जसौली जुड़ीहाता के मणि सार्थक ने जेई एडवांस में आल इंडिया रैकिंग में 411 वां स्थान प्राप्त किया

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श्रीनारद मीडिया‚ सीवान (बिहार)

सीवान जिले के पचरूखी प्रखंड के जुड़ीहाता जसौली के स्व • डा • सूर्यदेव सिंह का पोता एवं शिक्षक रविन्द्र कुमार सिंह के लड़के मणि सार्थक ने जेई एडवांस में आल इंडिया रैकिंग में 411 वां स्थान पाकर ना केवल माता-पिता बल्कि जिले का नाम रौशन किया है।मणि सार्थक के
के बारे में बताते हुए उसकी शिक्षिका माताजी मधुमिता ने बताया कि जेई मेंस में इसने 99.96 पर्सेंटाइल लाया था।बावजूद इसके अपने प्रदर्शन से खुश ना था।जेई एडवांस में इसकी 411 वीं रैंकिंग है वहीं ओबीसी में इसकी रैंकिंग 46 वीं है।गुवाहाटी जोन में टाप टेन में है।यह बचपन से ही पढ़ने में तेज था।

इसकी शिक्षा के बारे में बताते हुए श्रीमती सिन्हा ने कहा कि झारखंड के रामकृष्ण मिशन देवघर विद्यापीठ से मैट्रिक 96.2 प्रतिशत से पास की और जिला में टाप टेन में शामिल था।इंटर में कोविड के कारण परीक्षा नहीं होने के कारण सीबीएसई ने 85.2 प्रतिशत अंक आए थे।जिसके कारण बहुत निराश हो गया था।हमेशा कहता था कि मम्मी परीक्षा नहीं होने के कारण मैं अंकों में पिछड़ गया।

श्रीमती सिन्हा आगे कहतीं है कि मणि किशोर प्रोत्साहन वैज्ञानिक प्रोत्साहन योजना ग्यारहवीं में लिखित तक गया था और बारहवीं में फाईनल तक पहुंचा था।मणि का वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में आल इंडिया रैकिंग 53 , कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी में रैंकिंग 4,कर्नाटक स्टेट इंट्रेंस में रैंकिंग 26, इंडियन ओल्पियाड में क्वालीफायर रहा तथा लेवल नेशनवाईड टाप एक प्रतिशत तथा नेशनल ओल्पियाड फिजिक्स, कैमेस्ट्री, मैथेमेटिक्स में लेवल वन के क्वालीफायड माना गया।इसकी बहन ईशा मात्र 22 वर्ष की उम्र में वर्ल्ड की टाप टेन इंस्टीट्यूट इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साईंस बेंगलुरु से रिसर्च एवं ट्रेनिंग प्रोग्राम कर रही है।मालूम हो कि मणि के पिताजी सारण के अतरसन मध्य विद्यालय में प्रधानाचार्य हैं तथा माताजी मधुमिता विशेश्वर सेमिनरी इंटर कालेज में गणित की शिक्षिका हैं।

वहीं इस संबंध में मणि सार्थक ने एक सवाल के जवाब में बताया कि मैं अपने नानाजी सारण जिले के अंजनी गांव के जगन्नाथ प्रसाद सिन्हा और दादाजी स्व• डा • सूर्यदेव सिंह के प्रोत्साहन से ही आज यहाँ तक पहुंचा हूं।जिस तरह से मैं कोविड से संक्रमित होकर लगभग एक माह बेड रेस्ट में रहा वह नानाजी का प्रोत्साहन नहीं रहता तो शायद ही इस मुकाम पर पहुंच पाता।

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