जगदीप धनखड़ दो महाभियोग नोटिस स्वीकार करने वाले थे? जानिए चार घंटे में कैसे पलटा पूरा खेल
श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्क:
सोमवार की देर शाम को जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारण का हवाला देते हुए अचानक उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफे की घोषणा तो की थी, लेकिन तात्कालिक कारण राज्यसभा में जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने की नोटिस नजर आ रहा है।
बतौर सभापति धनखड़ ने उस प्रस्ताव को स्वीकार किया था जिसमें विपक्ष के 63 सदस्यों के हस्ताक्षर थे। सरकार के फ्लोर लीडर्स को इसकी जानकारी नहीं थी। इतना ही नहीं धनखड़ की कोशिश की थी कि महाभियोग का यह मामला पहले राज्यसभा में ही चले जो स्पष्ट तौर पर विपक्ष के खाते में जाता क्योंकि उनका प्रस्ताव ही स्वीकार किया गया था।
इसके बाद कुछ घटनाएं ऐसी घटीं जिससे धनखड़ शायद क्षुब्ध थे और उन्होंने इस्तीफे का फैसला ले लिया। और शाम छह बजे तक सरकार को अपने इस फैसले से अवगत भी करा दिया था तथा रात 9.25 पर इसे सार्वजनिक भी कर दिया। मंगलवार को भी दिनभर धनखड़ के इस्तीफे को लेकर अटकलें चलती रहीं। लेकिन यह बात लगभग तय हो चुका है कि एक कारण जस्टिस वर्मा ही थे।
सरकार की ओर से पहले ही घोषणा की जा चुकी थी कि भ्रष्टाचार के आरोपी जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी है। सरकार की योजना थी कि इसे पहले लोकसभा से पारित किया जाए फिर राज्यसभा जाए।
लोकसभा में महाभियोग के नोटिस में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और भाजपा के रविशंकर प्रसाद व अनुराग ठाकुर के साथ-साथ सत्तापक्ष और विपक्ष के 145 सांसदों के हस्ताक्षर से साफ है कि सरकार इस मुद्दे पर सर्वसम्मति बनाने में काफी हद तक सफल रही है। लेकिन राज्यसभा में लगभग 3.30 बजे धनखड़ ने 63 सांसदों के हस्ताक्षर के साथ महाभियोग का नोटिस मिलने और इसकी प्रक्रिया शुरू करने का एलान कर दिया।
हैरानी की बात यह है कि इन सांसदों में भाजपा और उसके सहयोगी दलों का एक भी सांसद नहीं है। यह कमी भाजपा के फ्लोर मैनेजर की रही होगी लेकिन यह अपेक्षा थी कि सरकार की इसकी जानकारी धनखड़ के आफिस से मिलेगी क्योंकि नेता सदन भाजपा के हैं।
गौरतलब है कि धनखड़ जस्टिस वर्मा के मुद्दे पर काफी मुखर रहे हैं और वह चाहते थे कि यह मामला राज्यसभा से ही शुरू हो। हालांकि इसमें एक खतरा था।
दरअसल विपक्ष की ओर से राज्यसभा में ही 50 से ज्यादा विपक्षी सदस्यों ने जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ भी महाभियोग का नोटिस दिया हुआ है। ऐसे में वह मामला भी उठ सकता था।
सूत्रों के अनुसार धनखड़ को सत्तापक्ष में अपनी नाराजगी से अवगत भी करा दिया। बताया जा रहा है कि इसके बाद ही नेता सदन जेपी नड्डा ने धनखड़ को मैसेज दे दिया कि वे और किरण रिजिजू मंत्रणा सलाहकार समिति की बैठक में नहीं आ रहे हैं।
कुछ मुद्दों पर धनखड़ का बड़बोलापन भी सरकार को बहुत रास नहीं आ रहा था। ऐसे में स्वाभाव से अक्खड़ धनखड़ ने एकबारगी इस्तीफे का फैसला कर लिया और शाम छह बजे तक इसका संकेत सरकार को भी दे दिया।