राष्ट्र निर्माण की नई रणनीति, नए संकल्प पर काम होगा-सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले

राष्ट्र निर्माण की नई रणनीति, नए संकल्प पर काम होगा-सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले

विजयादशमी के दिन संघ की स्थापना के 100 वर्ष पूरे हो रहे हैं

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा बैठक के अंतिम दिन मीडिया से बातचीत के दौरान सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी ने स्वतंत्रता सेनानियों भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को श्रद्धांजलि अर्पित की।उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में उनके योगदान को किया और समाज से उनके बलिदान से प्रेरणा लेने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि देश की आज़ादी के लिए दिए गए उनके बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता और हर नागरिक को उनके संघर्ष से सीख लेनी चाहिए।

महारानी अब्बक्का को किया याद

होसबोले ने अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में रानी अब्बक्का को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि यह भारत की महान महिला स्वतंत्रता सेनानी थीं, जिन्होंने दक्षिण कन्नड़ (कर्नाटक) के छोटे से राज्य उल्लाल की बहादुरी से रक्षा की और विदेशी ताकतों को चुनौती दी। भारत सरकार ने 2003 में उनके सम्मान में डाक टिकट जारी किया और 2009 में एक गश्ती पोत का नाम उनके नाम पर रखा। उन्होंने राष्ट्र निर्माण के लिए उनके साहस और नेतृत्व से प्रेरणा लेने की अपील की।

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संघ के 100 वर्षों का सफर और आगे की योजनाएं

दत्तात्रेय होसबोले ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि इस वर्ष विजयादशमी के दिन संघ 100 वर्ष पूरे कर रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि संघ इस उपलब्धि को केवल जश्न के रूप में नहीं देखता, बल्कि इसे आत्मचिंतन और पुनःसमर्पण का अवसर मानता है। संघ तीन प्रमुख बातों पर केंद्रित रहेगा

1. आत्मविश्लेषण और सुधार

2. समाज के समर्थन को स्वीकार करना

3. राष्ट्र सेवा के लिए स्वयं को पुनः समर्पित करना

संघ के शताब्दी वर्ष में होंगी विशेष गतिविधियां

संघ ने अपनी शताब्दी के अवसर पर कई महत्वपूर्ण कार्यक्रमों की योजना बनाई है:

विजयादशमी 2025 से होगी शुरुआत

विजयादशमी 2025 को संघ के गणवेश में स्वयंसेवकों के नगर और खंड स्तर पर कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जहां सरसंघचालक स्वयंसेवकों को संबोधित करेंगे।

घर-घर संपर्क अभियान

नवंबर 2025 से जनवरी 2026 तक तीन सप्ताह तक संघ का साहित्य वितरित किया जाएगा और “हर गांव, हर बस्ती-घर-घर” अभियान के तहत व्यापक जनसंपर्क किया जाएगा।

हिंदू सम्मेलन और सामाजिक सद्भाव बैठकें

हर मंडल या बस्ती में हिंदू सम्मेलन आयोजित होंगे, जिनमें समाज में एकता और समरसता का संदेश दिया जाएगा। इसके अलावा, शहर स्तर पर सामाजिक सद्भावना बैठकों का आयोजन किया जाएगा, जहां भारतीय संस्कृति की जड़ों को मजबूत बनाए रखने और आधुनिक जीवन के संतुलन पर चर्चा होगी।

राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका

संघ युवाओं को विशेष रूप से जोड़ने के लिए 15-30 वर्ष के आयु वर्ग के लिए कार्यक्रम तैयार करेगा। इन कार्यक्रमों का फोकस राष्ट्र निर्माण, सेवा कार्य और समाज में सकारात्मक बदलाव पर होगा।

राष्ट्रीय मुद्दों पर संघ का दृष्टिकोण

वक्फ कानून को निरस्त करने की हिंदू संगठनों की मांग पर दत्तात्रेय होसबोले जी ने कहा कि वक्फ द्वारा जमीन के अतिक्रमण से कई किसान प्रभावित हैं। सरकार इस समस्या के समाधान पर काम कर रही है और इसमें जो भी त्रुटियां हैं, उन्हें दूर किया जाना चाहिए।

औरंगज़ेब पर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि राष्ट्र और समाज की बेहतरी के लिए जो लोग प्रेरणास्रोत हैं, उन्हें ही आदर्श माना जाना चाहिए, न कि वे जो असहिष्णुता के प्रतीक रहे हैं। उन्होंने मानसिक उपनिवेशवाद के खतरे को रेखांकित करते हुए कहा कि 1947 में राजनीतिक आज़ादी मिली, लेकिन मानसिक उपनिवेशवाद अब भी एक वास्तविकता है, जिसे खत्म करना ज़रूरी है।

मणिपुर की स्थिति और हिंदू समाज का नवजागरण

मणिपुर की स्थिति पर होसबोले जी ने कहा कि सरकार अपने आकलन के आधार पर कदम उठा रही है और संघ का मत यही है कि हर संभव प्रयास किए जाएं ताकि वहां स्थिति सामान्य हो सके और लोग शांति से रह सकें।

संघ के पिछले 100 वर्षों के एजेंडे पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि संघ का मुख्य उद्देश्य हिंदू समाज का नवजागरण रहा है। उन्होंने माना कि अस्पृश्यता जैसी सामाजिक बुराइयों के कारण यह कार्य चुनौतीपूर्ण रहा, लेकिन संघ की शाखाएं और गतिविधियां इसे दूर करने के लिए लगातार काम कर रही हैं।

संघ का लक्ष्य-एक संगठित और सशक्त राष्ट्र

दत्तात्रेय होसबोले जी ने अपने संबोधन के अंत में कहा कि संघ केवल संगठन नहीं, बल्कि एक विचारधारा है जो समाज को जोड़ने और सशक्त बनाने के लिए काम कर रही है। उन्होंने कहा कि शताब्दी वर्ष में संघ अपनी गतिविधियों को और व्यापक बनाने का संकल्प लेता है ताकि राष्ट्र के पुनर्निर्माण में हर नागरिक की भूमिका सुनिश्चित हो।

 

 

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