एनईपी 2020 बहुविषयक शिक्षा को बढ़ावा देता हैः प्रो. कैलाश चन्द्र शर्मा

एनईपी 2020 बहुविषयक शिक्षा को बढ़ावा देता हैः प्रो. कैलाश चन्द्र शर्मा

उच्च शिक्षा का पारंपरिक मॉडल बदलने लगा हैः राजीव कुमार
केयू ने एनईपी-2020 को अपने सभी प्रावधानों के साथ लागू कियाः प्रो. सोमनाथ सचदेवा
कुवि में एक दिवसीय संवेदीकरण कार्यशाला आयोजित

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श्रीनारद मीडिया वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक हरियाणा

हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद द्वारा कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के सहयोग से सीनेट हॉल में उच्च शिक्षा संस्थानों में कौशल आधारित पाठ्यक्रमों और माइक्रो-क्रेडेंशियल्स पर एक दिवसीय संवेदीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का शुभारंभ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।

कार्यशाला में हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो. कैलाश चन्द्र शर्मा ने कहा कि एनईपी 2020 बहुविषयक शिक्षा को बढ़ावा देता है, जिसमें प्रवेश और निकास के कई विकल्प दिए जाते हैं, जिससे शिक्षार्थियों को अपनी शैक्षणिक यात्रा में अधिक लचीलापन मिलता है। इसे अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट (एबीसी) के माध्यम से सुगम बनाया जाता है, जो शैक्षणिक उपलब्धियों के निर्बाध हस्तांतरण और मान्यता को सक्षम बनाता है, व्यक्तिगत और लचीले शिक्षण मार्गों को बढ़ावा देता है। यह नीति उद्योगों के साथ सहयोग पर भी जोर देती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि छात्र रोजगार बाजार की बदलती मांगों के अनुरूप रोजगार योग्य कौशल विकसित करें।

प्रो. कैलाश चन्द्र शर्मा ने कहा कि माइक्रो- क्रेडेंशियल कोर्स उच्च शिक्षा में सीखने को बढ़ाने के लिए एक लचीले और लक्षित तरीके के रूप में उभर रहे हैं। वे छात्रों को कम समय में विशिष्ट कौशल और दक्षता हासिल करने में सहायक हैं, जिससे शिक्षा अधिक सुलभ और उद्योग-प्रासंगिक हो जाती है। ये प्रमाण-पत्र पारंपरिक डिग्री के पूरक हैं और उभरते हुए नौकरी बाजार में निरंतर सीखने में सक्षम बनाते हैं।

एआईसीटीई के सदस्य सचिव प्रो. राजीव कुमार ने कहा कि उच्च शिक्षा का पारंपरिक मॉडल – जिसमें कई वर्षों तक चलने वाली लंबी और महंगी डिग्री शामिल थी – बदलने लगा, तथा इसकी जगह छोटे, उद्योग-केंद्रित कार्यक्रमों ने ले ली। माइक्रो-क्रेडेंशियल तथा स्किल बेस्ड कोर्स इस आवश्यकता का समाधान प्रदान करते हैं। इन कोर्सो को कम अवधि में हासिल किया जा सकता है।

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय सबसे पुराना विश्वविद्यालय है। अपनी प्रतिष्ठा के अनुरूप कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय को नैक द्वारा उच्चतम ग्रेड ए-प्लस-प्लस प्राप्त हुआ है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को इसके सभी प्रावधानों के साथ विश्वविद्यालय तथा संबंधित कॉलेजों में देश में सर्वप्रथम लागू किया गया है।

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में स्किल एनहांसमेंट कोर्स, वोकेशनल कोर्स, प्रोजेक्ट बेस्ड कोर्स, शार्ट टर्म कोर्स व अन्य रोजगारपरक कोर्स चलाए जा रहे है जिनमें इंटर्नशिप का प्रावधान है। शोध, खेल, सांस्कृतिक व अन्य गतिविधियों में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ने बेहतर प्रदर्शन किया है।

आईआईएम नागपुर के निदेशक प्रो. भीमार्या मैत्री ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उद्देश्य चरित्र निर्माण, रोजगारपरक शिक्षा तथा एसडीजी के 17 लक्ष्यों को प्राप्त करना है। एनईपी-2020 व्यावसायिक शिक्षा और कौशल-आधारित शिक्षा पर जोर देती है। एनईपी-2020 अल्पकालिक, लचीले और मॉड्यूलर शिक्षण कार्यक्रमों (माइक्रो क्रेडेंशियल्स) को प्रोत्साहित करता है।

पहले सत्र में रमेश वेंकट, उपाध्यक्ष, टीएन कौशल विकास निगम ने उच्च शिक्षा में कौशल- आधारित पाठ्यक्रम पर अपनी प्रस्तुति दी। दूसरे सत्र में सुनील कुमार, सहायक निदेशक, बीओएटी (उत्तरी क्षेत्र) ने एनईपी 2020 में परिकल्पित राष्ट्रीय प्रशिक्षुता प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षुता एम्बेडेड डिग्री कार्यक्रम पर अपनी प्रस्तुति दी। इस सत्र की अध्यक्षता कुवि के दूरस्थ एवं ऑनलाइन शिक्षा केंद्र की निदेशक प्रो. मंजुला चौधरी ने की तथा किशनवीर सिंह शाक्य, पूर्व सदस्य, यूपीपीएससी मोडरेटर थे। तीसरे सत्र में अनुज गंगोला, नैसकॉम द्वारा अपने करियर को भविष्योन्मुख बनानाः आजीवन सीखना विषय पर प्रस्तुति दी गई। इस सत्र के अध्यक्ष एवं संचालक प्रो. पवन कुमार शर्मा, डीन (अनुसंधान) एवं निदेशक आईक्यूएसी, सीयूएच, महेंद्रगढ़ रहे।

चौथा सत्र उच्च शिक्षा में पूर्व शिक्षा की मान्यता विषय पर हुआ जिसमें डॉ. राज नेहरू, ओएसडी/ मुख्यमंत्री, हरियाणा सरकार और पूर्व कुलपति, एसवीएसयू,पलवल द्वारा प्रस्तुति दी गई। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क सभी प्रकार की शिक्षा- शैक्षणिक, व्यावसायिक और अनुभवात्मक- के क्रेडिटीकरण की सुविधा प्रदान करके पूर्व शिक्षा की मान्यता (आरपीएल) का समर्थन करता है।

आरपीएल वास्तविक दुनिया के अनुभव और औपचारिक शिक्षा के बीच की खाई को पाटने और करियर की संभावनाओं को बढ़ाने में मदद करता है। इस सत्र के अध्यक्ष प्रो. सुशील कुमार तोमर, कुलपति, जेसीबीयूएसटी, फरीदाबाद व मॉडरेटर प्रो. मंजुला चौधरी, निदेशक, दूरस्थ एवं ऑनलाइन शिक्षा केंद्र रहे। अंत में धन्यवाद प्रस्ताव हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद के एडवाइजर के.के अग्निहोत्री ने किया। मंच का संचालन डॉ. संगीता सैनी ने किया।

इस अवसर पर हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद के उपाध्यक्ष प्रो. एसके गक्खड़, प्रो. आर. एस. राठौर, डीन एकेडमिक अफेयर्स प्रो. दिनेश कुमार, प्रो. सुनील ढींगरा, सहित विभिन्न विश्वविद्यालय के डीन, एनईपी के नोडल आफिसर मौजूद थे।

शिक्षा केवल डिग्री प्राप्त करने तक सीमित नहीं होनी चाहिएः महीपाल ढांडा।

कार्यशाला के लिए हरियाणा के शिक्षा मंत्री महीपाल ढांडा ने बधाई संदेश प्रेषित किया उन्होंने कहा कि शिक्षा केवल डिग्री प्राप्त करने तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि युवाओं को जीवन में वास्तविक चुनौतियों के लिए तैयार करने का माध्यम होनी चाहिए। ज्ञान के साथ-साथ व्यावहारिक कौशल भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। आज के प्रतिस्पर्धात्मक दौर में ज्ञान के साथ-साथ व्यवहारिक कौशल भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार द्वारा शैक्षणिक संस्थानों और उद्योगों के बीच सांझेदारी को बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि विद्यार्थियों को प्रशिक्षण और इंटर्नशिप के अवसर मिले।

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