क्या बिहार के 237 नेता नहीं लड़ सकेंगे चुनाव?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

देशभर के 1069 लोगों ने चुनावी खर्च का हिसाब चुनाव आयोग को नहीं दिया है, जिसमें से बिहार के 237 नेता शामिल हैं. ये लोग 2019 में लोकसभा और 2020 में विधानसभा का चुनाव लड़ने वाले पूर्व प्रत्याशी हैं. चुनावी खर्च का हिसाब नहीं देने पर भारत निर्वाचन आयोग ने इनके चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाते हुए इसकी लिस्ट मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को भेज दिया है. कानूनी प्रावधानों के तहत अब ये किसी भी प्रकार के चुनाव में हिस्सा नहीं ले सकते हैं. इनके उम्मीदवार बनने पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा. इसमें कुछ लोगों की अयोग्यता की अवधि जून 2024 है. वहीं कुछ के चुनाव लड़ने पर 2027 तक प्रतिबंध लगाया गया है.

 चुनाव आयोग ने चुनाव लड़नेवाले कई नेताओं को काली सूची में डाल दिया है. काली सूची में डाले गये नेताओं ने चुनाव आयोग को चुनाव के दौरान किये गये खर्च की कोई जानकारी नहीं दी है. कानून कहता है कि लोकसभा और विधानसभा समेत किसी भी तरह का चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों को चुनावी खर्च का हिसाब चुनाव आयोग को देना अनिवार्य है.

अगर प्रत्याशी चुनावी खर्च का हिसाब नहीं देते हैं, तो आयोग उनके चुनाव लड़ने पर रोक तक लगा सकता है. चुनाव आयोग ने चुनाव का खर्च नहीं बतानेवाले बिहार के 237 पूर्व प्रत्याशियों को काली सूची में डाल दिया है. अब ये नेता किसी भी स्तर का चुनाव नहीं लड़ सकते हैं.

प्रावधानों के अनुसार अगर कोई व्यक्ति चुनाव लड़ता है, तो उसे नतीजे घोषित होने के तीस दिनों के भीतर चुनावी खर्च का ब्योरा चुनाव आयोग को देना होता है, लेकिन इन लोगों ने कई साल बीत जाने के बावजूद चुनावी खर्च का ब्योरा आयोग को उपलब्ध नहीं कराया है. इसके बाद चुनाव आयोग ने सख्त एक्शन लेते हुए पूरे देश के 1069 पूर्व प्रत्याशियों के अगला चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगा दी है.

देशभर के 1069 पूर्व प्रत्याशियों में बिहार के 237, यूपी के 121, तेलंगाना के 107, मध्य प्रदेश के 79, छत्तीसगढ़ में 73, आंध्र प्रदेश में 51, कर्नाटक में 75 हैं. इसमें कुछ लोगों की अयोग्यता की अवधि जून 2024 है. वहीं कुछ के चुनाव लड़ने पर 2027 तक प्रतिबंध लगाया गया है. उसमें झारखंड में 26, दिल्ली में 21, हिमाचल प्रदेश में 9, पंजाब में 7, उत्तराखंड में 24, हरियाणा में 55 और पश्चिम बंगाल में 17 पूर्व प्रत्याशी शामिल हैं.

बिहार में 237 लोगों के चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगाई गई है। दूसरे स्थान पर उत्तर प्रदेश के प्रत्याशी हैं। वहां पर 121 प्रत्याशियों ने अपना खर्च वाला ब्योरा आयोग को नहीं दिया। तीसरे स्थान पर तेलंगाना है, जहां 107 लोगों के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाया गया है।

मध्य प्रदेश में 79 और छत्तीसगढ़ में ऐसे लोगों की संख्या 73 है। आंध्र प्रदेश में 51, कर्नाटक में 75 एवं मध्य प्रदेश में 79 है। इनमें कुछ लोगों की अयोग्यता अवधि जून 2024 तक है।

वहीं कुछ लोगों की चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध 2027 तक लगाया गया है। ऐसी स्थिति में ये सभी लोग आगामी विधानसभा का चुनाव भी नहीं लड़ सकते हैं। इनकी संख्या झारखंड में 26, दिल्ली में 21, हिमाचल प्रदेश में नौ, पंजाब में सात, उत्तराखंड में 24, हरियाणा में 55 और बंगाल में 17 है।

30 दिनों के भीतर देना होता है हिसाब

उल्लेखनीय है कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम में इसका दिशा निर्देश दिया गया है कि यदि कोई व्यक्ति विधानसभा या लोकसभा का चुनाव लड़ता है तो उसका परिणाम घोषित होने के 30 दिनों के अंदर उसे अपने चुनावी खर्च का ब्योरा देना होता है।  अगर वह निर्धारित समय-सीमा के बीच यह ब्योरा नहीं देता है तो चुनाव आयोग आगे की एक निश्चित अवधि के लिए उसके चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा देता है।

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