महाराष्ट्र सरकार देश का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे बनाएगा, कैबिनेट ने मुहर लगाई

महाराष्ट्र सरकार देश का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे बनाएगा, कैबिनेट ने मुहर लगाई

 UP के इस प्रोजेक्ट को छोड़ देगा पीछे

शक्तिपीठ पर नाम क्यों?

श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्‍क:

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महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार ने मंगलवार (24 जून) को एक अति महत्वाकांक्षी ‘महाराष्ट्र शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे’ को मंजूरी दे दी। यह एक्सप्रेसवे 800 किलोमीटर लंबा होगा, जो पूर्वी महाराष्ट्र को दक्षिणी कोंकण से जोड़ते हुए 12 जिलों से होकर गुजरेगा। कैबिनेट की हुई बैठक में इसके निर्माण के लिए 20,787 करोड़ रुपये के आवंटन को भी मंजूरी दे दी गई है। कैबिनेट मीटिंग की अध्यक्षता मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने की।

 

 

अधिकारियों के मुताबिक, 802 किलोमीटर लंबा एक्सप्रेसवे वर्धा जिले के पवनार को सिंधुदुर्ग जिले में महाराष्ट्र-गोवा सीमा पर स्थित पात्रादेवी से जोड़ेगा। इस एक्सप्रेसवे से नागपुर और गोवा के बीच यात्रा का समय मौजूदा 18 घंटे से घटकर सिर्फ आठ घंटे रह जाने की उम्मीद है। हाई-स्पीड कॉरिडोर वर्धा, यवतमाल, हिंगोली, नांदेड़, परभणी, बीड, लातूर, धाराशिव, सोलापुर, सांगली, कोल्हापुर, सिंधुदुर्ग जिलों से होकर गुजरेगा।

 

नाम शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे क्यों रखा गया?

बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि जहां भी भूमि अधिग्रहण के डर से परियोजना का विरोध हो रहा है, वहां स्थानीय किसानों से बातचीत कर इस प्रोजेक्ट को जल्द से जल्द पूरा किया जाना चाहिए। इस एक्सप्रेसवे का नाम शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे रखा गया है।

अधिकारियों के अनुसार, एक्सप्रेसवे का उद्देश्य अंबाजोगाई, औंधा नागनाथ और परली वैजनाथ के दो ज्योतिर्लिंगों, करंजा-लाड, अक्कलकोट, औदुम्बर और नरसोबाची वाड़ी जैसे प्रमुख आध्यात्मिक और ऐतिहासिक स्थलों के अलावा माहुर, तुलजापुर, कोल्हापुर और पंढरपुर जैसे प्रमुख तीर्थ स्थलों को जोड़ना है। इसी वजह से इसका नाम शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे रखा गया है।

HUDCO देगा 12,000 करोड़ का ऋण

महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम इस परियोजना को पूरा करेगा। हुडको ने लगभग 7,500 हेक्टेयर भूमि के अधिग्रहण के लिए 12,000 करोड़ रुपये का ऋण दिया है। उन्होंने कहा कि एक्सप्रेसवे का उद्देश्य राज्य के सभी शक्तिपीठों को जोड़ना और पर्यटन और कनेक्टिविटी के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों का विकास करना है।

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