रामाधार सिंह टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज में “वैदिक शिक्षा के आलोक में शिक्षक शिक्षा को नया आकार देना” विषय पर राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित

रामाधार सिंह टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज में “वैदिक शिक्षा के आलोक में शिक्षक शिक्षा को नया आकार देना” विषय पर राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित

राष्ट्रीय सेमिनार में शिक्षा विशेषज्ञों ने शिक्षक-छात्र संबंधों, नैतिक मूल्यों व वैदिक परंपरा की महत्ता पर रखे विचार

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श्रीनारद मीडिया, के के सिंह सेंगर, एकमा (सारण)।

रामाधार सिंह टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज एकमा के डॉ. राजेंद्र प्रसाद सभागार में “वैदिक शिक्षा के आलोक में शिक्षक शिक्षा को नया आकार देना” विषय पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कॉलेज के सचिव इंजीनियर जयप्रकाश सिंह ने की। मंच संचालन प्रशिक्षु छात्राएं मानसी कुमारी व प्रियंका कुमारी एवं धन्यवाद ज्ञापन कॉलेज के प्राचार्य डॉ सत्प्रकाश दास ने किया।
स्वागत गीत छात्राएं सोनम, निशा, रश्मि रेखा व कुल गीत आर्या, सुजाता, रश्मि व गुंजा ने प्रस्तुत किया।

सेमिनार में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित जयप्रकाश विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक डॉ अशोक कुमार मिश्रा ने कहा कि वर्तमान समय में शिक्षक व छात्र के संबंधों में गिरावट आ रही है। ऐसे में शिक्षकों में त्याग, अनुशासन व चरित्र का होना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने प्रशिक्षुओं को संबोधित करते हुए कहा कि प्रशिक्षण अवधि में कम से कम 75% उपस्थिति अनिवार्य है। यदि उपस्थिति इससे कम होती है, तो विश्वविद्यालय द्वारा उनका परीक्षा फॉर्म स्वीकार नहीं किया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन समय पर परीक्षा आयोजित कराने व परिणाम प्रकाशन के लिए लगातार प्रयासरत है, लेकिन इसके लिए छात्रों की नियमित उपस्थिति भी आवश्यक है।

मुख्य वक्ता डॉ. मोहिनी कुमारी, व्याख्याता, इतिहास विभाग, सबौर कॉलेज, भागलपुर ने कहा कि आधुनिक शिक्षा में नैतिक, सामाजिक व बौद्धिक क्षरण हो रहा है, जिसे वैदिक शिक्षा के माध्यम से सुधारा जा सकता है।


बीएचयू वाराणसी के शिक्षा शास्त्र के व्याख्याता डॉ. आकाश रंजन ने कहा कि वैदिक शिक्षा ही हमारी प्राचीन और आधुनिक शिक्षा प्रणाली का सेतु है। इसके माध्यम से भारत फिर से विश्व गुरु बन सकता है।
आरजीएम कॉलेज, सहरसा के गणित विभाग के व्याख्याता डॉ. मृगेंद्र कुमार ने कहा कि आधुनिक शिक्षा में नैतिकता की कमी स्पष्ट है। वैदिक शिक्षा के समावेश से नैतिक, बौद्धिक व सामाजिक विकास संभव है। उन्होंने चरित्र निर्माण को शिक्षा का मूल आधार बताया।

 

कॉलेज के सचिव इंजीनियर जयप्रकाश सिंह ने स्वागत भाषण देते हुए सभी अतिथियों के प्रति आभार जताया और उनके अमूल्य समय के लिए धन्यवाद दिया। इस अवसर पर ई सिंह ने परीक्षा नियंत्रक डॉ अशोक कुमार मिश्रा को अंगवस्त्र व प्रतीक चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया गया। इस दौरान अन्य सभी अतिथियों को भी सम्मानित किया गया।

सेमिनार को डॉ. मोहिनी कुमारी, डॉ. आकाश रंजन, डॉ. मृगेंद्र कुमार, डॉ. शशिरंजन, डायट पिरौटा के व्याख्याता डॉ. राजीव रंजन सिंह, डॉ. श्रवण कुमार, रंजीत कुमार, अभय कुमार सिंह आदि ने संबोधित किया।

इस कार्यक्रम में उमाशंकर सिंह, अनूप कुमार, कंचन कुमारी, हरिशंकर सिंह, अजीत कुमार, सुजीत कुमार, अमरेश कुमार, नागेंद्र सिंह, शिक्षक कमल कुमार सिंह, संतोष सिंह, मनोज पांडेय समेत कॉलेज के प्रशिक्षु छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का समापन राष्ट्र गान के साथ हुआ।

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