भारत में हिंदुओं के कारण अल्पसंख्यक सुरक्षित है- किरेन रिजिजू

भारत में हिंदुओं के कारण अल्पसंख्यक सुरक्षित है- किरेन रिजिजू

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा है कि हिंदू बहुसंख्यक होने के कारण ही सभी अल्पसंख्यक इस देश में पूर्ण स्वतंत्रता और सुरक्षा का आनंद ले रहे हैं। यह देश अल्पसंख्यकों के लिए सबसे सुरक्षित है। मुझे ऐसा एक भी मामला नहीं मिला है जहां अल्पसंख्यक समुदाय का कोई सदस्य देश में किसी भी चीज से वंचित होने के कारण भारत से बाहर जाने को तैयार हो।

उन्होंने कहा कि अगर कोई यह कह रहा है कि वह देश में असुरक्षित है तो वह एक राष्ट्र के रूप में भारत के साथ सबसे बड़ा अन्याय कर रहा है। एक साक्षात्कार में रिजिजू ने कहा, ‘कल्पना कीजिए कि अगर मैं पाकिस्तान में होता। कल्पना कीजिए कि अगर विभाजन के दौरान हमें बांग्लादेश का हिस्सा बना दिया जाता, तो आज हम शरणार्थी होते।’

कांग्रेस समर्थित तंत्र पर लगाया आरोप

रिजिजू ने कहा, ‘आज, प्रत्येक आदिवासी समुदाय, प्रत्येक अल्पसंख्यक समुदाय अपनी मातृभूमि में सुरक्षित है क्योंकि बहुसंख्यक हिंदू समुदाय चरित्र से धर्मनिरपेक्ष और स्वभाव से सहिष्णु है।’ उन्होंने ‘कांग्रेस पार्टी समर्थित वामपंथी तंत्र’ पर लगातार यह अभियान चलाने का आरोप लगाया कि अल्पसंख्यकों को यातना दी जा रही है, उनकी मॉब-लिंचिंग की जा रही है और वे भारत में सुरक्षित नहीं हैं।’

उन्होंने कहा कि इस तरह की बातें देश के लिए मददगार नहीं हैं। गौरतलब है कि मुख्तार अब्बास नकवी जब अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री थे तो उन्होंने कहा था कि भारत अल्पसंख्यकों के लिए स्वर्ग है। उनके इस बयान के बारे में पूछे जाने पर रिजिजू ने कहा कि भारत एक ऐसा देश है जहां ‘लोग कानून का पालन करते हैं, हम धर्मनिरपेक्ष हैं, हमारा एक संविधान है, और इसलिए, चाहे बहुसंख्यक हों या अल्पसंख्यक, कानून के सामने सभी समान हैं।’

तिब्बत, म्यांमार का दिया उदाहरण

  • उन्होंने कहा, ‘मैं स्पष्ट रूप से यह कह सकता हूं कि जो कुछ बहुसंख्यक समुदाय को मिलता है, अल्पसंख्यक समुदायों को भी वही मिलता है, लेकिन कुछ चीजें ऐसी हैं जो अल्पसंख्यकों को मिलती हैं, लेकिन बहुसंख्यक समुदाय को नहीं मिलतीं।’ उन्होंने कहा, ‘यदि आप इतिहास को संक्षेप में देखें तो चीनी कब्जे के कारण तिब्बत में कुछ समस्याएं थीं और तिब्बती भारत आ गए।’
  • रिजिजू ने कहा कि म्यांमार में आंदोलन और कुछ समस्याएं थीं और लोकतांत्रिक कार्यकर्ता भारत आ गए। श्रीलंका में कुछ समस्याएं थीं, श्रीलंकाई तमिल भारत आ गए। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हुआ, वे सभी भारत आ गए। पाकिस्तान, अफगानिस्तान से कई लोग भारत आए। वे सभी भारत में शरण लेना चाहते हैं, क्योंकि उन्हें भारत के संविधान और भारत के लोगों पर भरोसा है। इसीलिए वे यहां आते हैं।

 

भारत में अल्पसंख्यकों की हालत को लेकर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू और एआईएमआईएम के चीफ असदुद्दीन ओवैसी भिड़ गए। किरने रिजिजू का कहना है कि अल्पसंख्यकों को बहुसंख्यकों की तुलना में ज्यादा फायदे मिलते हैं और वे ज्यादा सुरक्षित हैं। इसके अलावा उन्होंने ये भी दावा किया कि अल्पसंख्यक समुदाय के लोग पड़ोसी देश में पलायन नहीं करते हैं।

उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी की कल्याणकारी योजनाएं सभी के लिए हैं। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की योजनाएं अल्पसंख्यकों को अतिरिक्त लाभ भी देती हैं।” इस पर ओवैसी ने पलटवार करते हुए कहा कि भारत के मुसलमान भारत में रहना इसलिए नहीं चुनते कि उन्हें सुविधाएं मिल रही हैं बल्कि इसलिए चुनते हैं क्योंकि वो अपने अधिकारों के लिए लड़ सकते हैं।

क्या कहा असदुद्दीन ओवैसी ने?

उन्होंने कहा, ‘हम भागते नहीं हैं… हम अपने अधिकारों के लिए लड़ते हैं। भारत की तुलना विफल देशों से न करें।’ असदुद्दीन ओवैसी ने आगे कहा, “अल्पसंख्यकों के खिलाफ मंत्री के मुताबिक, अगर हम (भारतीय मुसलमान) पलायन नहीं करते हैं तो इसका मतलब है कि हम खुश हैं। दरअसल, हमें पलायन करने की आदत नहीं है। हम अंग्रेजों से डकर भी नहीं भागे, हम बंटवारे के समय भी नहीं भागे और हम आगे भी नहीं भागेंगे… हमारा इतिहास इस बात का सबूत है कि हम न तो अपने उत्पीड़कों के साथ सहयोग करते हैं और न ही उनसे छिपते हैं। हम अपने अधिकारों के लिए लड़ना जानते हैं।”

किरेन रिजिजू ने क्या कहा?

उन्होंने कहा कि पिछले 11 सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने सबका साथ सबका विकास के सिद्धांत को आगे बढ़ाया है। उन्होंने दावा किया, “इससे ये सुनिश्चित हुआ है कि अल्पसंख्यक समुदाय भारत की विकास गाथा में सक्रिय और समान भागीदार है। हमें जो मुख्य बात समझनी है, वो ये है कि अल्पसंख्यक समुदायों को सरकार से बहुसंख्यक समुदाय… यानी हिंदुओं की तुलना में ज्यादा पैसा और मदद मिल रही है।”

ओवैसी ने जताई इस पर बात पर आपत्ति

केंद्रीय मंत्री की इस टिप्पणी पर असदुद्दीन ओवैसी ने कड़ी आपत्ति जताई और इस बात पर नाराजगी जताई कि अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों को मौलिक अधिकार के बजाय दान के रूप में देखा जाता है। इसके साथ ही उन्होंने कुछ सवाल भी पूछे। उन्होंने कहा, “भारत के अल्पसंख्यक अब सेकेंड क्लास के नागरिक भी नहीं हैं। क्या हर दिन पाकिस्तानी, बांग्लादेशी, जिहादी या रोहिंग्या कहलाना लाभ है। क्या भीड़ की ओर से मार दिए जाने से सुरक्षा मिलती है? क्या से सुरक्षा है कि भारतीयों को बांग्लादेश में धकेल दिया गया है?”

उन्होंने आगे कहा, “क्या ये देखना सौभाग्य की बात है कि हमारे घरों, मस्जिदों और मजारों को अवैध रूप से ध्वस्त किया जा रहा है? सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक रूप से अदृश्य बना दिया जाना? क्या भारत के प्रधानमंत्री से नफरत भरे भाषणों का निशाना बनना कोई सम्मान की बात है?”

ओवैसी ने कहा, “भारतीय मुसलमान एकमात्र ऐसा समूह है, जिसके बच्चे अब अपने माता-पिता या दादा-दादी से भी बदतर स्थिति में हैं। पीढ़ियों के बीच गतिशीलता उलट गई है। मुस्लिम बहुल क्षेत्र सार्वजनिक अवसंरचना और बुनियादी सेवाओं से सबसे अधिक वंचित हैं।” इसके अलावा ओवैसी ने वक्फ कानून को लेकर भी सवाल किए।

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