कलयुगी बेटे ने बुढे़ मां बाप की सेवा के लिए छोड़ दी छह लाख की नौकरी
विदाई समारोह में अधिकारियों ने कहाकलयुग के श्रवण कुमार है मनीष
श्रीनारद मीडिया, सीवान (बिहार):
आज कल सोशल मीडिया, न्यूज चैनलों पर पुत्र -वधु अपने बूढ़े मां-बाप, सांस-सुर को घर में बंद कर, घर के बाहर छोड़ कर चले जाने की खबरें सुनना आम हो गया है।
लेकिन बिहार के एक कलयुगी पुत्र ने अच्दे पद पर कर रहे नौकरी एक क्षण में अपने बुढे माता- पिता की सेवा लिए छोड़ दिया।
सीवान जिला मुख्यालय के ग्रामीण विकास अभिकरण कार्यालय में जिला अंकेक्षण प्रबंधक ( डिस्ट्रीक अडिट मैनेजर) के पद पर पदस्थापित मनीष कुमार एक झटके में अपनी बुढे़ बीमार माता पिता के सेवा के लिए नौकरी से रिजाइन कर दिया है। मनीष इस कलयुग के श्रवण कुमार बन गये हैा मनीष कुमार मूल रूप से बेतिया जिला के रहने वाले है।

बेतिया जिला के जोगापटी थाना क्षेत्र के पुरैना गांव निवासी श्रीरामअयोध्या प्रसाद एवं श्रीमति तारा देवी के पुत्र है मनीष कुमार। मनीष नौ वर्ष से ग्रामीण विकास विभाग, बिहार सरकार में जिला अंकेक्षण प्रबंधक के पद पर कार्य कर रहे है। सीवान में विगत चार वर्ष से पदस्थापित थे। इसके पूर्व वह मधुबनी जिला में पदस्थापित थे।
सब कुछ नर्मल चल रहा था लेकिन अचानक जून 2025 में उनकी माता की तबीयत अचानक बिगड़ गयी मनीष कार्यालय से छुटी लेकर घर गये और मां को ईलाज कराने के लिए दिल्ली ले गये और पंद्रह दिन तक ईलाज कराने के बाद घर लाए। इसी दौरान उन्होंने मां की परेशानी देख संकल्प ले लिया कि अब नौकरी नहीं माता पिता की सेवा करना है।
अवकाश समाप्त होने पर कार्यालय आकर उन्होंने नौकरी से त्याग पत्र देने का पत्र दे दिया। हालांकि कार्यालय के पदाधिकारी और कर्मचारियों ने उनको काफी समझाया लेकिन उन्होंने कहा कि मैं अब पीछे नहीं हटुंगा। जब इसकी जानकारी उनके बुढ़े बीमार माता- पिता को हुई तो उन्हाेंने अपने पुत्र से कहा कि हम लोग चार पांच साल के मेहमान है इसके लिए तुम अपनी नौकरी नहीं छोड़ो अपनी और अपने बच्चों के भविष्य देखों। लेकिन मनीष ने कहा कि हमारा भविष्य आपलोगों के सेवा में ही है।
आपकों बताते चले कि मनीष कुमार नवोदय विद्यालय बेतिया से पढे़ है। सेवा के अंतिम दिन शनिवार 26 जुलाई 25 को सीवान नगर के अशोका होटल में विदाई समारोह आयोजित कर उनको विदाई दी गयी। कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि माता पिता की सेवा पहली प्राथमिकता है साथ में पैतृक जमीन है उसपर सब्जी, फल आदि की खेती आधुनिक तरीके से करूंगा। मनीष ने कहा कि मुझे नौकरी से त्याग पत्र देने का कोई तकलीफ नहीं है बल्कि खुशी है कि कुछ दिन अपने माता पिता के साथ रहूंगा। उन्होंने कहा कि बचपन में नवोदय विद्यालय में चला गया उसके बाद आगे की पढ़ाई करने दिल्ली और बाद में नौकरी करने लगा। माता पिता के साथ काफी कम समय रहा हूं अब साथ रहने का सौभाग्य मिल रहा है इससे ज्यादा खुश हूं।
आपको बताते चले कि मनीष के इस संकल्प में उनकी पत्नी रजनी कुमारी भी कदम से कदम मिलाकर साथ चल रही है। उनका दस वर्षीय पुत्र आदित्य देव और चार वर्षीय पुत्री रिद्दिमा भी काफी खुश है कि अब हम लोग अपने दादा दादी के साथ रहेंगे।
विदाई समारोह में डीआरडीए निदेशक एनआरईपी मनीष कुमार, डीपीओ मनरेगा, वरीय लेखा पदाधिकारी, जिला वित प्रबंधक, लेखा पदाधिकारी सहित सभी प्रखंडों के लेखापाल सहित सभी पदाधिकारी और कर्मियों ने मनीष कुमार के उज्ज्वल भविष्य की कामना किया तथा उनको कलयुग के श्रवण कुमार कहा। आज के युवा पीढ़ी के लिए मनीष कुमार नजीर बन गये है। आज के युवाओं को इनसे सीख लेनी चाहिए।
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