क्या भारत की जीडीपी विकास दर में उछाल का अनुमान है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी फिच और भारतीय रिजर्व बैंक के बाद अब एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने भी चालू वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारत के आर्थिक विकास अनुमान को संशोधित किया है। सितंबर, 2025 में एडीबी ने भारत की सालाना आर्थिक विकास दर के 6.5 फीसद रहने का अनुमान लगाया था लेकिन अब उसे बढ़ा कर 7.2 फीसद कर दिया है। भारत में महंगाई दर में और गिरावट का अनुमान भी एडीबी ने लगाया है।

एडीबी ने दक्षिण एशिया एशिया की ग्रोथ रेट को ऊपर की तरफ संशोधित किया है और इसके लिए भारतीय इकोनमी की शानदार प्रदर्शन को भी प्रमुख कारण बताया गया है। दक्षिण एशिया की ग्रोथ रेट अनुमान को 5.9 फीसद से बढ़ा कर 6.5 फीसद किया गया है।

एडीबी ने अपनी ताजा ‘एशियन डेवलपमेंट आउटलुक’ (अप्रैल 2025 अपडेट) रिपोर्ट जारी की है जिसमें भारतीय इकोनमी को लेकर काफी सकारात्मक टिप्पणियां की गई हैं और हाल ही में केंद्र सरकार की तरफ से उठाए गये सुधारवादी कदमों की भी तारीफ की है।

एडीबी ने कहा है कि इस संशोधन के साथ भारत एक बार फिर एशिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था बना हुआ है। इसके लिए बैंक ने भारत की मजबूत घरेलू मांग, सरकारी पूंजीगत व्यय में निरंतरता और विनिर्माण तथा सेवा क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन को बड़ा कारण बताया है।

एडीबी की उक्त रिपोर्ट के मुताबिक, “इस संशोधन का मुख्य कारण वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर 2025) में अपेक्षा से कहीं बेहतर 8.2 फीसद की वृद्धि रही। इसकी वजह से वित्त वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर 2025) में औसत विकास दर 8.0 फीसद रही है। यह मजबूत प्रदर्शन घरेलू मांग में सुधार होने के साथ ही विनिर्माण और सेवा क्षेत्र के जोरदार विस्तार से संभव हुआ है।

उपभोग और निवेश में लगातार सुधार होने का असर दिखने लगा है। निर्यात की स्थिति भी ठीकहै क्योंकि अमेरिकी टैरिफ बढ़ने से पहले एडवांस में जो आर्डर लिए गए थे वह मजबूत थे और भारत उत्पादों का गैर-अमेरिकी बाजारों में विविधीकरण किया गया है, इसका भी असर है।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि, दूसरी छमाही में ग्रोथ रेट के सुस्त पड़ने की संभावना को देखते हुए केंद्र सरकार राजकोषीय समायोजन केलिए पूंजीगत व्यय को नियंत्रित कर रही है। ऊंचे अमेरिकी टैरिफ के कारण कुछ सेक्टर में निर्यात के प्रभावित होने की संभावना है जिससे निर्यात में कुछ अड़चनें आ सकती हैं।

रिपोर्ट में दक्षिण एशियाई देशों की बात करें तो पाकिस्तान और श्रीलंका के लिए सालाना आर्थिक विकास दर अनुमान को बेहतर किया गया है। अब पाकिस्तान की इकोनमी 2.7 फीसद के बजाये तीन फीसद की ग्रोथ दर हासिल कर सकती है। हालांकि बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था में और कमजोरी आने की संभावना है। बांग्लादेश के आंतरिक हालात व राजनीतिक अस्थिरता को एक बड़ा कारण बताया गया है।

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