भगवान की भक्ति से ही मनुष्य भौसागर से पार हो जाता है ः पण्डित बालमुकुंद तिवारी

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श्रीनारद मीडिया‚ सिधवलिया‚ गोपालगंज (बिहार)

भगवान की भक्ति से ही मनुष्य भौसागर से पार हो जाता है।भौसागर से पार करने का एक मात्र साधन भगवान राम की भक्ति ही है। उक्त बातें महम्मदपुर थाने के खोरमपुर काली मंदिर के प्राँगण में आयोजित नॉकुण्डिय सह संगीतमय रामकथा यज्ञ में पहले दिन बनारस के पण्डित बालमुकुंद तिवारी(वाचस्पति) ने प्रवचन के दौरान कहा।

उन्होंने कहा कि जीव यदि अभिमान त्याग कर भगवान राम के शरण मे चल जाए तो उसका कल्याण हो जाता है। भगवान राम की कथा का वर्णन रामचरित मानस में किया गया है क्योंकि रामचरित मानस हमारे जीवन को सफलीभूत बना देता है। रामचरितमानस में ही भगवान हनुमान का भी वर्णन है।

भगवान हनुमान की भक्ति से हमे प्रेणना लेनी चाहिए। क्योंकि भगवान राम ने अपने भक्त हनुमान को अपना पर्याय माना। हनुमान ने भी अपने भक्त से आतुर होकर हनुमान को सम्मान भी दिया। रामचरितमानस हमारे मूल के कर्तव्यों का भी बोध कराता है जैसे उसमे हनुमान के कर्तव्य एवं भक्ति के गुणगान को भलीभाँति दर्शाया है।

उन्होंने कहा कि पुरुषोत्तम राम अपने व्यक्तित्व की छाया अपने भक्त को भी दे देते हैं। भगवान राम की छाया, प्रतिविंब उस भक्त में भी दिखाई देने लगते हैं। भक्ति अनन्त हैं, परन्तु नवधा भक्ति वीर हनुमान में थी जिसके कारण उनके नाम नव प्रकार के रखे जाते हैं।

ये नाम उनकी नव भक्ति के कारण रखे जाते हैं।प्रवचन का शुभारंभ आचार्य मनीष कौशिक ने वाचक वाचस्पति को अंग वस्त्र देकर किया। मौके पर, सुमित पांडेय,वरुण पांडेय, रविभूषण,बब्लू सिंह, बिनोद सिंह,अनिल पांडेय,सुनील सिंह सहित सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित थे ।

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