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मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया - श्रीनारद मीडिया

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

मणिपुर से एक बड़ी खबर सामने आई है। दरअसल, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने अपने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने आज राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से मुलाकात की और इसके बाद अपना त्याग पत्र उनको सौंप दिया। मणिपुर के सीएम बीरेन सिंह ने दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाताक की थी। इस मुलाकात के बाद वह इंफाल लौटे और अपने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा सौंप दिया। बता दें पिछले कई महीनों से मणिपुर में हिंसा का दौर जारी है। इस बीच उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दिया है।

बीरेन सिंह ने क्यों सौंपा इस्तीफा?

माना जा रहा है कि सीएम बीरेन सिंह ने अपने नेतृत्व के खिलाफ राज्य भाजपा में असंतोष को शांत करने के लिए इस्तीफे की पेशकश की है। कहा जा रहा है कि वर्तमान में राज्य की सरकार कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव और फ्लोर टेस्ट की संभावना का सामना कर रही है।

हालांकि, ध्यान देने वाली बात है कि सहयोगी कॉनराड संगमा की नेशनल पीपुल्स पार्टी अगर सरकार से अपना समर्थन वापस ले भी लेती है फिर भी बीजेपी के पास बहुमत साबित करने के लिए पर्याप्त संख्या है। बावजूद इसके इस बात की संभावना थी कि राज्य में नेतृत्व में बदलाव की मांग करने वाले विधायक फ्लोर टेस्ट की स्थिति में पार्टी व्हिप की अवहेलना कर सकते थे।

केंद्रीय नेतृत्व से मिले थे बीरेन सिंह

इसी बीच बीरेन सिंह आज दिल्ली पहुंचे थे, जहां पर उन्होंने केंद्रीय नेतृत्व से मुलाकात की। इसके बाद वह इंफाल लौटे और अपना त्यागपत्र राज्यपाल को सौंप दिया। दिल्ली में आज बीरेन सिंह ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी। इसके बाद वह केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से भी मिले।

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने रविवार शाम मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दिया। उन्होंने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। पिछले साल के अंत में राज्य में जातीय हिंसा को लेकर मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने जनता से माफी मांगी थी। उन्होंने कहा था कि यह पूरा साल बेहद खराब रहा। मैं राज्य के लोगों से तीन मई 2023 से लेकर आज तक जो कुछ भी हुआ है, उसके लिए माफी मांगता हूं। कई लोगों ने अपने प्रियजनों को खो दिया। कई लोगों ने अपना घर छोड़ दिया। मुझे इसका दुख है। पिछले तीन-चार महीनों में शांति की स्थिति देखकर मुझे उम्मीद है कि 2025 में राज्य में सामान्य स्थिति बहाल हो जाएगी।

एन बीरेन सिंह ने अपने इस्तीफे में क्या कहा
राज्यपाल को सौंपे गए अपने इस्तीफे में उन्होंने लिखा, मैं नोंगथोम्बम बीरेन सिंह मणिपुर के मुख्यमंत्री के पद से अपना इस्तीफा सौंप रहा हूं। मणिपुर के लोगों की सेवा करना मेरे लिए सम्मान की बात रही है। मैं केंद्र सरकार अत्यंत आभारी हूं, जिन्होंने समय पर कार्यवाही, हस्तक्षेप, विकास कार्य और विभिन्न परियोजनाओं को लागू किया, ताकि मणिपुर के हर एक नागरिक के हित की रक्षा की जा सके। मेरी केंद्र सरकार से ईमानदार अपील है कि वे इसी तरह काम जारी रखें। मैं कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को आपके सामने रखना चाहता हूं-

1- मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखा जाना चाहिए, जिसका हजारों वर्षों का समृद्ध और सभ्य इतिहास है।
2- सीमा पर घुसपैठ रोकी जानी चाहिए और अवैध प्रवासियों को देश से बाहर करने की नीति बनाई जाए।
3- नशे और नशे के आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई जारी रखी जाना चाहिए।
4- एमएफआर की कड़ी और पूरी तरह से सुरक्षित नई व्यवस्था लागू की जानी चाहिए, जिसमें बायोमेट्रिक जांच सख्ती से की जाए।
5- सीमा पर समयबद्ध और तेजी से काम जारी रहना चाहिए।

हिंसा के चलते दबाव में थे बीरेन सिंह
राज्य में मई 2023 से जातीय हिंसा चल रही है, जिसमें अब तक 200 से ज्यादा लोग मारे गए हैं और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं। नवंबर में मणिपुर के जिरीबाम में तीन महिलाओं और उनके तीन बच्चों की हत्या के बाद भी बवाल हुआ। राज्य में लगातार हो रही हिंसा के चलते एन बीरेन सिंह भारी दबाव में थे और उनको पद से हटाने की मांग जोर पकड़ रही थी। एनडीए की सहयोगी एनपीपी ने भी मणिपुर सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था और नेतृत्व परिवर्तन करने की मांग की थी।

कैसे शुरू हुई हिंसा
मणिपुर में मैतेई समुदाय और कुकी समुदाय के बीच हिंसा पिछले साल तीन मई को उस समय शुरू हुई थी, जब मणिपुर उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ आदिवासी छात्रों संघ (ATSUM) ने एक रैली आयोजित की थी, जिसमें मणिपुरी समुदाय को अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल करने पर विचार करने का निर्देश दिया गया था। इसके बाद से राज्य में हिंसा का सिलसिला जारी है, और स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए केंद्र सरकार को अर्धसैनिक बलों को तैनात करना पड़ा।

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