होशियार होने से कहीं ज्यादा मुश्किल है विनम्र होना – जेफ बेजोस.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

  • अमेजॉन के जेफ बेजोस अंतरिक्ष की सैर पर जाने की तैयारी में हैं। उनकी कही बातें प्रेरणादायी होती हैं। ये किस्सा उन्होंने चार साल पहले एक कॉलेज में सुनाया था…

‘जब मैं बच्चा था, गर्मी की छुट्टियों में अपने नाना-नानी के घर जाया करता था। वो टेक्सस में एक बड़े से खेत के बीच रहा करते थे। वहां मैंने कई काम सीखे… जानवरों को संभालने से लेकर विंड मिल्स ठीक करने तक सब किया। मेरे नाना-नानी एक कैरावैन क्लब के सदस्य थे और अक्सर दूसरे सदस्यों के साथ यूएस और कैनेडा घूमा करते थे। मैं भी कुछ दफा उनके इस सफर पर साथ रहा। उन दिनों मैं अपने नाना-नानी की लगभग पूजा किया करता था और ऐसे सफर का इंतजार करता था।

मैं करीब दस साल का था और ऐसे ही खास सफर पर उनकी कार की पिछली सीट पर बैठा था। नाना कार चला रहे थे और नानी लगातार धुम्रपान कर रही थीं। वो इन ट्रिप्स पर खूब धुम्रपान करती थीं और मुझे उस गंध से नफरत थी। उस उम्र में मैं किसी भी गणित के लिए कोई भी बहाना बना सकता था और हिसाब लगाने के लिए साफ इंकार कर सकता था कि इस ट्रिप पर कितना ईंधन खर्च होगा या ग्रॉसरी पर कितना खर्च किया।

उन दिनों मैं स्मोकिंग से जुड़ा एक विज्ञापन सुना करता था जो कहता था कि सिगरेट का हर पफ आपकी जिंदगी के कुछ मिनट कम कर देता है… कुछ याद है कि शायद वो दो मिनट का जिक्र करता था।इस विज्ञापन के आधार पर मैंने अपनी नानी की जिंदगी का ‘गणित’ जानना तय किया। मैंने उनके द्वारा रोज पी जाने वाली सिगरेट्स का आंकड़ा हासिल किया, एक सिगरेट से वो कितने पफ लेती हैं इसका अंदाजा लगाया.. वगैरह-वगैरह।

जब मैं संतुष्ट हो गया कि मैंने तमाम अंदाजों से एक ठीक-ठाक आंकड़ा हासिल कर लिया है, तो मैंने अपना सिर कार की अगली सीटों के बीच से आगे किया और नानी के कंधे पर थपकी दी। गर्व के साथ दावा किया ‘दो मिनट हर पफ के हिसाब से, आपने अपनी जिंदगी के नौ साल कम कर लिए हैं’।

मुझे अच्छे से याद है कि आगे क्या हुआ था और ये वो नहीं था जिसकी मुझे उम्मीद थी। मुझे उम्मीद थी कि मेरी समझदारी और ‘गणित’ के लिए मुझे खूब तारीफ मिलेगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। मेरी नानी की आंखों में आंसू थे। मैं पीछे खिसक गया और समझ नहीं पाया कि क्या करूं।

नाना थोड़ी देर तो चुपचाप ड्राइव करते रहे, फिर उन्होंने हाई-वे के किनारे कार रोक दी। वो कार से उतरे और मेरा दरवाजा खोलकर मेरे बाहर आने का इंतजार करने लगे। मेरे नाना बेहद समझदार और शांत व्यक्ति थे। उन्होंने कभी मुझसे कड़े शब्दों में बात नहीं की थी, शायद यह पहली बार होने वाला था। हो सकता था कि मुझे कहा जाए कि मैं अपनी नानी के पास जाकर माफी मांगूं, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।

मेरे नाना मुझे कार के पीछे की ओर ले गए और बेहद शांति से कहा ‘जेफ, एक दिन तुम समझ जाओगे कि होशियारी से कहीं ज्यादा मुश्किल है विनम्रता।’ उस दिन मैंने समझा कि तोहफों और विकल्पों में फर्क होता है। समझदार, बुद्धिमान या होशियार होना एक तोहफा है, लेकिन विनम्रता एक विकल्प है। तोहफे आसान होते हैं, क्योंकि आखिरकार ये दिए जाते हैं। विकल्प मुश्किल हो सकते हैं।

आप अगर सावधान नहीं हैं, तो इन तोहफों से ललचा सकते हैं। ये आपको ही तय करना है कि आप दूसरों की भावनाओं की कीमत पर समझदार बनना चाहेंगे या विनम्र बने रहना पसंद करेंगे।’

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