झारखंड राज्य ने अपना 25 वां स्थापना दिवस मनाया
बिहार से अलग होकर झारखंड 15 नवम्बर 2000 को राज्य बना था
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

रांची के मोरहाबादी मैदान में झारखंड के 25 वें स्थानपना दिवस में कई रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं. यह कार्यक्रम लगातार 4 दिन चलेंगे. शनिवार को कार्यक्रम में राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के अलावा राज्यपाल संतोष गंगवार, गांडेय विधायक कल्पना सोरेन, मंत्री संजय यादव और वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर शामिल हुए. मंच में वहां पर मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दिशोम गुरु को साबित करते हुए भावुक हो उठे.
उन्होंने साफ कहा कि इस बार की वर्षगांठ उनके लिए खुशी के साथ-साथ एक खालीपन भी लेकर आई है, क्योंकि झारखंड आंदोलन के पुरोधा और दिशोम गुरु शिबू सोरेन इस ऐतिहासिक मौके पर मौजूद नहीं हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरूजी का साया हमेशा प्रेरणा देता रहा है और उनकी अनुपस्थिति से मन विचलित है. उन्होंने कहा कि आदिवासी-मूलवासी समाज ने सदियों पुरानी अपनी पहचान, संस्कृति और अधिकार को बचाने के लिए लंबा संघर्ष किया है, और उसी संघर्ष ने इस नई व्यवस्था को जन्म दिया.
सैकड़ों वर्षों की कुर्बानी से मिला अलग राज्य
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस अलग झारखंड की नींव में अनगिनत बलिदानों की कहानी समायी है. पूर्वजों और वीर शहीदों ने वह राह बनाई, जिसकी वजह से आज झारखंड अपनी अलग पहचान के साथ गर्व से खड़ा है. उन्होंने कहा कि अब राज्य की नई दिशा तय करने की जिम्मेदारी युवाओं और आम जनता दोनों की है.
वर्ष 2000 में इसी तारीख को देश के नक्शे पर 28वें राज्य के रूप में इसका उदय हुआ था। बिहार के 18 जिलों को विभाजित कर यह नया राज्य बनाया गया था। यह तारीख इसलिए भी खास है कि 15 नवंबर भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती है। स्वतंत्रता संग्राम और आदिवासी अस्मिता के इस अमर नायक के नेतृत्व में हुए उलगुलान ने अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिला दी थी। उनकी ही स्मृति में राज्य की स्थापना की तारीख 15 नवंबर तय की गई थी।
बिहार को विभाजित कर अलग झारखंड राज्य बनाने का ऐतिहासिक बिल संसद ने 2 अगस्त, 2000 को पारित किया था। केंद्र में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार ने इसकी पहल की थी। इसके पहले लगभग पांच दशकों तक चले आंदोलन के बाद बिहार विधानसभा ने अलग झारखंड राज्य के गठन का प्रस्ताव 22 जुलाई, 1997 को पारित किया था।
झारखंड की अधिकतर आबादी आदिवासी लोगों की है. साल 1930 से ही अलग राज्य की मांग उठनी शुरू हो गई थी. साल 1930 में गठित आदिवासी महासभा ने हॉकी खिलाड़ी जयपाल सिंह की अगुआई में अलग झारखंड का सपना देखा था. इस आंदोलन को आदिवासी समुदायों का समर्थन मिला था क्योंकि वे भी अपनी संस्कृति, भाषा और परंपराओं की रक्षा करना चाहते थे. जेएमएम के दिवंगत नेता और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का भी झारखंड की स्थापना में बड़ा अहम योगदान रहा है.

2050 के झारखंड का खाका तैयार
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि सरकार यह सोचकर योजनाएं बना रही है कि वर्ष 2050 तक झारखंड कैसा दिखेगा और कैसे राज्य देश की आर्थिक रूप से मजबूत योगदान दे सकेगा. उन्होंने कहा कि खनिज संपदा, मानव संसाधन और मेहनतकश लोगों की मेहनत ने देश को हमेशा शक्ति दी है, अब समय है कि झारखंड को भी उसका पूरा हक और सम्मान मिले.
1087 योजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास
स्थापना दिवस के मंच से मुख्यमंत्री ने 8799 करोड़ रुपये की 1087 योजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया. इसमें 4475 करोड़ रुपये की 209 योजनाओं का शिलान्यास और 4324 करोड़ रुपये की 878 योजनाओं का उद्घाटन शामिल है. कार्यक्रम में राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने स्मारिका (सौवेनियर) का भी विमोचन किया.


