झारखंड की पहली महिला डीजीपी तदाशा मिश्रा ने पद संभाला
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

झारखंड पुलिस के इतिहास में शुक्रवार का दिन खास बन गया. तदाशा मिश्रा ने शुक्रवार को डीजीपी का पदभार ग्रहण किया. शुक्रवार सुबह जैसे ही वह चार्ज लेने के लिए दफ्तर पहुंची वहां पर मौजूद पुलिस अधिकारियों ने उन्हें गुलदस्ता देकर उनका स्वागत किया. इससे पहले गुरुवार की रात को राज्य सरकार के गृह विभाग ने इससे संबंधित अधिसूचना जारी कर दी थी. कल ही पूर्व डीजीपी का इस्तीफा भी मंजूर कर लिया गया था.
पदभार ग्रहण के बाद डीजीपी तदाशा मिश्रा ने सीएम हेमंत से की मुलाकात
पदभार ग्रहण करने के नवनियुक्त प्रभारी डीजीपी तदाशा मिश्रा ने शुक्रवार को ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से सीएम आवास कार्यालय में शिष्टाचार मुलाकात की. वह 1994 बैच की आईपीएस अधिकारी हैं जिन्हें हेमंत सोरेन सरकार ने राज्य का प्रभारी डीजीपी (Director General of Police) नियुक्त किया है. इसके साथ ही वह झारखंड पुलिस के इतिहास में यह पद संभालने वाली पहली महिला अधिकारी बन गई हैं.
शांत स्वभाव लेकिन मजबूत नेतृत्व के लिए जानी जाती हैं तदाशा मिश्रा
पुलिस सेवा में लंबे समय से कार्यरत तदाशा मिश्रा अपने शांत स्वभाव, मजबूत नेतृत्व क्षमता और कड़े प्रशासनिक निर्णयों के लिए जानी जाती हैं. इससे पहले वे पुलिस मुख्यालय में कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां संभाल चुकी हैं. अविभाजित बिहार में वह रांची की सिटी एसपी भी रह चुकी है.
इसके बाद उन्होंने बोकारो एसपी, गिरिडीह एसपी, डीआईजी कार्मिक, आईजी मानवाधिकार, आईजी स्पेशल ब्रांच जैसे कई महत्वपूर्ण पद संभाला. उन्होंने अपने नेतृत्व में नक्सल प्रभावित इलाके में कई ऑपरेशन चलाया और नक्सलियों के बीच खौफ कायम किया. पदभार ग्रहण करने के बाद उन्होंने राज्य में कानून-व्यवस्था को और बेहतर बनाने तथा सभी इकाइयों के बीच प्रभावी तालमेल सुनिश्चित करने की बात कही है.
झारखंड कैडर की 1994 बैच की आईपीएस अधिकारी तदाशा मिश्रा को राज्य की कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक (DGP) नियुक्त किया गया है। गृह विभाग की विशेष सचिव के पद पर कार्यरत तदाशा मिश्रा को यह जिम्मेदारी पूर्व डीजीपी अनुराग गुप्ता के इस्तीफे के बाद सौंपी गई है। सरकार ने दो दिन पहले अनुराग गुप्ता का इस्तीफा स्वीकार किया था। इस अहम पद के लिए 1992 बैच के अनिल पाल्टा और प्रशांत सिंह, तथा 1993 बैच के एम.एस. भाटिया भी दावेदारों में शामिल थे, लेकिन अंततः बाजी तदाशा मिश्रा के नाम रही।
बोकारो में सख्त अफसर के रूप में बनाई पहचान
बोकारो की एसपी रहते हुए तदाशा मिश्रा ने अपराधियों पर शिकंजा कसकर अपनी सख्त छवि बनाई। उनके कार्यकाल में रंगदारी, हत्या और अपहरण जैसी घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आई। अपराधियों के खिलाफ चलाए गए अभियानों से पूरा क्षेत्र लंबे समय तक शांत रहा। उनके नेतृत्व में पुलिस ने आधा दर्जन से अधिक कुख्यात अपराधियों का एनकाउंटर किया। मिश्रा की रणनीति और तत्परता ने उन्हें झारखंड पुलिस में एक तेजतर्रार और निर्णायक अधिकारी के रूप में पहचान दिलाई।
आनंद सिंह एनकाउंटर से बनी सख्त छवि
बोकारो एसपी रहते हुए तदाशा मिश्रा की सख्ती का सबसे चर्चित उदाहरण आनंद सिंह एनकाउंटर रहा। यह मुठभेड़ धनबाद के बरटांड स्थित मधुलिका स्वीट्स में हुई थी, जिसमें कुख्यात अपराधी आनंद सिंह मारा गया था।
इस कार्रवाई ने पूरे झारखंड को हिला दिया था। बताया जाता है कि पुलिस को सूचना मिली थी कि आनंद सिंह किसी से मिलने बरटांड पहुंच रहा है। तदाशा मिश्रा ने तुरंत धनबाद एसपी मुरारीलाल मीणा से संपर्क कर संयुक्त अभियान चलाया और एनकाउंटर में उसे ढेर कर दिया।
राज्य पुलिस को नई दिशा मिलने की उम्मीद
तदाशा मिश्रा की नियुक्ति से राज्य पुलिस में नई ऊर्जा और नेतृत्व की उम्मीद की जा रही है। उनकी सख्त कार्यशैली और निर्णायक रवैया झारखंड पुलिस को नई दिशा दे सकता है।
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