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क्या दुनिया तीसरे विश्व युद्ध की तरफ बढ़ रही है? - श्रीनारद मीडिया

क्या दुनिया तीसरे विश्व युद्ध की तरफ बढ़ रही है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

रूस-यूक्रेन विवाद को लेकर जिस तरह से अमेरिका सहित नाटो में शामिल सभी देश अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं और यूक्रेन का साथ देने की बात कर रहे हैं, इससे तीसरे विश्व युद्ध की तरफ दुनिया जाती दिख रही है। विवाद बढ़ने पर चीन आगे आएगा और रूस की हरसंभव मदद करेगा। ऐसे में फिर अधिकतर देश किसी न किसी के पक्ष में खड़े हो जाएंगे।

यदि ऐसा हुआ फिर पूरी दुनिया को भारी नुकसान होगा। ये विचार सोवियत संघ के दौरान भारत की ओर से मास्को में राजनयिक पद पर तैनात रहे सेवानिवृत्त आइएफएस आरपी सिंह ने दैनिक जागरण से बातचीत में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि जिस इलाके को रूस ने आजाद घोषित कर दिया। वह इलाका यूक्रेन के अंतर्गत आता है लेकिन उस इलाके पर रूस का ही अधिक प्रभाव रहा है। सही मायने में रूस ने यूक्रेन के साथ ज्यादती की है। इस वजह से ही अमेरिका सहित नाटो से संबंधित सभी देश रूस के खिलाफ हो गए हैं।

इसके बाद भी रूस पीछे नहीं हटने वाला है क्योंकि वह अपने आपको आज भी सुपर पावर मानता है। उसके पास व्लादिमीर पुतीन जैसा नेतृत्व है। आज के समय में पुतीन जैसा नेता गिनती भर देशों के पास है। रूस की जनता इतना प्यार करती है कि वह कभी प्रधानमंत्री तो कभी राष्ट्रपति के पद को कई वर्षों से संभालते आ रहे हैं। जनता का प्यार ही उनकी मूल ताकत है। अमेरिका सहित सभी देश मिलकर चाहे जितना भी प्रतिबंध लगा दे, वह पीछे हटने वाले नहीं।

रूस को अपने मामले में किसी का हस्तक्षेप भी बर्दाश्त नहीं। ऐसे में डरा-धमकाकर रूस को शांत नहीं किया जा सकता है। बातचीत से ही इस महासंकट को टाला जा सकता है। ऐसा ही आगे होगा। सभी देश डराने-धमकाने की बजाय बातचीत कर समस्या का हल निकालने का प्रयास करेंगे। यूक्रेन के साथ खड़े सभी देशों को अच्छी तरह पता है कि चाहे कुछ भी हो जाए व्लादिमीर पुतीन किसी की धमकी बर्दाश्त नहीं करने वाले। आज दुनिया के कई देशों के पास परमाणु हथियार हैं। युद्ध छिड़ने पर इसका इस्तेमाल यदि किसी एक देश ने कर दिया, वैसे में पूरी दुनिया में तबाही मच जाएगी।

महाद्वीप में यूक्रेन दूसरा बड़ा देश

पूर्वी यूरोप में यूक्रेन क्षेत्रफल के हिसाब से रूस के बाद दूसरा सबसे बड़ा देश है लेकिन सामरिक दृष्टिकोण से रूस के आगे कुछ भी नहीं। सोवियत संघ के विघटन के बाद भी रूस की ताकत में बहुत अधिक कमी नहीं आई है। उसके पीछे कारण यह रहा कि रूस के पास वैश्विक स्तर के नेताओं की कभी कमी नहीं रही। व्लादिमीर पुतीन को ही ले लें, आज पूरी दुनिया के सामने अपनी विशेष जगह रखते हैं। किसी भी देश की जनता यह चाहती है कि उसका नेता पूरी दुनिया के सामने सिर उठाकर बात करे। पुतिन में वह क्वालिटी है।

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