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दुष्टों का संहार करते थे भगवान परशुराम:प्रफुल्ल - श्रीनारद मीडिया

दुष्टों का संहार करते थे भगवान परशुराम:प्रफुल्ल

दुष्टों का संहार करते थे भगवान परशुराम:प्रफुल्ल

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श्रीनारद मीडिया, एम सावर्ण, भगवानपुर हाट, सीवान (बिहार):

सीवान जिले के  भगवानपुर हाट  प्रखण्ड के पंडित के रामपुर गाँव में अखिल भारतीय ब्राह्मण युवा मोर्चा के प्रदेश प्रवक्ता प्रफुल्ल राज पांडेय के नेतृत्व में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए भगवान विष्णु के छठे अवतार फरसा धारीे,शास्त्र और शस्त्र विद्या के ज्ञाता भगवान परशुराम जी की जयंती मनाया गया|
इस अवसर पर प्रदेश प्रवक्ता श्री पांडेय ने कहा कि भगवान विष्णु के छठे अवतार श्री परशुराम जी सदैव विनाशकारी प्रवृतियों को खत्म करने के लिए संकल्पित थे|आज आवश्यकता है कि हम सभी उनके वंशज अपने जीवन में परशुराम जी की संदेशों को लाए फिर नये राष्ट्र के निर्माण में मजबूति मिलेगी|श्री पांडेय ने कहा कि आज परशुराम जयंती मनाने पर यह आत्मबोध हुआ कि अब भगवान परशुराम की कृपा से वैश्विक महामारी कोरोना से भारत बहुत जल्दी मुक्त होगा| उन्होंने कहा कि आज जिस तरह से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए जयंती मनाया गया उससे निश्चित रूप से बहुत जल्दी कोरोना संकट से देशवासियों को मुक्ति मिलेगी|श्री पांडेय ने कहा कि भगवान परशुराम ने क्षत्रपों का विनाश किया था उसमें वह सभी राजा शामिल थे जो निरंकुश हो गए थे|इनमें कुछ क्षत्रिय थे कुछ अन्य भी थे |
हम आज भी मुहावरों में बोलते हैं कि फलां व्यक्ति का एकछत्र राज्य चल रहा है|ऐसे ही बड़े राजाओं को समय एकछत्र यानी क्षत्रप कहा जाता था| उन्होंने कहा कि जैसे श्रीराम सिर्फ़ क्षत्रियों के पूज्य नहीं अपितु समस्त सनातन समाज के पूजनीय हैं ऐसे ही श्री परशुराम सिर्फ़ ब्राह्मणों के भगवान नहीं अपितु समस्त सनातन समाज के आराध्य हैं।ज्ञात रहे कि प्रत्येक वर्ष अखिल भारतीय ब्राह्मण युवा मोर्चा के द्वारा परशुराम जन्मोत्सव पूरे प्रदेश में मनाया जाता था परंतु इस लाकडाऊन होने इस बार सभी सदस्यों ने अपने घर पर ही जयंती मनाया|

 

श्री पांडेय द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए बहुत ही सीमित लोगों के बीच जयंती समारोह मनाया गया|श्री पांडेय ने परशुराम के वंशजों से विनाशकारी प्रवृतियों के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने का आह्वान किया|उन्होंने सभी देशवासियों को परशुराम के बताए मार्ग पर चलने के लिए कहा| श्री पांडेय ने कहा कि परशुराम त्रेता युग (रामायण काल) में एक ब्राह्मण ऋषि के यहां जन्मे थे। जो विष्णु के छठा अवतार है। पौरोणिक वृत्तान्तों के अनुसार उनका जन्म महर्षि भृगु के पुत्र महर्षि जमदग्नि द्वारा सम्पन्न पुत्रेष्टि यज्ञ से प्रसन्न देवराज इन्द्र के वरदान स्वरूप पत्नी रेणुका के गर्भ से वैशाख शुक्ल तृतीया को मध्यप्रदेश के इंदौर जिला में ग्राम मानपुर के जानापाव पर्वत में हुआ था। वे भगवान विष्णु के आवेशावतार थे। पितामह भृगु द्वारा सम्पन्न नामकरण संस्कार के अनन्तर राम कहलाए। वे जमदग्नि का पुत्र होने के कारण जामदग्न्य और शिवजी द्वारा प्रदत्त परशु धारण किये रहने के कारण वे परशुराम कहलाये। आरम्भिक शिक्षा महर्षि विश्वामित्र एवं ऋचीक के आश्रम में प्राप्त होने के साथ ही महर्षि ऋचीक से शार्ङ्ग नामक दिव्य वैष्णव धनुष और ब्रह्मर्षि कश्यप से विधिवत अविनाशी वैष्णव मन्त्र प्राप्त हुआ। तदनन्तर कैलाश गिरिश्रृंग पर स्थित भगवान शंकर के आश्रम में विद्या प्राप्त कर विशिष्ट दिव्यास्त्र विद्युदभि नामक परशु प्राप्त किया। शिवजी से उन्हें श्रीकृष्ण का त्रैलोक्य विजय कवच, स्तवराज स्तोत्र एवं मन्त्र कल्पतरु भी प्राप्त हुए। चक्रतीर्थ में किये कठिन तप से प्रसन्न हो भगवान विष्णु ने उन्हें त्रेता में रामावतार होने पर तेजोहरण के उपरान्त कल्पान्त पर्यन्त तपस्यारत भूलोक पर रहने का वर दिया।
वे शस्त्रविद्या के महान गुरु थे। उन्होंने भीष्म, द्रोण व कर्ण को शस्त्रविद्या प्रदान की थी। उन्होंने एकादश छन्दयुक्त “शिव पंचत्वारिंशनाम स्तोत्र” भी लिखा। इच्छित फल-प्रदाता परशुराम गायत्री है-“ॐ जामदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि, तन्नोपरशुराम: प्रचोदयात्।” वे पुरुषों के लिये आजीवन एक पत्नीव्रत के पक्षधर थे। उन्होंने अत्रि की पत्नी अनसूया, अगस्त्य की पत्नी लोपामुद्रा व अपने प्रिय शिष्य अकृतवण के सहयोग से विराट नारी-जागृति-अभियान का संचालन भी किया था। अवशेष कार्यो में कल्कि अवतार होने पर उनका गुरुपद ग्रहण कर उन्हें शस्त्रविद्या प्रदान करना भी बताया गया है। इस अवसर पर अनुज पांडेय छोटू, रवि कुमार पांडेय, टुन्ना पांडेय, कमलदेव पांडेय, अनूप पांडेय, रोहित पांडेय आदि थे|

 

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