अब बिहार में नहीं करा सकेंगे बाल श्रम,कैसे?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

बिहार में बच्चों की तस्करी और बाल श्रम पर अब सरकार लगाम लगाने की योजना बना रही है. बच्चों को श्रम से बचाने अब नयी योजना पर काम किया जा रहा है. अब कार्ड के जरिये बच्चों की तस्करी पर भी निगरानी रखी जायेगी. बच्चों को मजदूरी पर लगाने से बचाने के लिए चाइल्ड फ्रेंड कार्ड (बाल मित्र कार्ड) बनाया जाएगा. बच्चों की ट्रैफिकिंग पर इस कार्ड के जरिए लगाम लगाया जा सकेगा.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में श्रम संसाधन विभाग, शिक्षा विभाग और समाज कल्याण विभाग मिलकर इस योजना पर काम करेगा. कार्ड को लेकर अभी तैयारी चल रही है. इसके काम करने के तरीके को लेकर सरकारी व गैर सरकारी संस्थान में बातचीत भी जारी है. बिहार में बाल श्रम का मामला तेजी से बढ़ा है. मीडिया रिपोर्ट में एक अनुमान के मुताबिक अभी साढ़े चार लाख से अधिक बाल श्रमिक बिहार में हैं.

बच्चों को बचाने के लिए जिस कार्ड का इस्तेमाल किया जाएगा उसमें चिप लगा होगा जो मुख्य भुमिका निभाएगा. आईटी सेक्टर के विशेषज्ञ अभी कार्ड को लेकर अपनी तैयारी कर रहे हैं. बता दें कि पिछले साल बचपन बचाओं उन्मूलन व पुनर्वास योजना को मजबूत बनाने व सरल करने के लिए कार्ड उपलब्ध कराने का सुझाव सरकार को दिया गया था.

इससे पहले 2016 में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बच्चों के सुनहरे भविष्य के उद्देश्य से बाल श्रम ट्रैकिंग सिस्टम को लांच किया था. जिसके द्वारा बाल श्रम और ट्रैफिकिंग से छुडाए गए बच्चों का पुनर्वास होना था. लेकिन विभागिय लापरवाही व उदासीनता ने इसे धरातल पर सफल नहीं होने दिया. एक बार मुक्त कराए गए बच्चे को दोबारा उस दलदल में नहीं जाने दिया जाए, इसे लेकर कोई ठोस तैयारी नहीं हो सकी.

 

दुनियाभर में हर साल 12 जून को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसको मनाए जाने का उद्देश्य 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से श्रम ना कराकर उन्हें शिक्षा दिलाने और आगे बढ़ने के लिए जागरूक करना है. हर साल इसकी अलग थीम रखी जाती है.

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