देश में रामराज्य के लिए अब आसुरी प्रवृति का त्याग करने का समय आ गया है … जनादेश आम चुनाव 2024 डा. महेंद्र शर्मा 

देश में रामराज्य के लिए अब आसुरी प्रवृति का त्याग करने का समय आ गया है … जनादेश आम चुनाव 2024 डा. महेंद्र शर्मा

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श्रीनारद मीडिया, वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक, कुरुक्षेत्र  :

पानीपत : शास्त्री आयुर्वेदिक अस्पताल के संचालक अनेक संस्थाओं के पदाधिकारी प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य डा. महेंद्र शर्मा ने बाताया कि व्यक्तिवाद के नाम पर जो स्थिति कांग्रेस की थी वह अब भाजपा की होती जा रही है। क्यों कि भाजपा स्वयं को हिंदुस्तान समझने लगी थी। यह लोग हिन्दुत्व की बात करते रहे और भगवान राम का आश्रय भी लिया लेकिन भगवान राम के रामराज्य के सिद्धांत का पालन किए बिना आगे बढ़ते जा रहे थे तो भगवान ने इन के कृत्यों का दण्ड तो अपनी जन्मभूमि पर ही दे दिया, अब पूरे भारतवर्ष इन राजनैतिक सम्मान का ग्राफ इस तरह से गिरा कि इस सरकार का गठन वैशाखियों के बल पर हुआ है। फिलहाल इस चुनाव के परिणाम ने गत दस वर्ष से संकीर्णता की राजनीति आईना दिखा दिया है कि इतने बड़े राष्ट्र में केवल धर्म के नाम पर राजनीति करना सम्भव नहीं है, यदि ऐसा सम्भव होता तो अब की बार 400 वाला चुनावी नारा काम करता, इस स्लोगन को जनता ने क्यों नकारा , इस बिंदु पर विचार होना चाहिए। यद्यपि भारत वर्ष में 80% जनता हिन्दू है लेकिन चुनाव परिणामों से यह भी अवश्य स्पष्ट हुआ है कि यह सारे हिन्दू भाजपाई विचारधारा के हिन्दू नहीं है।

 

आज से दो वर्ष पूर्व भी मैने यह कहा था यदि कांग्रेस सार्वजनिक स्तर पर केवल मात्र यह घोषणा कर दे कि गांधी परिवार में से कोई भी व्यक्ति प्रधानमंत्री पद का दावेदार नहीं होगा तो राजनैतिक स्थिति बदल जाएगी और इस बार ऐसे कहते ही देश में राजनैतिक स्थिति बदल गई। राजनैतिक स्थिति तो बदली ही साथ ही बदल गया राहुल गांधी का किरदार जो इस तरह से निखरा कि उस के लोक सभा में दिए गए भाषण की बानगी कुछ और थी। वह कोई अनपढ़ और अबोध बालक नहीं था, जैसा कि यह लोग उसे आलू सोना आलू कह कर के देश को गुमराह किया जा रहा था।

 

आज के दिन वह देश का एक परिपक्व नेता के रूप में उबरा है जिस की जनमानस के हृदय में गहरी पैठ स्थापित हो गई। दूसरा कारण यह भी है कि सरकार ने जो विकास किए वह कार्य केवल उनकी पार्टी के विकास और उसकी धनसंपदा पर नियंत्रण तक सिमट गए थे। तीसरे लोगों की वास्तविक और मूलभूत समस्याओं पर सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया, चौथे केंद्रीय सरकार का रवैया “संगोल” याने राजतंत्र जैसा निरंकुश हो चला था … नहीं कोउ मान निगम अनुसासन जिससे जनता में अनुशासनहीनता को देख कर घोर निराशा फैली और इसी निराशा के कारण ही पांचवा कारण यह बना, जिस ने इन्हें नुकसान पहुंचाया वह था सरकारी नियंत्रण वाला गोदी मीडिया, जो केवल इनका मुख्य पात्र बन कर इन के कार्यों और नीतियों का जो प्रचार करता था, वह कार्य किसी को धरातल पर नज़र नहीं आते थे तो जब धीरे धीरे सोशल मीडिया पर यूट्यूबर्ज ने देश को वास्तविकता और सत्यता के दर्शन करवाए तो लोगों को समझ आ गई कि देश में क्या हो रहा है और क्या बताया जा रहा था।

 

प्रजातंत्र की बेटी का नाम भ्रष्टाचार है, यह समस्या तो कभी समाप्त नहीं हो सकती, लेकिन सभी माता पिता याने (सताधीश) कभी भी अपनी बेटी ( जो सेठ धनाढ्य इनको वित पोषित करते हैं) को दुखी नहीं देख सकते वही स्थितियां निरन्तर बनती रही जब सत्ताधीशों को वित पोषित करने वाले धनासेठ देश का धन ले कर भाग गए। सरकार ने इन भगोड़ों पर कितनी कारवाई की वह सर्वविदित है। भारतीय समाज शिक्षित है, आज देश की जनसंख्या का 50% युवावर्ग है जिसकी आयु 25/30 वर्ष है। कोई आम व्यक्ति आंखे बंद कर के इनका पुश्तैनी अनुयायी तो शायद ही हो भी सकता है। लेकिन शिक्षित वर्ग सब से पहले अपनी शिक्षा के अनुरूप जॉब काम व्यवसाय चाहता है। गत 10 वर्षों से उन विद्यार्थियों को जॉब नहीं मिले तो वह आप के पक्ष में हर बार आपके असत्य भाषण और वायदों के साथ खड़े नहीं हो सकता, तभी तो आप को बहुमत नहीं मिला। एक बार एक व्यापारी के बालक की शादी एक स्कूल की अध्यापिका से हो गई। अभी शादी को कुछ ही दिन बीते थे कि स्कूल जो एक धार्मिक संस्था के अधीन था तो उनके एक धार्मिक कार्यक्रम में टीचर्स की उपस्थिति अनिवार्य कर दी गई। सर्दी के दिन थे, रात के 11/30 बजने वाले थे कि अभी तक नवविवाहित को उसकी पत्नी के आने का कोई संकेत नहीं मिल रहा था, उधर माता भी बेचैन कि कब छुट्टी मिलेगी। खैर उस टीचर का पति वहां कार्यक्रम में जैसे ही पहुंचा तो वहां उस संस्था का सदस्य जो उस का मित्र भी था वह उसे मिला और उसकी देर रात समय तक प्रोग्राम चलने की बात हुई तो उस बात को दरकिनार कर के कहने लगा कि अच्छा!

 

यह बता कि मंच पर जो कार्यक्रम हो रहा है उसकी साउंड कहां से आ रही है, वह उसको मीठी सी गाली दे कर कहता साउंड सिस्टम की … ऐसी की तैसी .. तूं छोड़ इन सब बातों को , बस मुझे यह बता की तेरी भाभी कहां बैठी है, मुझे उसको घर ले जाना है। आधी रात हो चली है और इतनी भयंकर ठंड और इस में यह कार्यक्रम … बहुत हो गया। यही स्थिति है हमारे युवाओं की वो सनातनी हिंदू हैं और हिन्दू ही रहेंगे, कोई भी किसी से कोई किसी की धार्मिक निष्ठा और विश्वास नहीं खींच सकता, युवा तो आपसे सब से पहले जीवनपापन के लिए जो उनकी शिक्षा है उसके अनुरूप रोजगार मांगते है, उन्होंने शिक्षा पकोड़े तलने के लिए थोड़े ही न ली थी। जब धर्म पर आंच आएगी तो यही युवा शक्ति हम सब को धर्म की रक्षा के लिए सबसे आगे दिखाई देंगे, इन्हें तो बस काम दीजिए। सरकार महिलाओं और बेटियों की सुरक्षा नहीं कर सकी यह सरकार … ऐसे असुरक्षा आदि के छोटे मोटे घटनाक्रम तो होते ही रहते हैं लेकिन जब यह घटनाएं नेताओं सांसदों, यहां तक संतों द्वारा अंजाम दी जाए तो लोग दबी जुबान में फब्तियां भी कसते हैं। व्यापार चौपट है, सभी जानते हैं, मंदी चल रही है, ऊंचे स्तर की महंगाई है, विदेशी मुद्रा के भाव बढ़ रहे हैं स्वदेशी मुद्रा का अवमूल्यन हो रहा है। घर, नगर, प्रदेश, देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने को बड़े होने के दिखाने का स्वांग अपने घर में ही फीका पड़ता जा रहा है। धर्म के अनुसार राजनीति होनी चाहिए थी लेकिन गत दस वर्षों से राजनीति के अनुसार हमारा धर्म चलाया जा रहा है। नित्य प्रति मुस्लिमों की तर्ज पर सनातन धर्म में भी फतवे जारी हो रहे हैं, जब की परम पिता परमात्मा ने किसी व्यक्ति या संस्थान को कोई ऐसा आदेश नहीं दे रखा कि आप फलां फलां बात पर नियंत्रण करें। यदि सनातन धर्म को धर्मांतरण से बचाना है तो शिक्षा चिकित्सा का राष्ट्रीयकरण करें, लोगों को भोजन, वस्त्र और आवास निर्माण में सहायता करें। वह दौर और था जब तलवार के दम पर धर्म परिवर्तन हुए थे लेकिन आज धर्मांतरण होने के मुख्य कारण आर्थिक, राजनैतिक और सामाजिक हैं। सरकार को इन विषमताओं को दूर करना चाहिए, जब ऐसा किया जाएगा तो किसी भी राजनैतिक व्यक्ति या उसके दल की प्रतिष्ठा कम नहीं होगी। लेकिन ऐसा तब होगा जब हम दशरथ बनते हुए इन दस आसुरी दशानननीय दुर्गुणों का परित्याग करेंगे … व्यक्तिवाद, परिवारवाद, क्षेत्रवाद , क्रोध, प्रतिशोध, हिंसा, क्रूरता, निरंकुशता और वैमनस्य का त्याग करते हुए मित्रस्य चक्षुषा समीहसे सभी के साथ सम दृष्टि और समभाव का व्यवहार करेंगे। हमारे हमसाय देश नेपाल जो कि हिंदू राष्ट्र है। उसके निवासी हमारे देश में नौकर झूठे बर्तन धोने वाले , होटलों में शेफ और हमारे रसोइए हैं या गलियों के चौकीदार। वहां भी ऐसी हो राजनैतिक स्थितियां हैं , जो आज हमारे देश में पैदा की जा रही हैं। आज इस्लाम पर बने पाकिस्तान की स्थिति भी यही है कि वहां कठमुल्ले प्रजातंत्र को जीने नहीं देते, हमारे यहां भी ऐसा ही बन रही है। यह वातावरण देखते हुए पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ को अपनी किताब “सब से पहले पाकिस्तान” में यह लिखना पड़ा कि हमारे पूर्वजों की मूर्खता का परिणाम है धर्म के नाम पर बना पाकिस्तान, जो महंगाई, भुखमरी, बेकारी और बेरोजगारी से जूझ रहा है … देश निर्णय करे कि जनता क्या चाहती है।
आचार्य डॉ. महेन्द्र शर्मा “महेश”

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