मां हो सुरक्षित, जीवन हो सुनिश्चित, प्रसव पूर्व जांच बनी मातृत्व सुरक्षा की ढाल

मां हो सुरक्षित, जीवन हो सुनिश्चित, प्रसव पूर्व जांच बनी मातृत्व सुरक्षा की ढाल
• 10,823 गर्भवती महिलाओं की जांच में 9.7% हाई रिस्क केस मिले
• जिले में अप्रैल से अक्टूबर तक 10,823 महिलाओं की हुई जांच

श्रीनारद मीडिया, पंकज मिश्रा, अमनौर, छपरा (बिहार):

WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.25.09 PM
previous arrow
next arrow
WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.25.09 PM
00
previous arrow
next arrow

छपरा  जिले में मातृ स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ बनाने और गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित मातृत्व का अधिकार दिलाने के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग ने प्रसव पूर्व जांच (एएनसी) अभियान को जोर-शोर से आगे बढ़ाया है। अप्रैल 2025 से अक्टूबर 2025 के बीच जिले भर में आयोजित एएनसी शिविरों और स्वास्थ्य उपकेंद्रों के माध्यम से कुल 10,823 गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच की गई, जिनमें से 1,045 महिलाएं उच्च जोखिम (हाई रिस्क प्रेग्नेंसी) की श्रेणी में पाई गईं। यह आंकड़ा कुल जांच का 9.7 प्रतिशत है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, इन हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं पर लगातार निगरानी रखी जाएगी और जिन मामलों में जटिलता अधिक पाई जाएगी, उन्हें उच्च स्तरीय स्वास्थ्य संस्थानों में तत्काल रेफर किया जाएगा।
गुणवत्तापूर्ण प्रसव पूर्व जांच से घटेगी मातृ मृत्यु दर
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि प्रसव पूर्व जांच (एएनसी) की गुणवत्ता मातृ और शिशु दोनों की सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी है। “समय पर जांच से गर्भावस्था के दौरान होने वाली जटिलताओं का पता चल जाता है और चिकित्सीय सलाह से इनका समाधान संभव हो पाता है। प्रधानमंत्री मातृत्व सुरक्षित अभियान के तहत गर्भवती महिलाओं की रक्त, मूत्र, ब्लड ग्रुप, एचआईवी, बीपी, हार्ट बीट और हेमोग्लोबिन जैसी आवश्यक जांच की जाती है। इन जांचों के आधार पर चिकित्सक महिलाओं को सही समय पर इलाज और पोषण संबंधी परामर्श प्रदान करते हैं।

संस्थागत प्रसव से बढ़ी सुरक्षा, स्वास्थ्य संस्थान हुए मजबूत
सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि मातृ और शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए जिले में संस्थागत प्रसव को प्राथमिकता दी जा रही है। स्वास्थ्य विभाग के प्रयासों से अब प्रखंड, अनुमंडल और जिला अस्पतालों में प्रसव सेवाएं बेहतर हो गई हैं। प्रशिक्षित डॉक्टरों और नर्सों की निगरानी में प्रसव होने से न केवल जच्चा-बच्चा सुरक्षित रहता है, बल्कि किसी भी आपात स्थिति में तुरंत चिकित्सीय सहायता भी मिलती है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोगों का झुकाव अब संस्थागत प्रसव की ओर बढ़ रहा है, जिससे मातृ स्वास्थ्य संकेतकों में सकारात्मक सुधार देखा जा रहा है।
सुरक्षित मातृत्व की दिशा में ठोस कदम
एएनसी जांचों के माध्यम से गर्भावस्था के शुरुआती चरण में ही संभावित जोखिमों की पहचान की जा रही है। यह पहल मातृ स्वास्थ्य को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। स्वास्थ्य विभाग का लक्ष्य है कि जिले की हर गर्भवती महिला की कम-से-कम तीन बार एएनसी जांच कराई जाए ताकि कोई भी गर्भवती महिला स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित न रहे।

यह भी पढ़े

‘लोकगीतों का समाजशास्त्र’ लोक की विलक्षण झलक देती है

क्या उत्तराखंड 25 वर्ष में बदल गया?

जो अपराध करेगा, उसे यमलोक जाना होगा- योगी आदित्यनाथ

बिहार में 11 नवंबर को 20 जिलों की 122 सीटों पर मतदान होगा

शशि थरूर ने जमकर की आडवाणी की तारीफ

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!