अभिशप्त कहे जाने वाले कुष्ठ रोग से मुक्ति का मिशन.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है और देश तरक्की के उस मुकाम की ओर अग्रसर है, जहां हम लेप्रोसी जैसी बीमारी से मुक्त होने के करीब हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2019 में कुष्ठ रोग मुक्त भारत अभियान का शुभारंभ किया था। जिसका लक्ष्य है वर्ष 2025 में देश को कुष्ठ रोग से मुक्त कराना है। इस अभियान के तहत घर-घर जाकर रोगियों की पहचान, संक्रमितों को मुफ्त दवा व आवश्यक होने पर सर्जरी आदि की सुविधा सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर उपलब्ध कराई जा रही है।

स्वतंत्रता के बाद नए भारत के सामने अशिक्षा सबसे बड़ी बाधा थी, लेकिन इसे थोड़े समय में दूर भी नहीं किया जा सकता था। इसके कारण समाज अनेक कुरीतियों व भ्रांतियों की गिरफ्त में था। एक तो बीमारियों का उपचार नहीं था, दूसरा भ्रांतियां उन्हें और जटिल बना रही थीं। इन्हीं में थी लेप्रोसी (कुष्ठ रोग) की बीमारी। लेप्रोसी से ग्रसित होने का मतलब समाज से पूरी तरह बहिष्कृत हो जाना था। समाज इसके रोगी को अभिशप्त मानता था।

क्या हैं लक्षण: अधिसंख्य लोगों को मानना था कि रोगी ने पूर्व जन्म में बुरे कर्म किए थे और भगवान ने इसी वजह से दंडित किया है, जिससे इसे यह बीमारी हुई है। माइक्रोबैक्टीरियम लेप्री व माइक्रोबैक्टीरियम लेप्रोमेटासिस जीवाणुओं से फैलने वाली लेप्रोसी का संक्रमण प्रारंभ में त्वचा और इसके बाद आंख, नाक, हाथ, पैर आदि अंगों को प्रभावित करता है।

कैसे फैलता है कुष्ठ रोग: उपचार न होने पर इसके संक्रमण से अंगों का गलना शुरू हो जाता है। कई बार यह बीमारी दिव्यांगता का कारण भी बनती है। इससे संक्रमित होने के बाद लक्षण आने में भी पांच से 20 वर्ष तक का समय लग सकता है। ड्रापलेट्स से फैलने वाली इस बीमारी का संक्रमण, संक्रमित के संपर्क में रहने पर हो सकता है। आजादी के बाद 1954-55 में इसके निवारण के लिए राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम की शुरुआत हुई। इसके पूर्व देश में इस बीमारी की न कोई दवा थी और न लोगों को इसके बारे में अधिक जानकारी थी।

एमडीटी (मल्टी ड्रग थेरेपी) के आने से इस बीमारी पर लगाम लगनी शुरू हुई। इसके साथ ही स्वास्थ्य मंत्रालय ने सेलेब्रिटीज व शख्सियतों के माध्यम से इसे समाप्त करने के लिए अभियान चलाए जो इस बीमारी की रफ्तार रोकने में काफी कारगर रहे। इससे समाज में यह संदेश गया कि वास्तव में यह जीवाणु के संक्रमण से होने वाली बीमारी है। इससे किस तरह बचना है और क्या इसके लक्षण हो सकते हैं। इससे लेप्रोसी नियंत्रित भी हुई और लोगों में जागरूकता आई कि इसके संक्रमण में रोगी का कोई दोष नहीं है।

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