महाकुंभ व्यवस्था Vs अव्यवस्था….अपने आप !!

महाकुंभ व्यवस्था Vs अव्यवस्था….अपने आप !!

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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जहां व्यवस्था ही अव्यवस्था बन गई है…हजारों पुलिसवाले खड़े हैं लेकिन किसी काम के नहीं हैं सैकड़ों जगह बैरिकेडिंग है लेकिन उससे आम आदमी परेशान ही हो रहा है, गाड़ियों की नो एंट्री है लेकिन वो आम आदमी के लिए है….रेट तय हैं लेकिन कौन कितना ले रहा है ये फिक्स करने वाला कोई नहीं है…एंबुलेंस की व्यवस्था है लेकिन फोन करने पर 1 घंटे बाद पहुंचने का दावा कर रहे हैं.

अगर आपको संगम नोज जाना है तो क्या हो रहा है ये जान लीजिए…गाड़ियां रोक दी जा रही हैं लेकिन पार्किंग से नोज जाने के लिए सरकार की तफ से कोई व्यवस्था नहीं की गई है.आप पैदल जाइए, आप बाइक वालों को 400-500, ई-रिक्शा वालों को 300-400 देकर चले जाएंगे. लेकिन उसके बावजूद भी आपको 1.5-2 किलोमीटर तो पैदल चलना ही है। नहाने के बाद समस्या ज्यादा शुरू हो रही है…मान लीजिए आपने सेक्टर 6 में गाड़ी पार्क की है, ई-रिक्शा, बाइक, पैदल आप संगम नोज पहुंच गए, लेकिन नहाने के बाद आप वापस सेक्टर 6 चले जाएंगे इसकी कोई गारंटी नहीं है. हो सकता है आप सिविल लाइंस, चुंगी, या शहर के किसी और इलाके में पहुंच गए हैं.
क्योंकि नोज से निकलने के बाद न आपको कोई बताने वाला पुलिसकर्मी है..ना कोई साइन बोर्ड या ना कोई होर्डिंग….ऐसे में सारी भीड़ किसी ऐसी जगह जाकर जमा हो जा रही है जहां से कहां जाएं, क्या करें वाली स्थिति है। अब वहां से आपको तय करना है कि आप अपनी पार्किंग या जहां जाना है वहां कैसे पहुंचें.

….होना ये चाहिए कि शहर में 2-3 जगह सारी गाड़ियां पार्क कराते…वहां से संगम नोज या घाटों तक ले जाने के लिए सिर्फ ई-रिक्शा लगाएं….और वो रिक्शा नोज के बाहर से भी मिलें जहां लिखा हो कि सेक्टर 6,7, 8,9 जाने वाले इस स्टैंड में बैठें…झूंसी, चुंगी, सिविल लाइन वाले इस स्टैंड में बैठें…. होना ये चाहिए कि पैदल मार्ग पर लगातार बेंच लगाते, छांव की व्यवस्था करते, पानी की व्यवस्था करते….लेकिन हो ये रहा है कि लोग नहाकर निकल रहे हैं..

..अपने गंतव्य की बजाय किसी और रास्ते पर बढ़ते जा रहे हैं ना बैठने की जगह है ना धूप से बचने की व्यवस्था है और न पीने का पानी उचित कीमत पर है। होना ये चाहिए कि नाव वालों पर नियंत्रण हो कि वो कितना किराया लें लेकिन हो ये रहा हैकि वो त्रिवेणी ले जाने के लिए 2000-2000 प्रति सवारी ले रहे हैं।

तो ऐसे में 45 करोड़ लोग नहाए….लोग नहा रहे हैं अपने आप,…लोग जा रहे हैं अपने आपलोग आ रहे हैं अपने आप…सब कुछ हो रहा है अपने आप…प्रशासन और कुंभ की व्यवस्था चल रही है अपने आप…नहाकर लौटे लोगों से पूछिए…वो कहेंगे सब प्रभु की कृपा से हो रहा है यानी अपने आप !!!

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