके बदले अपहरणकर्ताओं ने यात्रियों को मुक्त किया।

अपहरण की टाइमलाइन

24 दिसंबर, 1999

लगभग शाम 4:00 बजे (भारतीय समय): इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC-814 नेपाल के काठमांडू से नई दिल्ली के लिए रवाना हुई।

शाम 4:53 बजे (भारतीय समय): भारतीय हवाई क्षेत्र में प्रवेश करने के कुछ ही समय बाद, पांच हथियारबंद लोगों ने विमान का अपहरण कर लिया और पायलट को पाकिस्तान के लाहौर जाने का निर्देश दिया।

शाम 7:00 बजे (भारतीय समय): लाहौर में उतरने की अनुमति न मिलने पर, विमान ईंधन भरने के लिए भारत के अमृतसर में उतरा।

रूपिन कात्याल पर हमला: अमृतसर में ईंधन भरने में देरी से नाराज होकर, अपहरणकर्ताओं में से एक ने यात्री रूपिन कात्याल पर चाकू से हमला कर दिया, जिनकी बाद में मृत्यु हो गई।

शाम 7:49 बजे (भारतीय समय): विमान बिना ईंधन भरे अमृतसर से रवाना हो गया।

रात 8:01 बजे (भारतीय समय): पाकिस्तानी अधिकारियों से अनुमति मिलने के बाद विमान लाहौर में उतरा। IC-814 में लाहौर में ईंधन भरा गया।

रात 10:32 बजे (भारतीय समय): विमान लाहौर से अफगानिस्तान के काबुल के लिए रवाना हुआ।

प्रवेश से इनकार: विमान को काबुल में प्रवेश करने से रोक दिया गया, जिसका कारण रात्रिकालीन लैंडिंग सुविधाओं का अभाव बताया गया। परिणामस्वरूप, विमान ने अपना मार्ग बदलकर दुबई, संयुक्त अरब अमीरात की ओर मोड़ दिया।

25 दिसंबर, 1999

1:32 पूर्वाह्न (भारतीय समय): विमान दुबई के पास अल मिन्हाद हवाई अड्डे पर उतरा।

27 यात्रियों को रिहा किया गया: अमीराती अधिकारियों के साथ बातचीत के बाद, विमान में ईंधन भरा गया और 27 यात्रियों – जिनमें अधिकतर महिलाएं, बच्चे और घायल थे – को कात्याल के शव के साथ रिहा कर दिया गया।

6:20 पूर्वाह्न (भारतीय समय): दुबई में कुछ घंटे बिताने के बाद, विमान अफगानिस्तान के कंधार के लिए रवाना हुआ।

8:33 पूर्वाह्न (भारतीय समय): विमान कंधार में उतरा, जहां तालिबान सैनिकों ने उसे तुरंत घेर लिया।

26 दिसंबर, 1999

संयुक्त राष्ट्र की भागीदारी: संयुक्त राष्ट्र की एक टीम ने तालिबान और अपहरणकर्ताओं से संपर्क स्थापित किया।

27-30 दिसंबर, 1999: वार्ता

भारत ने खुफिया एजेंटों सहित वार्ताकारों की एक टीम और एक राहत दल को कंधार भेजा।

अपहरणकर्ताओं और भारतीय अधिकारियों के बीच वार्ता शुरू हुई।

अपनी मांगों में कई बार बदलाव के बाद, अपहरणकर्ता अंततः शेष सभी बंधकों के बदले भारत में कैद मसूद अजहर और दो अन्य आतंकवादियों की रिहाई पर सहमत हो गए।

31 दिसंबर, 1999: बंधकों की रिहाई

भारतीय विदेश मंत्री जसवंत सिंह तीनों आतंकवादियों के साथ कंधार गए।

तीनों आतंकवादियों को शेष सभी बंधकों के बदले रिहा कर दिया गया।

तालिबान ने अपहरणकर्ताओं को रिहा किए गए आतंकवादियों के साथ कंधार छोड़ने की अनुमति दी।

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