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भारत का रक्षा निर्यात रिकॉर्ड 21 हजार करोड़ के पार - श्रीनारद मीडिया

भारत का रक्षा निर्यात रिकॉर्ड 21 हजार करोड़ के पार

भारत का रक्षा निर्यात रिकॉर्ड 21 हजार करोड़ के पार

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

देश का रक्षा निर्यात पहली बार बेतहाशा बढ़ा है। स्वतंत्र भारत के इतिहास में रक्षा निर्यात 21 हजार करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इंटरनेट मीडिया पर देश की एक बहुत बड़ी सफलता की घोषणा कर बताया कि भारत ने 84 देशों को अपने रक्षा उत्पाद बेचकर यह चमत्कारिक लगने वाला लक्ष्य हासिल किया है। इस दिशा में सिर्फ एक वित्त वर्ष में 32.5 प्रतिशत का उछाल आया है।

भारत ने किया 21,083 करोड़ रुपये का रक्षा निर्यात

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को एक्स पर पोस्ट करके बताया कि भारत ने एक बड़े रक्षा आयातक देश से एक बड़े रक्षा निर्यातक देश बनने की दिशा में अहम कदम ले लिया है। भारत ने पहली बार वित्त वर्ष 2023-24 में 21,083 करोड़ रुपये का रक्षा निर्यात किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में रक्षा मंत्रालय ने कई ऐसे कदम उठाए जो इस रूप में फलीभूत हुए।

50 कंपनियों ने दिया अहम योगदान

उन्होंने कहा कि रक्षा निर्यात बढ़ाने के लिए न सिर्फ भारत के रक्षा निर्माण क्षेत्र को प्रेरित किया गया बल्कि तकनीकी रूप से आधुनिक बनाने की सुविधाएं बढ़ाई गई हैं। इससे सरकारी और निजी क्षेत्र की कंपनियों के लिए उत्साहजनक वातावरण बन गया है। भारत के रक्षा निर्यात की इस सफलता की कहानी को अंजाम तक पहुंचाने में करीब 50 भारतीय कंपनियों ने अहम योगदान दिया है।

इन कंपनियों ने अन्वेषण के साथ ही प्रभावशीलता, गुणवत्ता का विशेष ख्याल रखते हुए भारत की रक्षा उपकरणों और तकनीकों के विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में विश्व पटल पर स्थापित कर दिया है।

एएलएच हेलीकॉप्टर, कोस्टल सर्विलांस सिस्टम, कवच आदि का निर्यात

भारत के रक्षा निर्यातक भौगोलिक रूप से विश्व के कोने-कोने तक अपनी पहुंच बना चुके हैं। देश के निर्यात किए उत्पाद इटली, मालदीव, श्रीलंका, रूस, यूएई, पोलैंड, फिलीपींस, सऊदी अरब, मिस्र, इजरायल, स्पेन, चिली समेत कई अन्य देशों तक पहुंच रहे हैं। भारतीय रक्षा उत्पादों की मांग वैश्विक स्तर पर बढ़ रही है।

अंतरराष्ट्रीय खरीददारों में  भारतीय उत्पादों को लेकर विशेष रुचि

सुरक्षा के क्षेत्र में भारत की क्षमताओं को वैश्विक स्वीकृति मिल चुकी है। जिन भारतीय रक्षा उत्पादों का अधिकाधिक निर्यात किया जा रहा है, उनमें निजी सुरक्षा उपकरण, आफशोर पेट्रोल व्हिकिल, एएलएच हेलीकॉप्टर, एसयू एवियानिक्स, कोस्टल सर्विलांस सिस्टम, लाइट इंजीनियरिंग मैकेनिकल पार्ट्स, कवच एमओडी अन्य कई रक्षा उपकरण शामिल हैं। इन अत्याधुनिक रक्षा उपकरणों और तकनीकों के चलते अंतरराष्ट्रीय खरीददारों की भारतीय उत्पादों में विशेष रुचि है।

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और व्यापार करने में सुगमता यानी ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की दिशा में रक्षा मंत्रालय ने कदम बढ़ाया है। रक्षा मंत्रालय के रक्षा उत्पादन विभाग ने गुणवत्ता आश्वासन महानिदेशालय (डीजीक्यूए) के पुनर्गठन के लिए अधिसूचना जारी की है।

इस फैसले का उद्देश्य गुणवत्ता जांचने वाली प्रक्रियाओं और परीक्षणों में तेजी लाने के साथ ही निर्णय लेने की लंबी प्रक्रिया को आसान बनाना है। यह कदम व्यापार करने में सुगमता और रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भरता’ की दिशा में बड़ा रिफार्म है। नई संरचना से सभी स्तरों पर संपूर्ण उपकरण/हथियार प्लेटफार्म के लिए एकल-बिंदु तकनीकी सहायता और उत्पाद-आधारित गुणवत्ता आश्वासन में एकरूपता आएगी।

प्रूफ रेंज और परीक्षण सुविधाओं के पारदर्शी आवंटन के लिए रक्षा परीक्षण और मूल्यांकन संवर्धन के अलग निदेशालय का भी प्रावधान किया गया है। मंत्रालय ने कहा कि आयुध कारखानों के नए डीपीएसयू में निगमीकरण, निजी रक्षा उद्योग की बढ़ती भागीदारी और स्वदेशीकरण की दिशा में सरकार के प्रोत्साहन के साथ उभरते रक्षा विनिर्माण उद्योग को समर्थन के लिए डीजीक्यूए को पुनर्गठित करने की आवश्यकता महसूस की गई।

गुणवत्ता आश्वासन पद्धति में आएगी बदलाव

अधिकारियों ने कहा कि इस पुनर्गठन से गुणवत्ता आश्वासन पद्धति में बदलाव आएगी। डीजीक्यूए पहले से ही रक्षा विनिर्माण ईकोसिस्टम में सभी हितधारकों के साथ विचार-विमर्श के बाद विभिन्न संगठनात्मक और कार्यात्मक सुधार कर रहा है।

इस व्यवस्था से डीजीक्यूए के साथ रक्षा उद्योग की भागीदारी में उल्लेखनीय सुधार होने की उम्मीद है। इससे आत्मनिर्भर भारत के तहत स्वदेशीकरण अभियान को बढ़ावा के साथ ही उच्च गुणवत्ता वाले योग्य रक्षा उत्पादों के निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा।

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