वक्फ संशोधन बिल 2024 के खिलाफ तमिलनाडु विधानसभा में प्रस्ताव पेश

वक्फ संशोधन बिल 2024 के खिलाफ तमिलनाडु विधानसभा में प्रस्ताव पेश

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने केंद्रीय सरकार द्वारा प्रस्तावित वक्फ संशोधन बिल 2024 के खिलाफ राज्य विधानसभा में एक प्रस्ताव पेश किया। स्टालिन का कहना है कि यह बिल मुसलमानों के अधिकारों को “नष्ट” कर देगा। उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह राज्य के अधिकारों, संस्कृति और परंपराओं के खिलाफ योजनाएं लागू कर रही है और विशेष रूप से मुसलमानों के अधिकारों की अनदेखी कर रही है।
केंद्रीय सरकार पर आरोपस्टालिन ने कहा कि केंद्रीय सरकार वक्फ संशोधन बिल में बदलाव करने की कोशिश कर रही है, जो वक्फ बोर्ड की शक्तियों को कम कर देगा। संशोधन के मुताबिक, वक्फ बोर्ड में दो गैर-मुसलमानों को शामिल किया जाएगा, जिससे मुसलमानों का मानना है कि यह एक तरीका हो सकता है सरकार के लिए वक्फ संपत्तियों को हड़पने का। उन्होंने इसे धर्म की स्वतंत्रता पर हमला और मुस्लिम भावनाओं का अपमान बताया।

राज्य सरकार का विरोध और प्रस्ताव

एमके स्टालिन ने यह भी कहा कि DMK पार्टी और कई अन्य दलों ने इस संशोधन बिल का विरोध किया है। उन्होंने विधानसभा में यह प्रस्ताव रखा कि केंद्र सरकार को वक्फ संशोधन बिल 2024 को वापस लेना चाहिए। प्रस्ताव में यह कहा गया कि यह बिल अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय को गंभीर नुकसान पहुंचाएगा और इसे वापस लिया जाना चाहिए।

वक्फ एक्ट और प्रस्तावित संशोधन

वक्फ एक्ट 1995, जो वक्फ संपत्तियों को नियंत्रित करता है, पर लंबे समय से भ्रष्टाचार और अतिक्रमण जैसी समस्याओं के आरोप लगते रहे हैं। 2024 में प्रस्तावित वक्फ संशोधन बिल का उद्देश्य डिजिटलीकरण, बेहतर ऑडिट, पारदर्शिता और अवैध रूप से कब्जे की गई संपत्तियों को पुनः प्राप्त करने के लिए कानूनी उपायों को लागू करना है। इस बिल की समीक्षा के लिए सरकार ने एक संयुक्त संसदीय समिति का गठन किया है।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने परिसीमन और तीन-भाषा नीति विवाद पर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की हालिया टिप्पणियों पर तीखी आलोचना की है। उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए उन्हें करारा जवाब दिया है।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने परिसीमन और तीन-भाषा नीति विवाद पर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की हालिया टिप्पणियों पर तीखी आलोचना की है। उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए उन्हें करारा जवाब दिया है।

तमिलनाडु सीएम स्टालिन ने कहा, ‘तमिलनाडु की ‘दो भाषा नीति’ और ‘निष्पक्ष परिसीमन’ पर दृढ़ आवाज पूरे देश में गूंज रही है। इससे भाजपा स्पष्ट रूप से घबरा गई है। सीएम स्टालिन ने कहा, अब उनके नेताओं के इंटरव्यू देखें। सीएम योगी आदित्यनाथ हमें नफरत पर लेक्चर देना चाहते हैं? हमें बख्श दें।

CM स्टालिन ने दिया करारा जवाब

तीखी प्रतिक्रिया देते हुए स्टालिन ने सीएम योगी की भाषा विवाद और परिसीमन पर की गई टिप्पणियों को राजनीतिक ब्लैक कॉमेडी कहा।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने आगे कहा राज्य किसी विशेष भाषा का नहीं, बल्कि ‘भाषा थोपने’ और ‘अंधराष्ट्रवाद’ का विरोध कर रहा है, उन्होंने इस मुद्दे को ‘गरिमा और न्याय’ की लड़ाई से जोड़ दिया।

सीएम योगी ने क्या कहा था?

एएनआई को दिए गए साक्षात्कार में CM योगी ने कहा था कि स्टालिन क्षेत्र और भाषा के आधार पर विभाजन पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि उनका वोट बैंक खतरे में है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भाषा को लोगों को एकजुट करना चाहिए, न कि विभाजित करना चाहिए। उन्होंने बताया कि तमिल भारत की सबसे पुरानी भाषाओं में से एक है, जिसका इतिहास और विरासत समृद्ध है।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कोई भी भाषा विभाजित करने का काम नहीं करती, यह एकजुट करने का काम करती है। आदित्यनाथ ने एक व्यापक दृष्टिकोण की वकालत की, एकता और समावेशिता के महत्व पर जोर दिया।

‘हमारे राष्ट्रगान से मिलता है संदेश’

साथ ही आगे कहा, ‘मेरा मानना ​​है कि यह संदेश हमारे राष्ट्रगान से भी मिलता है। यह केवल संकीर्ण राजनीति है। जब इन लोगों को लगता है कि उनका वोट बैंक खतरे में है, तो वे क्षेत्र और भाषा के आधार पर विभाजन पैदा करने की कोशिश करते हैं। इस देश के लोगों को हमेशा ऐसी विभाजनकारी राजनीति से सावधान रहना चाहिए और देश की एकता के लिए दृढ़ रहना चाहिए।’

‘स्टालिन का राजनीतिक एजेंडा’

तीन भाषाओं के विवाद ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के क्रियान्वयन को लेकर केंद्र और तमिलनाडु सरकार के बीच गतिरोध पैदा कर दिया है। आदित्यनाथ ने परिसीमन को लेकर स्टालिन की चिंताओं को खारिज करते हुए इसे ‘राजनीतिक एजेंडा’ बताया।

सीएम योगी ने आगे कहा, ‘देखिए, गृह मंत्री ने इस मामले पर बहुत स्पष्ट रूप से कहा है। बैठक की आड़ में यह स्टालिन का राजनीतिक एजेंडा है। मेरा मानना ​​है कि गृह मंत्री के बयान के बाद इस मुद्दे पर कोई सवाल नहीं उठना चाहिए।’

 

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