चंदन की हत्या और हमारा समाज
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
राजधानी पटना के वरीय पुलिस अधिकारी द्वारा यह सूचना दी गई कि चंदन मिश्रा हत्याकांड का शूटर और हथियार उपलब्ध कराने वाले को वाराणसी से गिरफ्तार कर लिया गया है। परन्तु समाजशास्त्रियों के अनुसार अपराध समाज की एक मूल विशेषता है अपराध करने के लिए अपराधी समाज से ही पनपते हैं और उन्हें मुद्दे भी समाज से ही मिलते हैं वह कई प्रकार के उदाहरण से अपने को अनुभव ही बनाते हैं और अपराध करते चले जाते हैं एक दो अपराध करने के बाद अगर व्यक्ति बच निकला तो हमारे समाज में उसे की संज्ञा दी जाती है यानी उसका दूसरा जन्म हुआ है बिहार के समाज में आप यह देखेंगे की ऐसे अपराधियों को समाज बड़े प्रतिष्ठा की नजर से देखा है उसे अपना आईकॉन आइडियल मानता है।
अपराध समाज का अनिवार्य तत्व है। समाज इसके लिए वातावरण तैयार करता है। अपराधी उपयुक्त माहौल में अपने इसने कार्य को अंजाम देता है। ऐसे में अपराधों को रोकने के लिए स्थानीय से लेकर राष्ट्र स्तर तक कई प्रकार की एजेंसियां एवं संगठन कार्य करते हैं। लेकिन कभी-कभी ऐसे अपराध हो जाते हैं जो प्रशासन के लिए मुसीबत बन जाते है। ऐसे अपराध को अंजाम देने के लिए एक बड़ा व नियमित अभ्यास किया जाता है तब जाकर सफलता पाई जाती है।
बिहार पिछले लंबे समय से संवेदनशील रहा है, आगे भी यह रहेगा। बर्चस्व की लड़ाई एवं भू-माफिया, बालू माफिया, शराब माफिया के कारण तेजी से बदल रहे समाज एवं समुदाय में परिवर्तन शहर की दिशा और दिशा को बदल दिया है। एक समय ऐसा लग रहा था कि बिहार में सब कुछ ठीक हो गया है लेकिन राजनीति को सत्ता के समीकरण ने एक बार फिर प्रदेश में कानून व्यवस्था के ताने-बाने को प्रभावित करके रख दिया है क्योंकि हमारा समाज यह मान चुका है कि सभी प्रकार के तंत्र की जड़ राजनीति में है तो यह वोट बैंक तक आकर सिमट जाती है। वोट बैंक बिखराव, धुव्रीकरण, जाति व्यवस्था, भय व खौंफ से इस व्यवस्था की निर्मित होती है। इससे पलायन और ध्रुवीकरण की प्रवृत्ति जन्म लेती है जो बिहार में निरंतर जारी है।
बहरहाल प्रदेश की राजधानी पटना के अति सुरक्षित एवं संवेदनशील क्षेत्र में स्थित पारस अस्पताल में चंदन मिश्रा नाम की कुख्यात गैंगस्टर की हत्या कर दी गई। हत्या कर दी गई यह बड़ी बात नहीं थी परन्तु जिस प्रकार से हत्या की गई वह चिंताजनक है। अपराधियों के मन- मस्तिष्क पर किसी प्रकार का खौफ नहीं था, उन्होंने कानून व्यवस्था को धत्ता बताया और इस कार्य को बखूबी अंजाम दिया।
सबसे पहले बिहार इस वर्ष चुनाव में जा रहा है। दूसरा प्रधानमंत्री के चंपारण दौरे से दो दिन पूर्व इस तरह की घटना हुई। घटना जिस प्रकार से सीसीटीवी में कैद हुई और उसे करोड़ों लोगों ने देखा इससे उनके अंदर बिहार की वहीं छवि निरंतर बनी हुई है जो आज से 30 वर्ष पूर्व थी, यह चिंता का विषय है। सीसीटीवी देखकर लगता है कि इन पंचतत्व पर पुलिस तंत्र का कोई भय एवं खौंफ नहीं है। सबसे बढ़कर प्रदेश की राजधानी के पाॅस क्षेत्र में इस प्रकार की हत्या हो जाना बिहार की छवि को घृणित करता है।
एक व्यक्ति जो माननीय से सजा पाकर इलाज के लिए जेल से आता है उसकी सुरक्षा होनी चाहिए थी क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में सैकड़ो अदावतें की थी।
बहरहाल प्रत्येक प्रदेशवासी इस बारे में ठोस परिणीति का आज भी प्रतीक्षा कर रहे है। परन्तु सबसे बढ़कर बिहार में अपराध की संस्कृति को इस कांड ने आगे भी जीवन्त रखने का पूरा खाद-पानी दे दिया है। पुलिस प्रशासन के लिए यह एक केस स्टडी होगा, आम जनता के लिए यह खौंफ होगा और बिहार के लिए चिंताजनक स्थिति।