क्या इसमे पर्दे के पीछे सीआईए या सोरोस के उतावले कठपुतले है?

क्या इसमे पर्दे के पीछे सीआईए या सोरोस के उतावले कठपुतले है?

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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‘प्रोजेक्ट मणिपुर’ विफल होने के बाद अब लद्दाख को भारत में बिछी हुई शतरंज के चौसर पर फैले हुए मोहरे को हमलावर की भूमिका निभाने के लिए नेपथ्य से जुड़े हुए सूत्रधार अब भरपूर वार करने के लिए उकसावा दे रहे हैं। वहाँ डीप स्टेट का एक एजेंट और कांग्रेस पार्टी के युवा नेता राहुल गाँधी का एक कठपुतला और स्थानीय निकाय में निर्वाचित पार्षद फुंत्सोग स्टैन्ज़िन त्सेपाग पहले से ही दांव लगाए बैठा है।
राहुल गाँधी द्वारा अचानक से अपने पोस्ट्स में ‘जेन जेड’ इंगित करते हुए चर्चा करना स्वतःस्फूर्त नहीं था।

नेपाल में जो हुआ उसे देख-समझकर ऐसा किया गया था। हालाँकि, दिल्ली और हैदराबाद सहित एक के बाद एक विश्वविद्यालयों में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की जीत ने उनके भावी योजनाओं में संशोधन करने के लिए बाध्य कर दिया है। अतः, लेह से आग फैलाए जाने की साज़िश रची गई।

लेह में जो लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं उनमें अधिकतर छात्र व युवा ही हैं। ‘पूर्ण राज्य’ बनाने का मतलब क्या होता है? जो क्षेत्र दशकों तक मुफ़्ती-अब्दुल्ला परिवारों की जागीर बना रहा, उसे बहरी शिकंजे से मुक्त कराया गया। केंद्र सरकार ने ध्यान दिया तो कामकाज भी हुआ। फिर आंदोलन क्यों?

सूत्रों के मुताबिक केंद्र ने एबीएल और कारगिल विकास प्राधिकरण के उठाए मुद्दों पर बात के लिए 6 अक्टूबर को उच्च स्तरीय समिति की बैठक पहले ही पुष्टि कर दी गई थी। निर्धारित समय से पहले बैठक का अनुरोध हुआ, तो इसे 25-26 सितंबर को करने की तैयारी थी। पहले भी 25 जुलाई को बातचीत की पेशकश हुई थी। यानी संवाद के दरवाज़े हमेशा खुले रहे। फिर भी हिंसा क्यों ?

सोनम वांगचुक अरब स्प्रिंग जैसे आंदोलन की बात कर रहे थे। फिर नेपाल के जेन जी आंदोलन का ज़िक्र करना .. फिर कांग्रेस नेताओं के भड़काऊ बयान आना…इन सभी घटनाक्रम के तारतम्य स्थापित करने पर देश के लघु बौद्ध बहुल और भूसामरिकी दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र में नेपाल 2.0 की साजिश का पता चलता है।

सोनम वांगचुक इन बच्चों के दुखी माता-पिता को क्या स्पष्टीकरण देंगे, जिन्हें खुद को मुखोश और हुडी में खुद को लपेटने के लिए कहा गया था?घातक हिंसा में बदल गए क्रोध को भड़काने के लिए स्मनला नोर्बू क्या औचित्य पेश करेगी ?

स्टैनज़िन चोसफेल, जिग्मेट पलजोर और पद्मा स्टैनज़िन कल अशांति भड़काने के लिए क्या जवाबदेही स्वीकार करेंगे, केवल आज जीवन खो जाने पर स्मृति में खो गए हैं !

यह नेतृत्व नहीं है – यह गुमराह कर रही रणनीति है। नेता उकसाते हैं और फिर पीछे हट जाते हैं, युवाओं को अंतिम कीमत चुकाने के लिए छोड़ देते हैं, तो उनकी चुप्पी अपने आप में एक अभियोग बन जाती है।

नेपाल मे सत्ता परिवर्तन के उपरांत लेह मे डॉलरजनित क्रांति की जा रही है। लक्ष्य एक ही है कि भारत और चीन के मध्य अमेरिका समर्थित क्षुद्र स्वायत्त शासन क्षेत्र स्थापित करना। आशा है, इन उपद्रवियों पर कठोरतम कार्रवाई होगी।

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