12 मार्च 1993 को सीरियल बम धमाकों से दहल गई थी मुंबई,कैसे?

12 मार्च 1993 को सीरियल बम धमाकों से दहल गई थी मुंबई,कैसे?

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 12 जगहों पर हुए बम धमाकों में 257 लोगों की मौत हुई थी।

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

12 मार्च, 1993 को दोपहर के बाद मुंबई के कई इलाकों में एक के एक बाद एक सीरियल बम धमाके हुए. कुल मिलाकर उस रोज 13 बम धमाके हुए. इनमें 257 लोग मारे गए और 700 से ज्‍यादा लोग घायल हुए. कहा जाता है कि देश के इतिहास में पहली बार इस तरह के सीरियल बम ब्‍लास्‍ट हुए. धमाके के लिए आरडीएक्‍स का इस्‍तेमाल हुआ. कहा जाता है कि तबाही मचाने के लिए तीन हजार किलो से भी ज्‍यादा आरडीएक्‍स मुंबई में समुद्र के किनारे उतारा गया था, जबकि इनमें से सिर्फ 10 फीसदी ही इस्‍तेमाल हुआ था.

कहां-कहां हुए थे धमाके?

बांबे स्टॉक एक्सचेंज, कलबा देवी, शिवसेना भवन के पास पेट्रोल पंप पर, एयर इंडिया बिल्डिंग, फिशमैन कॉलोनी, वर्ली बाजार, झावेरी बाजार, होटल सी रॉक, प्लाजा सिनेमा दादर, होटल जुहू सेंटर, शहर एयरपोर्ट और होटल एयरपोर्ट सेंटूर इन 12 जगहों पर धमाके हुए थे.

देश की आर्थिक राजधानी में हुए इन बम धमाकों के जख्म बेशक यहां के लोगों के शरीर पर हुए लेकिन इसका दर्द पूरे देश ने महसूस किया। मामले को अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के इशारे पर अबु सलेम और उसके गुर्गों ने अंजाम दिया था। ये पहला आतंकवादी हमला था जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया, इसे आज तक का सबसे बड़ा आतंकवादी हमला भी माना जाता है।

मास्टरमाइंड दाऊद इब्राहिम अभी पुलिस और जांच एजेंसियों की पकड़ से दूर है। आइए, एक बार डालते हैं सबसे बड़े आतंकवादी हमले पर एक निगाह, कैसे आजमगढ़ में मोटर मैकेनिक की दुकान करने वाले अबु सलेम और उसके गैंग ने एक झटके में ही पूरी मुंबई को दहला दिया था।मुंबई में हुए 12 सिलसिलेवार बम धमाकों में उस समय कुल 28 करोड़ की संपत्ति का नुकसान हुआ था।

अगर आज की कीमत में इसका हिसाब लगाया जाए तो यह 500 करोड़ से ज्यादा बैठता है। शुरूआती जांच के बाद मुंबई पुलिस ने इन धमाकों का आरोप अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम और उसके परिवार पर लगाया। बाद में सीबीआई जांच में भी इसकी पुष्टि हुई की दाऊद इब्राहिम ने अपने गुर्गों की बदौलत मुंबई हमलों को अंजाम दिया।

इस मामले में 4 नवंबर 1993 को 189 आरोपियों के खिलाफ 10,000 पन्ने की प्राथमिक चार्जशीट दायर की गई थी। 19 नवंबर 1993 को यह मामला सीबीआई को सौंप दिया गया था। 19 अप्रैल 1995 को मुंबई की टाडा अदालत में इस मामले की सुनवाई शुरू हुई थी। सितंबर 2006 में अदालत ने अपने फैसले देने शुरू किए। इस मामले में 123 अभियुक्त थे, जिनमें से 12 को निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी।

68 लोगों को उम्रकैद से कम की सज़ा सुनाई गई थी जबकि 23 लोगों को निर्दोष माना गया था। सुप्रीम कोर्ट ने याकूब मेमन को छोड़कर बाकी सभी लोगों की फांसी को उम्रकैद में बदल दिया था। याकूब को 2015 में फांसी पर चढ़ाया गया। टाइगर मेमन और दाऊद इब्राहिम आज भी इस मामले में फरार हैं।

 

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