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हाईकोर्ट के आदेश पर पन्द्रह महीने में रघुनाथपुर रेफरल अस्पताल का बनेगा नया भवन - श्रीनारद मीडिया

हाईकोर्ट के आदेश पर पन्द्रह महीने में रघुनाथपुर रेफरल अस्पताल का बनेगा नया भवन

हाईकोर्ट के आदेश पर पन्द्रह महीने में रघुनाथपुर रेफरल अस्पताल का बनेगा नया भवन

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पन्द्रह महीने में रघुनाथपुर के एकमात्र मुख्य नाले को अतिक्रमण मुक्त कराने का हाईकोर्ट ने दिया है आदेश

शिवमन्दिर तालाब को अतिक्रमणमुक्त कराते हुये सौन्द्रीयकरण कराने का सीवान डीएम ने दिया है आश्वासन :अखिलेश पांडेय

श्रीनारद मीडिया के खबर से प्रभावित होकर असंभव दिखने वाले कार्य को संभव कर दिखाया है रघुनाथपुर निवासी झम्पू पांडे ने

श्रीनारद मीडिया, प्रकाश चन्द्र द्विवेदी, रघुनाथपुर, सीवान (बिहार)

कहावत है कि एक अकेला चना भाड़ नही फोड़ सकता है लेकिन वही अकेला चना जब लोहे का हो तब बत्तीसों दांतो को परेशान जरूर कर देता है.एक ऐसा ही उदाहरण बनकर उभरे है रघुनाथपुर बाजार निवासी ललन पांडेय के ज्येष्ठ सुपुत्र व इंटक के महासचिव अखिलेश पांडेय उर्फ झम्पू पांडेय.

श्री पांडेय ने अकेले अपने दम पर बिना हो-हल्ला किये,बिना धरना-प्रदर्शन किये, बिना आगजनी किये,बिना सड़क जाम किये,बिना भूख-हड़ताल किये और बिना सांसद, विधायक या किसी अन्य राजनेताओ की मदद लिए रघुनाथपुर का सबसे ज्वलंत व आम आदमी के लिए सबसे महत्वपूर्ण मुद्दे का समाधान कर दिखाया है।

मालूम हो कि रघुनाथपुर रेफ़रल अस्पताल का भवन काफी जर्जर हो चुका है.अस्पताल का भवन कब गिर जाएगा इसकी गारन्टी कोई नही ले सकता है.और रघुनाथपुर के एकमात्र जलनिकासी के रास्ते मुख्य नाले को स्थानीय दबंग लोगो ने अतिक्रमण कर पूरी तरह से बन्द कर दिया है जिसकारण बरसात का पानी अस्पताल परिसर में करीब तीन महीनों तक घुटने से लेकर कमर तक जमा हो जाता है.जिससे क्षेत्र के मरीजों व स्वास्थ्य कर्मियों को काफी समस्याओं से जूझना पड़ता है।”अस्पताल के जर्जर भवन व नाला अतिक्रमण का शिकार हैं”जनहित से जुड़ी मुद्दे को श्रीनारद मीडिया ने एक अभियान के तौर पर प्रमुखता से प्रकाशित करता रहा है।

इंटक महासचिव अखिलेश पांडेय पटना में बैठे श्रीनारद मीडिया के खबरों से प्रभावित होकर सरकार के सक्षम पदाधिकारियों से पत्रचार करने के उपरांत कोई ठोस कारवाई नही होते देख श्री पांडेय ने अस्पताल भवन निर्माण व नाले को अतिक्रमणमुक्त कराए जाने से सम्बंधित पटना उच्चन्यायालय में नौ जिम्मेवार अधिकारियों को पार्टी बनाते हुए CWJC-8788/2020 जनहित याचिका द्वारा दायर कर सरकार के दांत खट्टे करने पर उतारू हो गए।

मालूम हो कि श्री पांडेय ने 12 जून 2020 को मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, स्वास्थ्य मंत्री, प्रधान सचिव स्वास्थ्य विभाग, जिला अधिकारी व सिविल सर्जन सीवान को अस्पताल के जर्जर भवन व जलजमाव को लेकर शिकायत पत्र दिया था।
जिसके बाद 18 जून 2020 को मामला मुख्य सचिव के संज्ञान में आने के बाद संयुक्त सचिव स्वास्थ्य विभाग द्वारा एक पत्र जारी कर रघुनाथपुर रेफरल अस्पताल के जर्जर भवन का पुनः जीर्णोंद्वार करने के लिए BMSIC को अनुमानित खर्च आकलन करने का आदेश दिया।

वरीय अधिवक्ता अवधेश कुमार पांडेय के द्वारा किए गए बहस पर मुख्य न्यायाधीश  संजय करोल ने इसे जनहित से जुड़ा मुद्दा बताते हुए सरकार को चार हप्तो में समस्या का समाधान करते हुए के द्वारा जवाब देने को कहा।

फिर 23 दिसंबर 2020 को हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश  संजय करोल ने सरकार से प्रश्न किया कि क्या आम नागरिक के बुनियादी जरूरतों को पूरा नहीं किया जा सकता ? जलजमाव की समस्या तो शहर से बढ़कर गांवो तक पहुच गई है। माननीय न्यायालय द्वारा अस्पताल भवन को बनाये जाने के सवाल पर सरकार ने हामी भरते हुए कहा कि रघुनाथपुर विधायक हरिशंकर यादव के प्रश्न के जवाब में मंत्री द्वारा अस्पताल के नए भवन निर्माण के लिए 6 करोड़ 99 लाख 30 हजार रुपए की घोषणा की गई है। उक्त निर्णय के दो महीने बाद यानी बरसात बाद से BMSIC द्वारा भवन बनाने का काम शुरू हो जाएगा तथा नाले को अतिक्रमण करने की जिम्मेवारी रघुनाथपुर अंचलाधिकारी को दी गई हैं।

बिना किसी से एक रुपये की आर्थिक मदद मांगे और पन्द्रह महीनों की इस लड़ाई में अखिलेश पांडेय ने असंभव से दिखने वाले कार्य को संभव कर दिखाया। माननीय उच्च न्यायालय से 15 महीनों में जलजमाव, अतिक्रमण व जर्जर भवन की लड़ाई अखिलेश पांडेय अपने  वरिष्ठ अधिवक्ता अवधेश पांडे साथ जीत गए।

स्पष्ट शब्दों में कहे तो पटना हाईकोर्ट के आदेश पर पन्द्रह महीनों में रघुनाथपुर रेफ़रल अस्पताल का अपना नया भवन होगा और अस्पताल के पीछे बरइठा पोखरा से लेकर बाजार/गांव के उत्तर दिशा में स्थित परउल तालाब तक नाले या पोखर भिंडा की जमीन को अतिक्रमणमुक्त कराया जाएगा। भवन निर्माण से लेकर अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही की जानकारी याचिकाकर्ता अखिलेश पांडेय को देनी है हाईकोट के अनुसार.अगर इन पन्द्रह महीनों में सरकार अस्पताल भवन का निर्माण और नाला अतिक्रमण मुक्त नही कराती है तो याचिकाकर्ता MJC फाइल करने को स्वतंत्र हैं।

हाईकोर्ट के इस निर्णय से पूरे प्रखंड वासियों में खुशी का माहौल है व प्रखंडवासी अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।

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