ऑपरेशन महादेव…क्यों दिया गया यह कोड नेम?

ऑपरेशन महादेव…क्यों दिया गया यह कोड नेम?

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों ने सोमवार को पहलगाम हमले के बाद एक बड़े आतंकवाद-विरोधी अभियान में कम से कम तीन आतंकवादियों को मार गिराया है। मारे गए आतंकवादियों में पहलगाम आतंकी हमले का मास्टरमाइंट मूसा भी ढेर हो गया है। इस ऑपरेशन का कोड नेम ‘ऑपरेशन महादेव’दिया गया है, जिसे भारतीय सेना, जम्मू और कश्मीर पुलिस और सीआरपीएफ तीनों ने संयुक्त रूप से अंजाम दिया है। अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की है कि यह मुठभेड़ सोमवार को श्रीनगर के लिडवास फॉरेस्ट एरिया में शुरू हुई। आइए जानते हैं कि आतंकवाद-विरोधी इस कार्रवाई का नाम ‘ऑपरेशन महादेव’ क्यों रखा गया है?

क्यों रखा गया ‘ऑपरेशन महादेव’कोड नेम

श्रीनगर में आतंकवादियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई को ‘ऑपरेशन महादेव’ कोड नेम देना सामरिक रूप से भी उतना ही अहम है, जितना प्रतीकात्मक रूप से महत्वपूर्ण। दरअसल, श्रीनगर में न्यू थीड के नजदीक मौजूद ‘महादेव पीक’ (महादेव चोटी) जबरवान रेंज का हिस्सा है। इस इलाके का सामरिक और आध्यात्मिक दोनों ही तरह से काफी महत्त्व है। शहर की इस चोटी को स्थानीय स्तर पर काफी पवित्र माना जाता है और साथ ही यह पॉपुलर ट्रेकिंग रूट भी है। यही नहीं, यह चोटी जबरवान माउंटेन रेंज की एक प्रमुख शिखर है और यहां से लिडवास और मुलनार दोनों दिखाई देता है, इसलिए इस ऑपरेशन का कोड नेम ‘महादेव’ दिया गया है।

चिनार कोर ने दी थी ऑपरेशन की जानकारी

इस ऑपरेशन को लेकर इंडियन आर्मी के चिनार कोर ने एक्स पर लिखा है, ‘आतंकवादियों के साथ पहला सामना 28 जुलाई को लिडवास के जनरल एरिया में हुआ।’इंटेलिजेंस इनपुट पर कार्रवाई करते हुए सुरक्षा बलों ने चोटी के नजदीक ही हरवान के मुलनार क्षेत्र में घेराबंदी और तलाशी अभियान लॉन्च किया। महादेव भगवान शिव का भी नाम है और इस समय उनका पवित्र महीना सावन भी चल रहा है, जिस दौरान हजारों तीर्थयात्री पवित्र अमरनाथ यात्रा पर जा रहे हैं। इस लिहाज से भी इस कोड की अपनी अहमियत बताई जा रही है।

भारतीय सुरक्षाबलों को एक बड़ी सफलता मिल चुकी है. उन्होंने जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर के बाहरी इलाके में हरवान के पास लिडवास के जंगली इलाके में एक मुठभेड़ के दौरान पहलगाम हमले के हमलावर सुलेमानी समेत तीन पाकिस्तानी आतंकवादियों को मार गिराया. इस एनकाउंटर को ऑपरेशन महादेव नाम दिया गया, जोकि आतंकवादी गतिविधियों की खुफिया और तकनीकी निगरानी के बाद शुरू किया गया. बताया गया है कि 18 जुलाई को खुफिया एजेंसियों ने जम्मू-कश्मीर के दाचीगाम नेशनल पार्क के पास एक इलाके में एक संदिग्ध कम्युनिकेशन को इंटरसेप्ट किया और ऑपरेशन महादेव शुरू कर दिया.

सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक, जल्द ही जवानों ने इलाके की तलाशी शुरू कर दी क्योंकि इंटरसेप्ट से पता चला कि जिस संचार उपकरण से सिग्नल आया था, उसके यूजर का 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकवादी हमले से कुछ संबंध था. सूत्रों को मुताबिक, रविवार-सोमवार की रात 2 बजे T82 अल्ट्रासेट एक्टिवेशन हो गया. T82 एक दुर्लभ एन्क्रिप्टेड कम्युनिकेटिंग उपकरण है. इस उपकरण से सिग्नल मिलते ही आतंकियों के जहन्नुम जाने का रास्ता तय हो गया. T82 से मिले सिग्नलों से ही सुरक्षाबलों को सटीक स्थान का पता लग गया.

पहलगाम में 26 बेगुनाहों की हत्या हुई थी

बता दें कि पहलगाम आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत के बाद सुरक्षा बलों ने दहशतगर्दों को पकड़ने के लिए एक बड़ा अभियान शुरू किया था। पिछले कुछ समय से जो खुफिया सूचनाएं मिली थीं, उसके अनुसार यह जानकारी थी कि शायद आतंकी दाचीगाम क्षेत्र की ओर बढ़ गए थे, जो कि श्रीनगर के सिटी सेंटर से करीब 20 किलो मीटर की दूरी पर है।

सुबह इसी तरह की एक खुफिया सूचना के आधार पर सुरक्षा बलों ने हरवान के मुलनार क्षेत्र में ऑपरेशन शुरू किया है और उसे बड़ी कामयाबी हाथ लगी। पहलगाम में पाकिस्तानी आतंकियों ने पर्यटकों को उनका धर्म पूछकर मारा था। इसके जवाब में भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर में ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया और 9 आतंकी ठिकाने तबाह कर दिए थे।

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