
आखिर FATF है क्या?
दरअसल, एफएटीएफ एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है, जो मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग पर लगाम लगाने के लिए गाइडलाइन बनाती है। एफएटीएफ का उद्देश्य है कि वित्तीय अपराधों को बढ़ावा देने वाले देशों पर नकेल कसा जाए।आसान भाषा में समझें तो जो देश आतंकी गतिविधि में शामिल लोगों या संस्थाओं को आर्थिक मदद करता है। उन देशों पर कार्रवाई की जाए। इसकी स्थापना 1989 में हुई थी। पेरिस में संस्था का हेडक्वार्टर है। FATF में 40 सदस्य देश शामिल हैं। भारत भी FATF का हिस्सा है।
सदस्य देश मिलकर अंतरराष्ट्रीय मानक निर्धारित करते हैं, जिसमें अगर कोई देश नशीली दवाओं की तस्करी, अवैध हथियारों के व्यापार, साइबर धोखाधड़ी या अन्य गंभीर अपराध जैसी गतिविधियों में शामिल है तो उस पर कार्रवाई की जाती है।
ये संगठन लगातार निगरानी करता है कि अपराधी और आतंकवादी किस तरह से धन जुटाते हैं, उसका इस्तेमाल करते हैं, उसे इधर-उधर ले जाते हैं। गौरतलब है कि दुनियाभर में जितने भी अंतरराष्ट्रीय बैंक या मौद्रिक संस्थान है, वो FATF की बात मानते हैं।
IMF ने किया है पाकिस्तान को 7 अबर डॉलर देने का समझौता
बता दें कि पाकिस्तान FATF का सदस्य नहीं है। 200 से ज्यादा देशों ने FATF की सिफारिशों को मानने का वादा किया है। गौरतलब है कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद 23 FATF देशों ने संवेदना प्रकट की है।
IMF ने जुलाई 2024 में पाकिस्तान को 7 अरब डॉलर की मदद का समझौता किया है। यह मदद 37 महीनों में दी जाएगी। IMF 6 बार पाकिस्तान के हालात की समीक्षा करेगा। अगली किश्त लगभग 1 डॉलर की है, जो समीक्षा के बाद उसे मिलेगा। भारत का कहना है कि पाकिस्तान इन पैसों का इस्तेमाल आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए कर रहा है।
पाकिस्तान को FATF की ग्रे लिस्ट में लाने के लिए जल्द ही नामांकन प्रक्रिया शुरू करेगा। FATF का सत्र साल में तीन बार, फरवरी, जून और अक्टूबर में होता है। लिहाजा पाकिस्तान के खिलाफ भारत सबूत इकट्ठा कर रहा है।
बता दें कि कंगाल पाकिस्तान लगातार वर्ल्ड बैंक और IMF से लोन की मांग करता रहा है। अगर पड़ोसी मुल्क को FATF की ग्रे लिस्ट में शामिल किया जाता है तो IMF या वर्ल्ड बैंक उसे लोन देने में हिचकिचाएगी। एशियाई विकास बैंक और यूरोपीय संघ जैसे संस्थानों से भी उसे पैसे मिलने में मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। कर्ज में डूबे पाकिस्तान को अगर ग्रे लिस्ट में डाला गया तो उस देश की अर्थव्यवस्था पर तरह चरमरा जाएगी।
वहीं, पाकिस्तान में विदेशी निवेश पर भी ब्रेक लग जाएगा। कोई भी विदेशी कंपनियां पाकिस्तान में निवेश नहीं करना चाहेगी। अगर पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में शामिल किया जाता है तो मूडीज और फिच जैसी क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां देश की रेटिंग डाउन कर देगी। पड़ोसी मुल्क में महंगाई, बेरोजगारी बढ़ जाएगी और विदेशी मुद्रा भंडार में जबरदस्त गिरावट होगी।
ग्रे और ब्लैक लिस्ट में क्या है अंतर?
ग्रे लिस्ट में उन देशों को रखा जाता है जो मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग के मामलों की तरफ बढ़ रहा हो। इस लिस्ट में शामिल देशों को चेतावनी दी जाती है कि वो समय रहते देश के हालात को संभाल लें।
वहीं, अगर किसी भी देश का एफएटीएफ की ब्लैक लिस्ट में शामिल किया जाता है तो उस देश को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं द्वारा वित्तीय सहायता मिलनी बंद हो जाती है। ब्लैक लिस्ट में शामिल देश को किसी भी संस्था से कोई आर्थिक मदद नहीं मिलती है।
बता दें कि केंद्र सरकार ने इस सप्ताह के शुरू में भारत के बारे में “झूठी, भड़काऊ और सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील सामग्री” प्रसारित करने के आरोप में 16 पाकिस्तानी यूट्यूब चैनलों को ब्लॉक कर दिया था। वहीं, पहलगाम हमले पर बीबीसी की रिपोर्टिंग पर भी कड़ी आपत्ति जताई थी। बता दें कि पहलगाम हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी। इस हमले के बाद भारत लगातार पाकिस्तान के खिलाफ एक्शन ले रहा है।
पाकिस्तान के इन यूट्यूब चैनल्स को भारत में किया गया ब्लॉक
अधिकारियों ने बताया कि विदेश मंत्रालय बीबीसी की रिपोर्टिंग पर भी नजर रखेगा। बता दें कि बीबीसी ने अपनी रिपोर्टिंग में आतंकवादियों को उग्रवादी कहा है। ब्लॉक किए गए यूट्यूब चैनल हैं डॉन न्यूज, इरशाद भट्टी, समा टीवी, एआरवाई न्यूज, बोल न्यूज, रफ्तार, द पाकिस्तान रेफरेंस, जियो न्यूज, समा स्पोर्ट्स, जीएनएन, उजैर क्रिकेट, उमर चीमा एक्सक्लूसिव, अस्मा शिराजी, मुनीब फारूक, सुनो न्यूज और रजी नामा।
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