राम ही नहीं रामदेव को भी चौदह साल बनवास रहना पड़ा

राम ही नहीं रामदेव को भी चौदह साल बनवास रहना पड़ा

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क


“जब किसी तरह के जुल्म के खिलाफ, शोषण के खिलाफ, अत्याचार के खिलाफ सीना तान कर एक टोली खड़ी हो जाती थी और उस टोली में चाँद की तरह चमकता था एक चेहरा, वह चेहरा बाबू रामदेव सिंह का था। रामदेव जी की तरह अक्खड़, संकल्पशक्ति और इच्छाशक्ति वाले लोग दुर्लभ हैं। भारत में सोने की लंका का कोई महत्व नहीं है, यहाँ महत्व है चौदह साल वनवास रह कर लोक कल्याण करने वाले राम का। यहाँ महत्व है चौदह साल वनवास रहकर हिंडाल्को मैनेजमेंट के अत्याचार के खिलाफ आवाज बुलंद कर और लड़कर मजदूरों का कल्याण करने वाले रामदेव का।

बाबू रामदेव की सच्ची श्रद्धांजलि तब होगी जब हम किसी तरह के जुल्म को सहने से इनकार कर दें। बाबू रामदेव की सच्ची श्रद्धांजलि तब होगी जब हम शोषण के खिलाफ, दोहन के खिलाफ, अत्याचार के खिलाफ सीना तान कर खड़े हो जाएँ। रामदेव कभी झुके नहीं, रामदेव कभी रुके नहीं, अभाव और यातनाएँ रामदेव के कदम को रोक नहीं पाईं। किसी तरह का प्रलोभन रामदेव को डिगा नहीं पाया। शोषण और जुल्म के खिलाफ सीना तान कर वह आजन्म लड़ते रहे। कभी पराजय नहीं स्वीकार किया। मैं उस अपराजेय योद्धा बाबू रामदेव सिंह के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।”

 

उक्त बातें हिंडाल्को के मजदूर नेता रामदेव सिंह की श्रद्धांजलि सभा में देश के जानेमाने साहित्यकार व पत्रकार अजय शेखर ने कही जो स्वयं बाबू रामदेव सिंह के संघर्ष के साथी रहे।रेनूकूट के पास तुर्रा पिपरी में आयोजित इस श्रद्धांजलि सभा को अनेक नेताओं, साहित्यकारों, पत्रकारों, बुद्धिजीवियों, समाजसेवियों, अधिकारियों और बाबू रामदेव के संघर्ष के साथियों ने संबोधित किया।

वरिष्ठ भाजपा नेता और रामदेव जी के सहयोगी रहे श्रीनारायण पाण्डेय ने बहुत भावुक होकर कहा कि “रामदेव जी से मेरा परिचय 1962 में 29 जून को हुआ था जब मैं रेनूकूट पधारा था। पश्चिम बंगाल के जेके नगर से रेनूकूट आकर के हिंडाल्को पॉट रूम जॉइन करने वाले रामदेव जी वहाँ मजदूरों की हालत को देखकर मैनेजमेंट पर हमेशा करारा प्रहार किया करते थे जिसके कारण उन्हें कई-कई बार टर्मिनेशन का सामना करना पड़ा था। बाबू रामदेव सिंह ने एक ट्रेड यूनियन ‘राष्ट्रीय श्रमिक संघ’ की स्थापना की, जो आज भी सक्रिय है। उस समय रेनूकूट के सड़क के दोनों किनारों पर एक भी झोपड़ी नहीं थी, एक भी दुकानदार नहीं था…सिर्फ बेहया के जंगल थे। रामदेव जी ने झोपड़ियाँ बनवाईं, दुकाने खुलवाईं और व्यापार मण्डल के अध्यक्ष बने।

इसके लिये उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा। उस वक्त सिक्योरिटी का एक इनचार्ज था, आर डी शर्मा जो कुत्ता-मार अफसर के नाम से कुख्यात था, वह जेल भेज देता था। रामदेव जी के सहयोगी नेता राकेश चतुर्वेदी, जो कालांतर में विधायक बने, जेल में बंद हो गए थे। रामदेव जी ने 11 बजे रात को, 1963 में पहली हड़ताल तीन दिन का करा दिया…फिर 1966 में हड़ताल हुई, 12 अगस्त को और 318 लोगों को निकाल दिया गया, जिसका नेतृत्व रामदेव सिंह कर रहे थे। रामदेव जी ने बिड़ला मैनेजमेंट के खिलाफ संघर्ष किया। वह सोशलिस्ट थे, जिद्दी और धुन के पक्के थे। वह विजयी हुए। 14 साल बेरोजगार रहने के बाद 1977 में राजनारायण जी ने रामदेव जी को पुनः हिंडाल्को जॉइन कराया। नौकरी करते हुए भी हिंडाल्को के प्रेसिडेंट अग्रवाल जी को रगड़ते रहते थे रामदेव बाबू। रामदेव बाबू किसी की भी गलत बात को सहते-सुनते नहीं थे।”

 

इस अवसर पर दो महत्वपूर्ण घोषणाएँ हुईं। पिपरी नगर पंचायत के चेयरमैन दिग्विजय सिंह ने शहर में बनने वाले पार्क का नाम रामदेव सिंह पार्क रखने की घोषणा की। रामदेव बाबू के पुत्र कवि मनोज भावुक ने घोषणा की कि हर साल बाबूजी की पुण्यतिथि 14 अप्रैल को मजदूरों की लड़ाई लड़ने वाले एक शख्सियत को रामदेव सिंह सम्मान से नवाजा जाएगा।

 

रामदेव सिंह के सहयोगी और उत्तरप्रदेश ट्रेड यूनियन कांग्रेस के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट लल्लन राय ने वीडियो संदेश द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि, “रामदेव सिंह जी मजदूरों के सर्वमान्य नेता थे और मजदूरों के ही नहीं, रेनूकूट में जो बहुमंजिली दुकाने हैं, जो चमकता बाजार है, वह कभी पथरीली जमीन हुआ करती थी। उस बाजार और दुकानों का अगर कोई माई-बाप था वो बाबू रामदेव सिंह थे। हिंडाल्को की मर्जी के खिलाफ रामदेव सिंह ने रेनूकूट के असहाय दुकानदारों को बसाया। तो यूं कहिए कि बाबू रामदेव सिंह जी मजदूरों के साथ-साथ, दुकानदारों और जनता के जननेता थे। 12 अगस्त 1966 को बाबू रामदेव सिंह की एक आवाज पर हिंडाल्को की चिमनी का धुआँ बंद हो गया था। पूरे प्लांट को बंद करना पड़ा था। इतना बड़ा जन समर्थन था, बाबू रामदेव सिंह के साथ।”

 

श्रद्धांजलि सभा में वनवासी सेवा आश्रम की संचालिका डॉ. शुभा प्रेम ने कहा कि तुर्रा पिपरी के वनवासी सेवा आश्रम के भी अभिन्न अंग रहे रामदेव बाबू।

 

रामदेव बाबू की श्रद्धांजलि सभा में अपना उद्गार व्यक्त करने वालों में मनमोहन मिश्रा, डीएफओ रेनूकूट, मुन्ना सिंह, अध्यक्ष, जागो भारत फाउंडेशन, राकेश पाण्डेय, भाजपा युवा नेता, पुराने साथी माहेश्वर द्विवेदी, आर डी राय, शिक्षक योगेंद्र सिंह, युवा नेता बीरबल सिंह, शहर के पत्रकार जलालूद्दीन, मानी मदान, एसपी पांडे, अधिवक्ता नंदलाल, संजय संत और कनौड़िया केमिकल्स के वीरेंद्र सिंह प्रमुख रहे। गजलकार धनंजय सिंह राकिम और भोजपुरी गीतकार राजनाथ सिंह राकेश ने काव्य पाठ किया तो भजन मंडली ने रामदेव बाबू की याद में अनेक भजन सुनाये। सभा का संचालन मनोज त्रिपाठी ने किया।

इस अवसर पर रामदेव बाबू के जीवन संघर्ष पर बने एक वृतचित्र को भी दिखाया गया।

Leave a Reply

error: Content is protected !!