लोकतंत्र का मंदिर है नया संसद भवन: पीएम मोदी

लोकतंत्र का मंदिर है नया संसद भवन: पीएम मोदी

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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नए संसद भवन में दिखाई देती है विदिशा के विजय मंदिर की झलक

नए संसद भवन की डिजाइन मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में स्थित विजय मंदिर से मिलती है। यह मंदिर 11वीं शताब्दी का बताया जा रहा है। कहा जाता है कि 1682 में औरंगजेब ने मंदिर को तोप से ध्वस्त कर मस्जिद बनवा दी थी। तीन सौ से अधिक साल तक यहां मस्जिद रही। वहीं, जब 1992 में बाढ़ से मस्जिद का एक हिस्सा ढहा तो भारतीय पुरातत्व विभाग ने इसे संरक्षण में लेते हुए यहां खुदाई की। खुदाई के दौरान मस्जिद के नीचे मंदिर का आधा हिस्सा बाहर दिखाई देने लगा। करीब पांच साल पहले किसी ने ड्रोन कैमरे से मंदिर के ऊपरी हिस्से की तस्वीर खींची तो विजय मंदिर की भव्यता दिखाई दी।

  • नया भवन विकसित भारत के संकल्पों की सिद्धि होते हुए देखेगा : नया संसद भवन योजना को यथार्थ से, नीति को निर्माण से, संकल्प को सिद्धि से जोड़ने वाली अहम कड़ी साबित होगा। नया भवन स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों को साकार करने का आधार बनेगा। नया भवन आत्मनिर्भर भारत के नए सूर्य का साक्षी बनेगा। नया भवन नूतन और पुरातन के सह अस्तित्व का भी आदर्श है।
  • विश्व भारत को आदर और उम्मीद के भाव से देख रहा है : नए रास्तों पर चलकर ही नए प्रतिमान गढ़े जाते हैं। आज नया भारत नए लक्ष्य तय कर रहा है। नए रास्ते गढ़ रहा है, नया जोश और नई उमंग है, नया सफर है और नई सोच है। दिशा नई है, दृष्टि नई है, संकल्प नया है और विश्वास नया है। आज फिर एक बार पूरा विश्व भारत, उसके संकल्प की दृढ़ता और भारतीय जनशक्ति की जिजीविषा को आदर और उम्मीद के भाव से देख रहा है।
  • सेंगोल कर्तव्य-सेवा और राष्ट्र पथ का प्रतीक, हमने इसकी गरिमा लौटाई : जब भारत आगे बढ़ता है तो विश्व आगे बढ़ता है। संसद का ये नया भवन भारत के विकास से विश्व के विकास का आह्वान करेगा। संसद में पवित्र सेंगोल भी स्थापित हुआ, जो महान चोल साम्राज्य में कर्तव्य पथ का, सेवा पथ का, राष्ट्र पथ का प्रतीक माना जाता था। राजाजी और अधीनम के संतों के मार्ग दर्शन में सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक बना था। तमिलनाडु अधीनम के संत संसद में आशीर्वाद देने आए थे, उन्हें दोबारा श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं। पिछले दिनों मीडिया में इसके इतिहास से जुड़ी बहुत सारी जानकारी उजागर हुई है। मैं उसके विस्तार में नहीं जाना चाहता।
  • भारत लोकतांत्रिक राष्ट्र ही नहीं, मदर ऑफ डेमोक्रेसी भी : भारत लोकतांत्रिक राष्ट्र ही नहीं, मदर ऑफ डेमोक्रेसी भी है। वैश्विक लोकतंत्र का बड़ा आधार है। लोकतंत्र हमारे लिए व्यवस्था ही नहीं, संस्कार, विचार और परंपरा है। हमारे वेद हमें सभाओं और समितियों के लोकतांत्रिक आदर्श सिखाते हैं। महाभारत में गणों और गणतंत्रों का उल्लेख मिलता है। हमने वैशाली के गणतंत्र को जीकर दिखाया है। तमिलनाडु में मिला 900 ईस्वी का शिलालेख सभी को हैरान कर देता है। लोकतंत्र ही प्रेरणा है और संविधान ही संकल्प है। इस प्रेरणा और संकल्प की सबसे श्रेष्ठ प्रतिनिधि ही संसद है।
  • अमृत काल विरासत को सहेजते हुए विकास के नए आयाम गढ़ने का काल : संसद जिसका प्रतिनिधित्व करती है, उसका उद्घोष करती है। जो रुक जाता है, उसका भाग्य भी रुक जाता है। जो चलता रहता है, उसका भाग्य आगे बढ़ता है और बुलंदियों को छूता है। इसलिए चलते रहो-चलते रहो। गुलामी के बाद हमारे भारत ने बहुत कुछ खोकर अपनी नई यात्रा शुरू की थी। वो यात्रा कितने ही उतार-चढ़ावों से होते हुए, कितनी चुनौतियों को पार करते हुए आजादी के अमृतकाल में प्रवेश कर चुकी है। यह अमृत काल देश को नई दिशा देने का काल है। अनंत सपनों और आकांक्षाओं का अमृतकाल है।
  • नए भवन में विरासत-वास्तु, कला-कौशल, संस्कृति और संविधान के स्वर: भारत समृद्ध राष्ट्रों में गिना जाता था। भारत का वास्तु, विशेषज्ञता का उद्घोष किया जाता था। चोल के भव्य मंदिरों से लेकर जलाशयों और बांधों तक भारत का कौशल विश्व से आने वाले यात्रियों को हैरान कर देता था। लेकिन सैकड़ों साल की गुलामी ने हमसे हमारा ये गौरव छीन लिया। एक ऐसा भी समय आ गया, जब हम दूसरे देशों में हुए निर्माण को देखकर मुग्ध होने लग गए। 21वीं सदी का नया भारत बुलंद हौसले से भरा हुआ भारत। अब गुलामी की उस सोच को पीछे छोड़ रहा है। आज भारत प्राचीन कला की उस गौरवशाली धारा को मोड़ रहा है। संसद की नई इमारत इस प्रयास का जीवंत प्रतीक बनी। इस भवन में विरासत भी है और वास्तु भी है। कला भी है और कौशल भी है। संस्कृति भी है और संविधान के स्वर भी हैं।
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