नीतीश कुमार 20 साल में 6 बार भाजपा और 2 बार राजद के साथ मिलकर बनाई सरकार,क्यों?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

बिहार की राजनीति में सत्ता परिवर्तन, जोड़तोड़ और गठबंधन का टूटना और नया आकार लेना परिपाटी बन गई है। प्रदेश की जनता चाहे जिसे वोट दे दे, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही बनते हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सत्ता पलटने के अपने इस क्रम को एक बार फिर दोहरा दिया है।

प्रदेश में एक दिन पहले तक जदयू और राजद के महागठबंधन वाली सरकार थी। परंतु, अब जदयू और भाजपा के गठबंधन वाली सरकार है। नीतीश कुमार नई सरकार के मुखिया के तौर पर शपथ भी ले चुके हैं। ऐसे में अब यह जानना रोचक है कि नीतीश ने कब किस दल के साथ गठबंधन में सरकार बनाई और मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है।

कब-कब नीतीश कुमार ने पलटी बाजी

  • पहली बार नीतीश 3 मार्च 2000 को शपथ लेकर मुख्यमंत्री बने। उस वक्त नीतीश समता पार्टी में थे। यह सरकार महज सात दिन ही चली। इस दौरान भाजाप का समर्थन उन्हें हासिल हुआ था।
  • इसके बाद 24 नवंबर 2005 में नीतीश कुमार ने भाजपा-जदयू के गठबंधन में राजग (एनडीए) की सरकार बनाई। नीतीश ही मुख्यमंत्री बने।
  • नीतीश कुमार ने इसके बाद 26 नवंबर 2010 को एक बार फिर मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उनकी यह सरकार भी भाजपा-जदयू के गठजोड़ वाली थी। राजग के साथ यह उनकी तीसरी पारी थी।
  • हालांकि, इसके बाद 22 फरवरी 2015 में नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी जदयू की सरकार का गठन किया और मुख्यमंत्री बने।

10 महीने बाद फिर बने मुख्यमंत्री

  • इसके 10 महीने बाद 20 नवंबर 2015 में नीतीश कुमार फिर मुख्यमंत्री बने। परंतु, इस बार जदयू अकेली नहीं थी। यहां लालू यादव की पार्टी राजद के साथ उन्होंने महागठबंधन की सरकार बनाकर सीएम पद की शपथ ली थी। यह पहली बार था, जब जदयू और राजद सत्ता में साथ आई थीं।
  • नीतीश कुमार यहीं नहीं रुके, उनका काफिला बदस्तूर आगे बढ़ता गया। उन्होंने 26 जुलाई 2017 को एक बार फिर राजद को छोड़कर राजग के साथ सरकार बनाई। सत्ता में जदयू-भाजपा शामिल रहीं। राजग की यह सरकार ढाई साल चली थी।
  • इसके बाद 16 नवंबर 2020 को विधानसभा चुनावों के बाद नीतीश कुमार ने फिर से जदयू-भाजपा (एनडीए) की सरकार बनाई और मुख्यमंत्री बने।

महागठबंधन से अलग कर लीं अपनी राहें

  • हालांकि, इसके दो साल बाद जदयू-भाजपा के रिश्तों में खटास आ गई। नीतीश ने 10 अगस्त 2022 को फिर से लालू यादव की पार्टी का दामन थाम लिया। उन्होंने जदयू-राजद को गठजोड़ से महागठबंधन की सरकार बना ली और मुख्यमंत्री बन गए।
  • बिहार में 2022 के बाद महागठबंधन की सरकार करीब दो साल चली। नीतीश कुमार ने एक बार फिर बाजी पलटते हुए 28 जनवरी 2024 को जदयू-भाजपा (एनडीए) की नई सरकार बना ली है। इस तरह नीतीश कुमार ने बीते रोज नौंवी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ग्रहण की है।

सारण जिला राष्ट्रीय जनता दल ने भाजपा की अगुवाई में बनी बिहार की डबल इंजन सरकार के मुखिया नीतीश कुमार से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की मांग की है। जिला राजद प्रवक्ता हरे लाल यादव ने बयान जारी कर कहा कि अब तो सीएम नीतीश कुमार डबल इंजन सरकार के ड्राइविंग सीट पर बैठ गए हैं उन्हें आगामी लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कह कर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिला देना चाहिए।

नीतीश कुमार विकास में सबसे बड़ा रोड़ा’

राजद प्रवक्ता ने बिहार के विकास में नीतीश कुमार को सबसे बड़ा रोड़ा बताते हुए कहा कि विगत 17 वर्षो से भाजपा के सहयोग से मुख्यमंत्री के रूप में कार्यरत रहे। उन्होने न बिहार से बेरोजगारी दूर की और ना ही मजदूरों का पलायन रोकने का उपाय किया। वे मुख्य्मंत्री बन 13 करोड़ बिहारियों को सिर्फ मूर्ख बनाते रहे और अपनी राजनीतिक रोटी सेंकते रहे।

‘नीतीश कुमार को नागवार लगने लगा’

यादव ने जोर देकर कहा की पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के दृढ़ संकल्प एवं मजबूत इच्छा शक्ति बदौलत ही बिहार में जातिगत गणना कराकर लाखों युवक एवं युवतियों को शिक्षक व अन्य विभागों में सरकारी नौकरी दिलाना भाजपा और नीतीश कुमार को नागवार लगने लगा।

उन्होंने कहा कि बौखलाहट में आकर नीतीश कुमार द्वारा महागठबंधन सरकार को गिराने का काम किया गया। जिससे बिहार के युवाओं में काफी आक्रोश फैल गया है, जिसका खामियाजा उन्हें आगामी चुनावों में भुगतना पड़ेगा।

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