बच्चों के लिए ख़तरनाक हो सकती है कोविड की तीसरी लहर,कैसे?

बच्चों के लिए ख़तरनाक हो सकती है कोविड की तीसरी लहर,कैसे?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

Covid-19 Affecting Kids: कोरोना वायरस की तीसरी लहर बच्चों के लिए खासतौर पर ख़तरनाक साबित हो सकती है। इसको देखते हुए बड़े अस्पतालों के डॉक्टर इस महीने बच्चों में कोरोना वायरस इंफेक्शन बढ़ने से माता-पिता को सचेत कर रहे हैं।

इस महीने ज़्यादा बच्चे कोविड पॉज़ीटिव पाए जा रहे हैं क्योंकि वायरस का संक्रामक वैरिएंट अब पूरे परिवार को प्रभावित कर रहा है। मदरहुड हॉस्पिटल, नोएडा के पेडिएट्रिशन डॉ. निशांत बंसल का कहना है कि ज़्यादातर बच्चों में हल्के लक्षण देखे जाते हैं। बच्चों में गंभीर मामले कम देखे गए हैं और अभी तक उनका इलाज संभव हो सका है। अगर हम इस साल की तुलना पिछले साल से करें तो हम पाएंगे कि इस साल ज़्यादा बच्चे कोविड से प्रभावित हो रहे हैं। कोविड की पहली लहर में बच्चे संक्रमित होते थे लेकिन उनमें लक्षण नहीं नज़र आते थे, लेकिन इस साल अब उनमें बुखार, दस्त, सर्दी और खांसी जैसे लक्षण दिखते हैं।

जैसा कि घर के बड़े-बुजुर्गों में गंभीर लक्षण होते हैं, वैसे ही लक्षण अब बच्चों में भी दिख रहे हैं। हालांकि बच्चे इस वायरस से ज्यादा परेशानी नहीं महसूस करते हैं, लेकिन वे इन्फेक्शन को ज्यादा लोगों तक पहुंचाने का काम कर सकते हैं। हम मान कर चल रहे हैं कि तीसरी लहर 0 से 18 वर्ष के बच्चों के लिए ज्यादा गंभीर हो सकती है, इसी उम्र के लोगों का अभी बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन नहीं हो रहा है। इसलिए यह ज़रूरी है कि नवजात शिशुओं को मां का दूध पिलाया जाना चाहिए और उनके किसी भी बाल चिकित्सा टीकाकरण में देरी नहीं करनी चाहिए।”

उजाला सिग्नस ग्रुप ऑफ़ हॉस्पिटल के फाउंडर और डायरेक्टर डॉ. शुचिन बजाज ने कहा, “चूंकि नवजात शिशु कमज़ोर होते हैं, इसलिए उन्हें स्तनपान कराने की सलाह दी जाती है क्योंकि इससे शिशु की इम्युनिटी (प्रतिरोधक) क्षमता बढ़ती है। माता-पिता के लिए अपने बच्चों के टीकाकरण में देर नहीं करनी चाहिए और टीकाकरण कैलेंडर का कड़ाई से पालन करना चाहिए। टीके के किसी भी डोज़ को लगवाना नहीं भूलना चाहिए क्योंकि इससे बच्चे संक्रमण से बचे रहेंगे और इसलिए बाल चिकित्सा टीकाकरण कोविड इन्फेक्शन को रोकने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। बच्चों में देखे जाने वाले सामान्य लक्षण बुखार, गैस्ट्रोएंटेराइटिस के लक्षण और सांस की समस्याएं प्रमुख हैं। 0 से 10 साल की उम्र के बच्चों के लिए टीकाकरण उपलब्ध नहीं होने के कारण बच्चे वायरस के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं।”

इंटीग्रेटेड हेल्थ एंड वेलबीइंग (आईएचडब्लू) कॉउंसिल के सीईओ श्री कमल नारायण ने कहा, “अगर हम महामारी के इतिहास को देखें, तो हमें पता चलेगा कि कोई भी महामारी एक बार में ही ख़त्म नहीं हुई। महामारी फिर से वापस आ गई है और यह ज्यादातर आबादी के लिए एंडेमिक बन गयी है। देश भर में फैले कोविड-19 की दूसरी लहर से हम चल रही महामारी के लिए भी यही उम्मीद कर सकते हैं। यूरोप के कुछ देशों में पहले ही कोविड-19 की तीसरी लहर आ चुकी है और यह देखा गया है कि तीसरी लहर के दौरान ज्यादा बच्चे प्रभावित हुए। अगर भारत में तीसरी लहर आती है, तो हम यहां भी इसी तरह का प्रभाव देख सकते हैं।

एक हेल्थ कम्युनिकेटर (स्वास्थ्य संचारक) और एक माता-पिता के रूप में सबसे मुश्किल चीज बच्चे का वायरस के प्रति ज्यादा संवेदनशील होना हैं क्योंकि इस बीमारी को ठीक करने के लिए कोई दवा मौजूद नहीं है और न ही बच्चे वर्तमान वैक्सीनेशन प्रोग्राम के तहत आते हैं। हालांकि, 2 साल से 18 साल की उम्र वर्ग के बच्चों पर भारत बायोटेक को कोवैक्सीन के फेज 2/3 क्लीनिकल ट्रायल करने की इजाजत दी गयी है। 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 30 प्रतिशत भारतीय जनसंख्या 14 वर्ष से कम उम्र की हैं।”

क्योंकि इस वक्त 18 से कम आयु के बच्चों के लिए वैक्सीन उलब्ध नहीं है और न ही कोविड-19 का कोई इलाज है, इसीलिए सावधानी से बेहतर बचाव का और कोई तरीका नहीं है।

ये भी पढ़े…

Leave a Reply

error: Content is protected !!