यमन में निमिषा प्रिया को मिलेगी बड़ी राहत- विदेश मंत्रालय

यमन में निमिषा प्रिया को मिलेगी बड़ी राहत- विदेश मंत्रालय

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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विदेश मंत्रालय (एमईए) ने कहा कि वह यमन में स्थानीय अधिकारियों के साथ लगातार संपर्क में है और सना में मौत की सज़ा का सामना कर रही भारतीय नर्स निमिषा प्रिया के मामले में हर संभव सहायता प्रदान कर रहा है। यह बयान भारत के निरंतर कूटनीतिक प्रयासों के बाद यमनी अधिकारियों द्वारा उसकी फांसी स्थगित करने के एक दिन बाद आया है। प्रेस वार्ता में विदेश मंत्रालय ने पुष्टि की कि भारत सरकार मामले को सुलझाने के लिए स्थानीय अधिकारियों के साथ लगातार संपर्क में है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि यह एक संवेदनशील मामला है और भारत सरकार हर संभव सहायता प्रदान कर रही है।

केरल के पलक्कड़ जिले के कोल्लेंगोडे की मूल निवासी प्रिया को 2017 में एक यमनी नागरिक की हत्या का दोषी ठहराया गया था और उसे बुधवार, 16 जुलाई को फांसी दी जानी थी। हालाँकि, पीड़ित परिवार के साथ संभावित समझौते के लिए और समय सुनिश्चित करने के भारत के नए प्रयासों के बाद, यमनी अधिकारियों ने उसकी फांसी टाल दी।

विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसने प्रिया के परिवार की सहायता के लिए एक वकील नियुक्त किया है, नियमित कांसुलर पहुँच की व्यवस्था की है, और पीड़ित परिवार के साथ परस्पर सहमत समाधान तक पहुँचने के लिए और समय सुनिश्चित करने के लिए काम किया है। इन प्रयासों के बाद, जिसमें यमन में भारत की राजनयिक उपस्थिति न होने के बावजूद मित्र देशों की सरकारों से बातचीत भी शामिल थी।

प्रिया की माँ प्रेमकुमारी अपनी बेटी की रिहाई के लिए पहले भी यमन जा चुकी थीं। सूत्रों के अनुसार, भारतीय अधिकारियों ने उसकी रिहाई के लिए “दियात” या ‘ब्लड मनी’ देने की संभावना भी तलाशी थी, हालाँकि इस प्रक्रिया में कुछ जटिलताएँ भी आईं।

निमिषा प्रिया ने हत्या क्यों और कैसे की?

निमिषा प्रिया, केरल के पलक्कड़ की रहने वाली एक प्रशिक्षित नर्स हैं, जो 2008 में काम के लिए यमन गई। सना के एक सरकारी अस्पताल में नौकरी मिली और 2011 में शादी के लिए भारत लौटकर टॉमी थॉमस से विवाह किया। बेटी के जन्म के बाद पति भारत लौट आए, जबकि निमिषा ने यमन में निजी क्लीनिक खोलने का फैसला किया।

नियमों के तहत उन्हें एक स्थानीय साझेदार की जरूरत थी, जिसके लिए उनकी मुलाकात महदी से हुई। इस दौरान यमन गृहयुद्ध की चपेट में था, लेकिन निमिषा ने भारत वापस न आकर वहीं रहने का निर्णय लिया। परिजनों के मुताबिक, महदी ने निमिषा की तस्वीरों से छेड़छाड़ कर उसे पत्नी बताया और पासपोर्ट जब्त कर उसे प्रताड़ित करने लगा।

महदी ने क्लिनिक हथियाने की कोशिश की। इस कारण निमिषा ने उसे बेहोश करने के लिए अत्यधिक मात्रा में नशीला पदार्थ दे दिया, लेकिन उसकी मौत हो गई। आरोप लगा कि निमिषा ने बेहोशी का इंजेक्शन देकर उसकी हत्या कर दी। निमिषा ने उसके टुकड़े करके पानी की टंकी में फेंक दिए। अब वह यमन की जेल में मौत की सजा का सामना कर रही है। निमिषा प्रिया सना की जिस जेल में हैं, वह इलाका हूती विद्रोहियों के नियंत्रण में है।

ब्लड मनी क्या है, फांसी कैसे रुकेगी?

निमिषा के परिवार ने बतौर ब्लड मनी 8.5 करोड़ रुपए (1) मिलियन डॉलर) देने की पेशकश की है। यमन के शरिया कानून के मुताबिक अगर पीड़ित परिवार ब्लड मनी पर राजी हो जाता है तो निमिषा प्रिया को जेल से रिहा कर दिया जाएगा। निमिषा को बचाने में दिक्कत ये हो रही है कि यमन में छूती विद्रोही एक्टिव हैं। इनकी वजह से ही यमन की राजधानी में भारत का कोई दूतावास नहीं है। 14 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल कह भी चुके हैं कि हुती विद्रोहियों ने इसे अपने सम्मान से जोड़ लिया है।

 

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