क्या रासुका सिर्फ हिन्दू संगठनों के लिए है? ऐसे फिल्म मेकरों पर क्यों नहीं लगती जो वैश्विक स्तर पर भावनाओं को आहत करें? – रोशन पाण्डेय

क्या रासुका सिर्फ हिन्दू संगठनों के लिए है? ऐसे फिल्म मेकरों पर क्यों नहीं लगती जो वैश्विक स्तर पर भावनाओं को आहत करें? – रोशन पाण्डेय

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श्रीनारद मीडिया / सुनील मिश्रा वाराणसी यूपी

वाराणसी / राष्ट्रीय हिन्दू दल संगठन के अध्यक्ष हिन्दू नेता रोशन द्वारा फिल्म आदिपुरुष को लेकर लगातार विरोध जारी है। रोशन पाण्डेय ने कहा कि काशी के समस्त विद्वत्त समाज व साधू संतो मठों को इसके विरुद्ध आवाज उठाना चाहिए यदि धर्म पर प्रहार होते देख ये सभी चुप है तो हिन्दू समाज को इन लोगों का विरोध करना चाहिए। ऐसे धर्मगुरु किस काम का जो सनातन धर्म संस्कृति पर हो रहे आघात/प्रहार पर अपनी आंख बंद कर बैठे हो ऐसे कालनेमी भी सनातन के शत्रु के सामान है। अयोध्या,मथुरा, हरिद्वार के संतो मठों ने लगातार आवाज उठाया है लेकिन काशी के साधु संत मठाधीश सभी आंख बंद किए अलग अलग राजनीतिक दलों में बंटे हुए हैं यही हिन्दू समाज के लिए घातक सिद्ध होंगे। अभी तो फिल्म आदिपुरुष का पोस्टर पर कालिख पोत कर एवं पोस्टर जलाकर विरोध जताया है यदि नहीं रोका गया तो सिनेमाघरों तक यह विरोध राष्ट्रीय स्तर पर होगा।

इस्लामिक ताकतों की फंडिंग पर बनाई जा रही फिल्में, फिल्मों पर इस्लामीकरण का प्रभाव दिखाने की है कोशिश हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत करते रहना बॉलीवुड के लिए अब एक आम बात हो गई है। जबतक इन्हें सबक नहीं सिखाया जाएगा ये ऐसे ही फिल्म बनते रहेगा।

हमलोगो के लिए छोटी छोटी सी बातें पर पुलिस प्रशासन द्वारा स्वत: मुकदमा दर्ज हो जाता है जेल भेज दिया जाता है लेकिन ऐसे कलाकारों डायरेक्टरो के विरुद्ध कोई कार्रवाई क्यों नहीं होती? जो वैश्विक स्तर पर हिन्दू जनमानस की आस्था को चोट पहुंचाते हैं ऐसे लोगों पर रासुका क्यों नहीं लगती हैं? क्या रासुका सिर्फ हिन्दू संगठनों के लिए है?

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