नर्स निमिषा प्रिया की फांसी फिलहाल टाल दी गई है
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
यमन से एक राहत की खबर सामने आई है। केरल की नर्स निमिषा प्रिया की फांसी टाल दी गई है। निमिषा को 16 जुलाई 2025 यानी कल फांसी दी जानी थी। मगर अभी के लिए यह तारीख पोस्टपोन कर दी गई है। भारत सरकार लगातार यमन की सरकार के संपर्क में बनी हुई है।
निमिषा की फांसी रोकने के लिए भारत सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। सरकार ने यमन से कुछ और दिनों की मांग की थी, जिससे निमिषा का परिवार पीड़ित परिवार को ब्लड मनी के लिए मना सके।
ब्लड मनी के लिए मिला समय
निमिषा प्रिया का मामला काफी संवेदनशील था। इसके बावजूद सरकार लगातार यमन के संपर्क में थी। आखिर में भारत सरकार की कोशिशें रंग लाई और निमिषा की फांसी को कुछ दिनों के लिए टाल दिया गया है। हालांकि, यह फांसी कब तक के लिए टली है? इसपर अभी तक अपडेट सामने नहीं आया है।
क्या बच सकती है निमिषा की जान?
बीते दिन सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान भारत सरकार ने कहा था कि निमिषा की जान बचाने का सिर्फ एक ही रास्ता है। अगर पीड़ित परिवार ब्लड मनी के लिए मान जाता है, तो निमिषा को बचाया जा सकता है। पीड़ित परिवार को 10 हजार अमेरिकी डॉलर (8.5 करोड़ रुपये) का ब्लड मनी देने की पेशकश की गई है। हालांकि, परिवार ने अभी तक इसे स्वीकार नहीं किया है।
निमिषा को बचाने की सारी कोशिशें नाकाम साबित होती दिखाई दे रही थीं। बीते दिन सुप्रीम कोर्ट में भी इस मामले पर सुनवाई हुई थी। केंद्र का पक्ष रखने वाले अटॉर्नी जनरल वेंकटरमणि ने भी साफ किया कि निमिषा को बचाने के लिए ‘ब्लड मनी’ (Blood Money) ही एकमात्र रास्ता है। अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि के अनुसार, “केंद्र सरकार एक हद तक ही कोशिश कर सकती है और हम वहां तक पहुंच चुके हैं। इस मामले में हम इससे ज्यादा कुछ नहीं कर सकते हैं। निमिषा को बचाने का सिर्फ एक ही रास्ता है – ब्लड मनी।”
क्या है ब्लड मनी?
‘ब्लड मनी’ मुआवजे की एक रकम है, जो पीड़ित परिवार को दी जाती है। दरअसल यमन के कानून में हत्या के बदले सजा-ए-मौत का प्रावधान है। हालांकि, अगर पीड़ित परिवार ‘ब्लड मनी’ के बदले आरोपी को माफ करना चाहे, तो आरोपी का मृत्युदंड रद किया जा सकता है।
कितना ‘ब्लड मनी’ ऑफर किया गया?
निमिषा को बचाने के लिए भारत सरकार ने 10 लाख अमेरिकी डॉलर (लगभग 8.5 करोड़ रुपये) का ब्लड मनी ऑफर किया है। हालांकि, पीड़ित परिवार ने ब्लड मनी स्वीकार करने से साफ इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि यह उनकी इज्जत का सवाल है।
यमन में कैसे दी जाती है सजा-ए-मौत?
यमन में सजा-ए-मौत के लिए पत्थर मारने, फांसी देने और सिर कलम करने का प्रावधान है। हालांकि, इनकी बजाए आरोपी की गोली मारकर हत्या की जाती है।
- आरोपी को चेहरा नीचे करके पेट के बल जमीन पर लिटाया जाता है।
- उसपर कंबल या गलीचा डाल दिया जाता है।
- डॉक्टर आरोपी की पीठ पर दिल की जगह गोली मारता है।
- इसके बाद वहां मौजूद जल्लाद राइफल से आरोपी को छलनी कर देते हैं।
क्या है पूरा मामला?
बता दें कि निमिषा प्रिया 2008 में केरल से यमन के अस्पताल में नर्स की नौकरी करने गई थीं। 2011 में निमिषा टॉमी थॉमन के साथ शादी के बंधन में बंधी और 2012 में उन्होंने एक बेटी को जन्म दिया। यमन में गृह युद्ध के हालात बनने के बाद निमिषा ने पति और बेटी को भारत भेज दिया। इसके बाद उनकी मुलाकात तलाल अब्दो महदी से हुई। निमिषा और महदी ने मिलकर यमन में खुद का क्लीनिक खोला। क्लीनिक में प्रॉफिट होने के बाद महदी ने निमिषा का पासपोर्ट छीन लिया और उसे प्रताड़ित करने लगा।
2017 से जेल में कैद हैं निमिषा
निमिषा को भारत लौटने के लिए पासपोर्ट की जरूरत थी। ऐसे में निमिषा ने महदी को बेहोशी की दवा दे दी। हालांकि ओवरडोज होने के कारण महदी की मौत हो गई और निमिषा को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। निमिषा 2017 से यमन की जेल में बंद हैं और अदालत ने उन्हें 16 जुलाई को फांसी देने का आदेश दिया था।
‘ब्लड मनी’ ने कब-कब भारतीयों को बचाया?
2006 – केरल के अब्दुल रहीम ने सऊदी अरब के रियाद ने अनजाने में अपने कर्मचारी के नाबालिग बेटे की हत्या कर दी थी। इसके बाद अब्दुल मौके से फरार हो गया। पीड़ित परिवार को 34 करोड़ रुपये की ब्लड मनी दी गई थी। हालांकि, इसके बावजूद अब्दुल को 20 साल की सजा सुनाई गई। अगले साल यानी 2026 में अब्दुल की सजा पूरी होगी।
2017 – केरल के एएस शंकरनारायणन के घर पर बांग्लादेशी इलेक्ट्रीशियन की मौत हो गई थी। यह महज एक हादसा था, जिसके इल्जाम में शंकरनारायणन 8 साल तक UAE की जेल में बंद रहे। उन्हें रिहा करने के लिए 200,000 दिरहम (लगभग 47 लाख रुपये) की ब्लड मनी की शर्त रखी गई। शंकरनारायणन के पास इतने पैसे नहीं थे। तब अमीरात इस्लामिक बैंक ने यह रकम अदा की थी।
2017 – तेलंगाना के लिंबदरी लगभग एक दशक की सजा काटकर भारत वापस लौटे थे। उनपर सऊदी अरब के एक नागरिक की हत्या का इल्जाम था। भारत राष्ट्र समिति की नेता के.कविता ने इस मामले को उठाया और स्थानीय बिजनेसमैन की मदद से ब्लड मनी देकर लिंबदरी को बरी करवाया था।
2013 – सऊदी अरब के पूर्व बादशाह किंग अब्दुल्ला ने 1.5 करोड़ रुपये की ब्लड मनी देकर सलीम बाशा की जान बचाई थी। सलीम बाशा बेंगलुरु का एक ट्रक ड्राइवर था, जिसपर 2006 में एक्सीडेंट का आरोप लगा था। इस हादसे में 9 लोगों की मौत हो गई थी, जिसके बाद सलीम को सजा-ए-मौत दी गई थी।
2014 – सऊदी अरब की जेल में 3 भारतीय 6 साल से बंद थे। सभी पर हत्या का आरोप था। आखिर में एक बिजनेसमैन ने 1.12 करोड़ रुपये की ब्लड मनी देकर तीनों को जेल से छुड़वाया था।