अब हर महीने तीन बार होगी गर्भवती महिलाओं की जांच, मिलेगी नि:शुल्क अल्ट्रासाउंड सुविधा

अब हर महीने तीन बार होगी गर्भवती महिलाओं की जांच, मिलेगी नि:शुल्क अल्ट्रासाउंड सुविधा
• मातृ-शिशु मृत्यु दर में आएगी कमी
• उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं की पहचान में मिलेगी मदद
• 2367 महिलाओं को उच्च जोखिम गर्भावस्था की पहचान

श्रीनारद मीडिया, पंकज मिश्रा, अमनौर, छपरा (बिहार):

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गर्भवती महिलाओं को अब सुरक्षित प्रसव के लिए महीने में तीन बार नि:शुल्क प्रसव पूर्व जांच की सुविधा सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में मिलेगी। पहले यह सुविधा प्रत्येक माह की 9 और 21 तारीख को प्रधानमंत्री मातृत्व सुरक्षित अभियान के तहत दी जाती थी। लेकिन अब राज्य स्वास्थ्य समिति के निर्देश पर तीसरी तिथि 15 तारीख भी जोड़ी गई है। यानी अब प्रत्येक माह 9, 15 और 21 तारीख को यह शिविर आयोजित होंगे।

2367 महिलाओं को उच्च जोखिम गर्भावस्था की पहचान:
इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि 2024-25 में जिले की 39,189 गर्भवती महिलाओं ने एएनसी जांच कराई, जिसमें 6% यानी 2367 महिलाओं को उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था (HRP) के तहत चिह्नित किया गया। जबकि अपेक्षित दर 15% होनी चाहिए। ऐसे में प्रसव पूर्व जांच की संख्या बढ़ाने और गुणवत्ता सुधारने के उद्देश्य से PMSMA की तिथि बढ़ाई गई है।

स्वास्थ्य संस्थानों पर मिलेगी नि:शुल्क अल्ट्रासाउंड की सुविधा
राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक सुहर्ष भगत द्वारा जारी पत्र में स्पष्ट किया गया है कि अब प्रत्येक महिला को अल्ट्रासाउंड की सुविधा भी पूरी तरह नि:शुल्क दी जाएगी। इसके अतिरिक्त उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं की पहचान कर विशेष निगरानी और इलाज की व्यवस्था की जाएगी।

सुरक्षित प्रसव के लिए जरूरी है एएनसी
सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि प्रसव पूर्व जांच (ANC) गर्भवती महिलाओं और उनके शिशु के लिए अत्यंत आवश्यक होती है। जांच से समय रहते जटिलताओं का पता चल जाता है और चिकित्सीय परामर्श से उनका समाधान संभव होता है। उन्होंने कहा कि प्रसव के दौरान कठिनाइयों से बचने के लिए समय-समय पर जांच कराना अनिवार्य है।

मातृ व शिशु मृत्यु दर में लाने में मददगार
सदर अस्पताल की महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. काजल किशलय ने बताया कि तीन बार एएनसी जांच की यह नई व्यवस्था मातृ और शिशु मृत्यु दर को कम करने में कारगर सिद्ध होगी। प्रधानमंत्री मातृत्व सुरक्षित अभियान के तहत गर्भवती महिलाओं की रक्त, मूत्र, एचआईवी, ब्लड ग्रुप, बीपी और हार्ट-बीट जैसी महत्वपूर्ण जांच की जाती है, जिससे उन्हें सही समय पर इलाज व परामर्श दिया जा सके।

जागरूकता व सुविधाएं बढ़ाने पर जोर
स्वास्थ्य विभाग की मंशा है कि अधिक से अधिक गर्भवती महिलाएं इस अभियान से जुड़ें। आशा कार्यकर्ताओं को इस दिशा में सक्रिय भूमिका निभाने को कहा गया है ताकि सभी लाभार्थियों तक यह जानकारी पहुंचे और उन्हें प्रसव पूर्व जांच की सुविधा का लाभ मिल सके।

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