क्या कांस्टीट्यूशन क्लब ऑफ़ इंडिया में रूढ़ी की जीत मोदी एवं शाह की हार है?
राजीव प्रताप रूडी ने डॉ. संजीव बालियान को 102 वोटों से हराया
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
सांसदों के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया के चुनाव ने देश में खूब सुर्खियां बटोरी। वैसे तो क्लब के चुनाव पहले भी हुए लेकिन इस बार सांसद राजीव प्रताप रूडी और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ संजीव बालियान के बीच मुकाबला होने से मामला ज्यादा दिलचस्प हो गया। दोनों ही बीजेपी के नेता हैं और चुनाव प्रचार में दोनों ने जिस तरह से ताकत झोंकी, ये कहीं न कहीं प्रतिष्ठा से जुड़ता चला गया। इस चुनाव को देश ने बीजेपी बनाम बीजेपी के रूप में देखा। मंगलवार को वोटिंग हुई इसमें अमित शाह, जेपी नड्डा, सोनिया गांधी जैसे दिग्गजों ने वोट डाला। काफी इंतजार के बाद आखिरकार राजीव प्रताप रूडी ने 102 वोट से डॉ संजीव बालियान को हरा दिया।
इस चुनाव का क्रेज राज्यसभा चुनाव जैसा देखने को मिला। दोनों खेमों ने जमकर प्रचार किया। डिनर डिप्लाेमैसी के भी खूब दौर चले।लेकिन साथ ही इस चुनाव को राजपूत बनाम जाट सियासत से भी जोड़ा गया। किसी ने इसे यूपी से जोड़कर भी देखा। कई नेता इसे बीजेपी की अंदरूनी लड़ाई भी बताते रहे। बीजेपी नेता संगीत सोम और डॉ संजीव बालियान की जुबानी जंग की भी चर्चाएं हुईं।
दरअसल राजीव प्रताप रूडी पिछले 25 सालों से कांस्टीट्यूशन क्लब के अध्यक्ष हैं। इससे पहले क्लब में 2009, 2014 और 2019 में चुनाव हुआ। राजीव प्रताप रूडी इस बार भी दावेदारी करने उतरे लेकिन जैसे ही डॉ संजीव बालियान ने पर्चा दाखिल किया और ये साफ हो गया कि चुनाव होगा और मामला दिलचस्प हो गया। हो भी क्यों न? बीजेपी के दो सीनियर नेताओं के बीच मुकाबला था।
लेकिन बालियान के पर्चा दाखिल करते हुए सियासी हलकों में राजपूत बनाम जाट राजनीति की कयासबाजी शुरू हो गई। दरअसल 2024 के लोकसभा चुनाव पर गौर करें तो उत्तर प्रदेश में खासतौर पर बीजेपी को राजपूत बिरादरी की नाराजगी झेलनी पड़ी थी। सीएम योगी आदित्यनाथ भी राजपूत बिरादरी से ही आते हैं लेकिन बीजेपी यहां चुनाव में सपा के बाद दूसरे नंबर की पार्टी बनकर रह गई। वहीं डॉ संजीव बालियान जो भले ही जाट नेता हैं लेकिन उनके समेत कई बीजेपी नेताओं को हार का सामना करना पड़ा। सपा-कांग्रेस के इंडिया गठबंधन ने कई जगह बीजेपी के दिग्गजों को मात दी।
यही नहीं बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ जब हरियाणा के दिग्गज महिला पहलवानों ने आरोप लगाया तो भी इस मामले को जाट बनाम राजपूत के रूप में प्रचारित करने की कोशिश हुई। बृजभूषण भले ही चुनाव से दूर हुए लेकिन बीजेपी ने उनके बेटे को टिकट देकर संतुलन बनाने की कोशिश की। बृजभूषण के बेटे की तो जीत हुई लेकिन बीजेपी सिर्फ 33 सीटो पर ही सिमटकर रह गई।
अब रूडी और बालियान के मुकाबले को यूपी की उसी राजपूत नाराजगी से जोड़ने की कोशिश हुई। ये प्रचारित किया जाना शुरू हुआ कि चूंकि राजीव प्रताप रूडी राजपूत बिरादरी से आते हैं लिहाजा राजपूत सांसद उनका ही समर्थन करेंगे।
इसमें बीजेपी के फायर ब्रांड संगीत सोम की डॉ संजीव बालियान से तल्ख रिश्तों को लेकर भी तमाम तर्क गढ़े जाने लगे। दरअसल 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में संगीत सोम सरधना से अपनी सीट बचाने की कोशिश में लगे थे। सपा-रालोद गठबंधन के तहत अतुल प्रधान से उनका मुकाबला था। ये गठबंधन काम कर गया और अतुल प्रधान ने जीत हासिल कर ली। चुनाव बाद संगीत सोम ने आरोप लगाया कि डॉ संजीव बालियान ने उन्हें हरवाया। वह जाट नेता हैं और इसी क्षेत्र से सांसद भी हें लेकिन उन्होंने जाटों के वोट नहीं दिलाए। यहां से दोनों नेताओं में सियासी अदावत शुरू हो गई। कई बार ऐसे मौके आए जब दोनों में तल्ख बयानबाजी हुई और बीजेपी के दिग्गजों को हस्तक्षेप करना पड़ा।
यही नहीं चर्चा ये भी रही कि चूंकि राजीव प्रताप रूडी अटल के जमाने से पार्टी के कद्दावर नेता हैं। दूसरी तरफ डॉ संजीव बालियान को वर्तमान नेतृत्व के करीब माना जाता है तो ये जाट बनाम राजपूत के अलावा बीजेपी की अंदरूनी वर्चस्व की लड़ाई भी है।
लेकिन कहानी इतनी सीधी भी नहीं है। आइए तस्वीर के दूसरे पहलू पर गौर करते हैं… जब डॉ संजीव बालियान ने पर्चा दाखिल किया तो बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने डॉ संजीव बालियान का खुलकर समर्थन किया। निशिकांत दुबे को वर्तमान बीजेपी नेतृत्व का बेहद करीबी माना जाता रहा है। संसद के अंदर और बाहर विपक्ष पर उनके तीखे हमले काफी सुर्खियां बटोरते रहते हैं। जाहिर है डॉ संजीव बालियान को कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दलों ने सरकार का प्रत्याशी माना। हाल के दिनों में सरकार और विपक्ष में तनातनी किसी से छिपी भी नहीं है।
दूसरी तरफ कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा राजीव प्रताप रूडी के खेमे में दिखाई दिए। वह मझे हुए राजनेता माने जाते हैं और उनके तमाम पार्टियों के नेताओं से व्यक्तिगत संबंध भी रहे हैं। इस स्थिति से न कहीं न कहीं इशारा कर दिया था कि विपक्ष ने अपना प्रत्याशी किसे चुन लिया है?
चुनाव परिणाम से ये साफ भी हो गया कि कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दलों ने सरकार को ‘हराने’ के लिए बीजेपी के राजीव प्रताप रूडी को समर्थन दिया। जीत के बाद रूडी के बयान ने साफ भी कर दिया। उन्होंने कहा कि सभी लोग अपनी पार्टी से ऊपर उठकर वोट डालने आए। मेरी टीम में कांग्रेस, एसपी, टीएमसी और निर्दलीय सांसद भी थे। मुझे पिछले दो दशकों में किए गए अपने प्रयासों का फल मिला है। इस चुनाव में 1295 सांसद वोट में से 679 सांसदों ने खुद वोट डाला और 38 सांसदों ने पोस्टल बैलेट का इस्तेमाल किया।