छपरा जेल में बंद कैदियों को खिलायी गयी फाइलेरिया से बचाव की दवा

छपरा जेल में बंद कैदियों को खिलायी गयी फाइलेरिया से बचाव की दवा

· जेल में बंद है 1681 से कैदी

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· 10 फरवरी से जिले में चल रहा है सर्वजन दवा सेवन अभियान

श्रीनारद मीडिया, पंकज मिश्रा, अमनौर, सारण (बिहार):

छपरा  जिले में फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर स्वास्थ्य विभाग के द्वारा सर्वजन दवा सेवन अभियान संचालित किया जा रहा है। 10 फरवरी से अभियान की शुरूआत की गयी है। छपरा जेल में बंद कैदियों को भी फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलायी गयी। स्वास्थ्य विभाग के द्वारा गठित टीम ने तय मानक के अनुसार कैदियों को दवा खिलायी। साथ हीं जेल के पदाधिकारियों और कर्मियों को भी दवा का सेवन कराया गया। जानकारी के अनुसार छपरा जेल में करीब 1681 कैदी बंद है। जिसमे पुरुष कैदी 1609
महिला कैदी 72 है, जिन्हें दवा खिलाने का लक्ष्य रखा गया है। कैदियों को दवा खिलाने से पहले यह सुनिश्चित कर लिया गया कि कोई भी यदि गंभीर बीमारी से पीड़ित है तो उसे दवा का सेवन नहीं करना है। यदि कोई कैदी खाली पेट है तो उसे कुछ खिलाने के बाद ही दवा का सेवन कराया जाना है। फाइलेरिया जैसे गम्भीर रोग से बचाव के लिए सर्वजन दवा का सेवन जरूरी है। सर्वजन दवा का सेवन कर अब जिले के कैदी सुरक्षित हो गए हैं।

 

यह दवा पूरी तरह सुरक्षित:

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. दिलीप कुमार सिंह ने बताया कि यह दवा पूरी तरह सुरक्षित है फिर भी किसी किसी को, जो संक्रमित है, हल्का सा चक्कर आना, उल्टी या पेट दर्द हो सकते हैं जो दवाओं के कृमि पर असर होने के कारण होता है और थोड़ी देर आराम करने से स्वतः ठीक हो जाते हैं. केवल ध्यान रखें कि दवा भोजन के बाद ही खायें, यह दवा गर्भवती महिलाओ, गंभीर बीमार लोगों को नहीं खिलाई जाएगी।

 

कारगर इलाज नहीं है इसीलिए रोकथाम ही समाधान:

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. दिलीप कुमार सिंह ने कैदियों को बताया कि पुरुषों में इस बीमारी में हाथ-पांव यानी पैरों में सूजन हो जाना और महिलाओं के स्तन में सूजन आ जाना लक्षण हैं। फाइलेरिया रोग मच्छरों द्वारा फैलता है। क्यूलैक्स मादा मच्छर जब किसी फाइलेरिया रोग से ग्रसित व्यक्ति को काटता है तो वह संक्रमित हो जाता है। फिर यह मच्छर रात के समय किसी स्वस्थ व्यक्ति को काट लेता है तो फाइलेरिया रोग के परजीवी रक्त के जरिए उसके शरीर में प्रवेश कर उसे भी फाइलेरिया रोग से ग्रसित कर देते हैं। डीएमओ ने बताया कि ज्यादातर संक्रमण अज्ञात या मौन रहते हैं।लंबे समय बाद इनका पता चलता है। इस बीमारी का कारगर इलाज नहीं है इसीलिए रोकथाम ही समाधान है। फाइलेरिया के लक्षण नहीं दिखाने पर भी इस दवा का सेवन जरूरी है।इस मौके पर जेल अधीक्षक के अलावा, जिला वेक्टर रोग सलाहकार सुधीर कुमार, पिरामल के प्रोग्राम लीड अरविन्द पाठक़, पीओ-सीडी पंकज कुमार समेत अन्य मौजूद थे।

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