पाक करतूत की कश्मीरी ने खोली पोल

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) के 60वें सत्र में कश्मीरी कार्यकर्ता जावेद बेग ने अपने भाषण में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के लिए पाकिस्तान की कड़ी आलोचना की। जावेद ने जोर देकर कहा कि इस नरसंहार के लिए पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी सीधे तौर पर जिम्मेदार थे, जिन्होंने निर्दोष पर्यटकों को निशाना बनाया और कश्मीर के सामाजिक ताने-बाने को और नुकसान पहुंचाया।

जावेद बेग ने बताया कि तीनों हमलावर पाकिस्तानी नागरिक थे, जिन्होंने ‘इस्लाम’ और ‘आजादी’ के नाम पर हमला किया। पहलगाम हमले में हिंदू, ईसाई और बौद्ध पर्यटकों के साथ-साथ एक स्थानीय कश्मीरी मुस्लिम टट्टू संचालक की भी जान चली गई। उन्होंने कहा कि इस घटना ने गैर-मुस्लिमों के प्रति पाकिस्तान की गहरी नफरत को उजागर किया और यह भी दिखाया कि सीमा पार से प्रायोजित आतंकवाद घाटी को अस्थिर कर रहा है।

क्षेत्र के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने घाटी को ‘हिंदू ऋषियों और मुस्लिम सूफियों का निवास’ बताया। उन्होंने पाकिस्तानी सरकार पर कश्मीर की पवित्र भूमि का हिंसा और धार्मिक घृणा फैलाने के लिए दुरुपयोग करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि ऐसे हमलों ने कश्मीरी मुसलमानों की वैश्विक छवि को हिंसक के रूप में बदनाम किया है, जबकि उनकी शांति और अस्तित्व की सदियों पुरानी परंपरा रही है।

जावेद ने कहा कि पाकिस्तान सरकार दावा करती है कि वह कश्मीरी मुसलमानों की चिंता करती है, लेकिन पिछले तीन दशकों से उसने उन्हीं लोगों पर अथाह दुख ढाए हैं, जिनकी रक्षा का वह दावा करता है। कश्मीरी मुस्लिम प्रतिनिधि ने जोर देकर कहा कि दुनिया के लिए यह जरूरी है कि वह इस सच्चाई को सीधे भारतीय कश्मीरी मुस्लिम से सुने।

इस दौरान बेग ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय और संयुक्त राष्ट्र जैसे वैश्विक संगठनों से इस्लामाबाद के खिलाफ आतंकवाद को बढ़ावा देने के उसके लंबे इतिहास के लिए ठोस कदम उठाने की अपील की। उन्होंने कहा कि पहलगाम नरसंहार न केवल भारत में, बल्कि पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर (पीओजेके) और पाकिस्तान के कब्जे वाले गिलगित-बाल्टिस्तान (पीओजीबी) में भी हिंसा फैलाने वाले आतंकवादी संगठनों को शरण देने और वित्तपोषण करने में पाकिस्तान की भूमिका को उजागर करता है।

बेग ने जवाबदेही और कठोर अंतरराष्ट्रीय कदमों की मांग करते हुए कहा कि पाकिस्तान आतंकवादी संगठनों को शरण, धन और समर्थन देना जारी रखे हुए है, जिससे पूरे भारत में डर और हिंसा का माहौल बना हुआ है। उन्होंने आगे कहा कि सीमा पार आतंकवाद का खतरा केवल एक क्षेत्रीय मुद्दा नहीं, बल्कि एक वैश्विक खतरा है, जिसके लिए तत्काल हस्तक्षेप की जरूरत है।

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