इसरो को स्पेस में दोनों सैटेलाइट को जोड़ने में मिली सफलता
स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट के तहत सैटेलाइट को जोड़ा
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
श्रीहरिकोटा से हुई थी लॉन्चिंग
पीएसएलवी सी60 रॉकेट के मदद से दो छोटे सैटेलाइट SDX01 और SDX02 को लॉन्च किया गया था। इसे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च कर 475 किलोमीटर सर्कुलर ऑर्बिट में स्थापित कर दिया गया था।
इसरो के अनुसार, स्पाडेक्स मिशन पीएसएलवी द्वारा लॉन्च किए गए दो छोटे अंतरिक्ष यान का उपयोग करके अंतरिक्ष में डॉकिंग के प्रदर्शन के लिए एक कॉस्ट इफेक्टिव टेक्नोलॉजी मिशन है। अंतरिक्ष में, डॉकिंग तकनीक तब आवश्यक होती है, जब सामान्य मिशन के लिए कई रॉकेट लॉन्च की जरूरत होती है।
प्रधानमंत्री ने दी बधाई
इसरो की सफलता पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बधाई दी। उन्होंने लिखा, ‘उपग्रहों की अंतरिक्ष डॉकिंग के सफल प्रदर्शन के लिए इसरो के हमारे वैज्ञानिकों और संपूर्ण अंतरिक्ष बिरादरी को बधाई। यह आने वाले वर्षों में भारत के महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष अभियानों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
भारत ने अंतरिक्ष में एक बड़ा किला फतेह कर लिया. उसने अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक दो उपग्रहों, एसडीएक्स01 और एसडीएक्स02 को डॉकिंग के जरिए मिला दिया. इसरो ने ट्वीट करते हुए ये जानकारी दी. भारत ऐसा करने वाला दुनिया में चौथा देश बन गया. सुबह 10 बजे इसरो ने ये जानकारी दी. क्या होती है डॉकिंग और अनडॉकिंग. किस तकनीक से ये काम किया जाता है.
इसरो के एक्स संदेश में कहा गया
स्पेसक्राफ्ट डॉकिंग सफलतापूर्वक कंपलीट कर लिया गया है, ये ऐतिहासिक क्षण है
इसमें इसरो ने दोनों सैटेलाइट्स को पहले 15 मीटर से तीन मीटर तक करीब लाया गया. फिर वहीं रोका गया. फिर इसे जोड़ दिया गयास डॉकिंग क्या है
अंतरिक्ष डॉकिंग दो तेज गति से चलने वाले अंतरिक्ष यान को एक ही कक्षा में लाकर पास लाने और एकसाथ जोड़ने की जटिल प्रक्रिया है. यह क्षमता अंतरिक्ष में बड़ी संरचनाओं को इकट्ठा करने या उपकरण, चालक दल या आपूर्ति को स्थानांतरित करने में काम आती है.अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) का निर्माण इसी तकनीक का उपयोग करके किया गया था, जिसमें विभिन्न मॉड्यूलों को अलग-अलग प्रक्षेपित किया गया. फिर अंतरिक्ष में एकसाथ मिलाकर स्थापित किया गया.